देखू सखि दाइ माइ, ठकलक बभना आइ / मैथिली लोकगीत

देखू सखि दाइ माइ, ठकलक बभना आइ
पहिने सुनैत छलियनि जस तीन भुवन,
आब सुनैत छियनि घर नहि आंगन
भोला के माय-बाप नहि केयो छनि अपना
गौरी के सासु-ननदि सब सपना
गौरी तप कयलनि रात दिना, तिनका एहन बर देल विधना
भनहि विद्यापति सुनू मैना, नाचथि सदाशिव भरि अंगना

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