तेजु कुमारिक साँकरि बाट
रतिपति रति गुरु आयल द्वार
मनक मनोरथ होयत उधार
मुख बरु झाँपब हृदय उघार
नवल लती सहु तरुवर भार
मन्द हँसब मन्दहि अभिसार
गाँथब दुहु जन प्रीतिक हार
खंजनि मीन मरत सहि लाज
चर्चा होयत करनि समाज
सिंह सुतल चुप साँझहि गेह
सकुचल लाजे केदलि देह
पुनिम होयत नहि-नहि पिक भाष
पंकजकेँ जिउ होयत माख
जखन चलब अहँ जन उजियार
एकटक लागत आँखि पथार
तानल कुसुमक शर रह हाथ
मनसिज खसता उनटल माथ
कुमर कहथि अय होउ ने ओट
कथि लय करब हमर मन छोट
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