चैत आहो रामा चित भेल चंचल / मैथिली लोकगीत
चैत आहो रामा चित भेल चंचल
बितल मास बैसाख यो
रगड़ि चन्दन अंग लेपितहुँ
रहितहुँ प्रभुजी के साथ यो
जेठ पहु नहि हेठ अयला
करब कओन उपाय यो
कोन गुण ओझरयला प्रभु जी
के कहत निज बात यो
अखाढ़ आहो रामा बुन्द बरिसय
सभ सखि सांठल धान यो
साओन सिन्दुर काजर शोभय
भादब राति अन्हार यो
कोन गुण ओझरयला प्रभु जी
करब कओन उपाय यो
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