मोहन तेजि गेला
अखाढ़हि मास इहो दुख भेल
आमुन - जामुन - कटहर पाकि गेल
कहब दुख ककरा
साओन बेलि फुलय कचनार
ककरा लय गांथब सुन्दर हार
ककरा पहिरायब
भादव रैनि भयाओन राति
ककरा शरण धय होयब ठाढ़
कि झहरय नीर
आसिन मास छल बिसबास
अओताह यदुपति पूरत आस
कहब दुख हुनके
कार्तिक कन्त गेलाह बिदेस
हमहुँ मरब जहर - बिख खाय
जमुना-जल धसि कय
अगहन खेते-खेते उपजल धान
रहितथि अवधपति, लबितथि धान
कि करितहुँ मे खीरे
करितौं लबान, बिनुपिया अगहन बिषम समान
कि झहरय नीरे
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