बना देलहुँ भिखारि
नहि मांगल कैलासपुरी हम, झाड़ीखंड ओ बाड़ी
नहि मांगल विश्वनाथक मंदिर, ने हम महल अटारि
बतहबा बना देलौँ भिखारि
एक मोन होइए जटा तोड़ि, नोचि लितहुँ सभ दाढ़ी
बसहा बरद के डोरी धय मारितहुँ पैना चारि
बाबा बना देलौँ भिखारि
दोसर मोन होइए, अहाँके बिकोटितौँ धऽकऽ मरम पर हाथ
से अपने वियाहलौँ अनपूर्णासँ, देखलौँ नयना चारि
बाबा बना देलौँ भिखारि
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