प्रथमहि गेल धनि प्रीतम पास सजनी गे / मैथिली लोकगीत

प्रथमहि गेल धनि प्रीतम पास सजनी गे
हिरदय अधिक भेल लाज सजनी गे
ठाढ़ि भेलि अंगो ने डोलय सजनी गे
मुरती सन मुखहु ने बोल सजनी गे
कर दुहु धाय पहु बैसाय सजनी गे
रूसि रहल धनि मदन जगाय सजनी गे
भनहि विद्यापति सब जन जानय
पुरुषक नहि किछु आस सजनी गे

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