कि कहू पहु परदेश गेल सजनी गे / मैथिली लोकगीत
कि कहू पहु परदेश गेल सजनी गे
आहे सखि किछु ने सोहाय सजनी गे
फूल केश नीर बहु सजनी गे
काजर गेल दहाय सजनी गे
कंगन बसन भार भेल सजनी गे
यौवन भेल उतफाल सजनी गे
आंगन मोरा लेखे बिजुबन सजनी गे
घर भेल दिवस अन्हार सजनी गे
जौं प्रीतम नहि आओत सजनी गे
मरब जहर-बिख खाय सजनी गे
Comments
Post a Comment