पहु बिसरल मोर नाम
कुसुम फुलिय, फुल मौलल सजनी गे
भ्रमरो ने लय विश्राम
सिर सिन्दूर नहि भाबय सजनी गे
मुरूछि खसय एहि ठाम
उठइत परम बेयाकुल सजनी गे
दैव किए भेल बाम
कोकिल कुहुकि सुनाओल सजनी गे
नयन ढरकि खसु वारि
अधरस ओतय गमाओल सजनी गे
दय गेल सौतिन गारि
युगल नयन मन व्याकुल सजनी गे
थिर नहि रहय गेयान
विद्यापति कवि गाओल सजनी गे
ई थिक दुखक निदान
No comments:
Post a Comment