कमल नयन मन मोहन रे / मैथिली लोकगीत

कमल नयन मन मोहन रे
बसु यमुना तीरे
बसिया बजाय मन हरलक रे
चित रहय ने थीर
खन मोहन वृन्दावन रे
खन बसिया बजाय
सन सन रहय अहीं संग रे
बंशीवट धारे
जौं हम जनितौं एहन सन रे
तेजि जयता गोपाले
अपन भरम हम तेजितहुँ रे
सेवितहुँ नन्दलाले
जाय ने क्यो यमुना तट रे
छथि निकट गोपाले
बाँ पकड़ि झिकझोरलनि रे
संग लए ब्रजबाले
जौं जदुपति नहि आओत रे
दह यमुना के तीरे
हमहुँ मरब हरि-हरि कय रे
छुटि जायत पीरे

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