Friday, November 1, 2024

राज बगियामे देखल दुइ चोर के / मैथिली लोकगीत

राज बगियामे देखल दुइ चोर के
एक श्यामल एक गोर के ना
काँखमे फूल तोड़ि राखय, तखन सखि सबके ताकय
देखल मुसकैत दुनू ठोर के, एक श्यामल...
आँखिये-आँखिये ताकय, ताकि सखि सभक मन मोहय
बर होइहें सीया के रघुवर श्याम हे, एक श्यामल
फूल लयला मुनि के पास, ठाढ़ भेला चुपचाप
मुनि बुझल मनक बात ओहि चोर के, एक श्यामल...
मुनि दिन्ह आशीर्वाद, पुरल सभक मनक आश
जनक छथि बड़ उदास प्राण देखि के, एक श्यामल...
अयला बड़े-बड़े बीर, तोड़ि नहि सकल धुन-तीर
सभ चलि भेला अपन हिम्मत छोड़ि के, एक श्यामल...
कहथि मुक्तेश्वर राय, राजा गेला घबराय
दियनु मिलाय धनुषा तोड़ि के, एक श्यामल...

No comments:

Post a Comment

Featured post

यूँही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करो Yunhi Be-Sabab Na Fira Karo Koi Bashir Badr Ghazal

यूँही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करो वो ग़ज़ल की सच्ची किताब है उसे चुपके चुपके पढ़ा करो कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक स...