हम अतिबालक सखि हे अधिक डेराइ
हँसैत खेलाबथि सखि हे लए कोरे बोलाय
पहुक पलंग सखि हे देलनि बैसाय
गोट-गोट सखि सब गेल बहराय
बज्र केबार सखि सब देलनि लगाय
ओही अवसरमे सखि हे जागि गेला कन्त
चीर उतारि सखि हे जीव भेल अन्त
नहि नहि कहैत सखि हे पयर तोर लागू
कांच कमल सखि हे भमरा झिकझोरू
भनहि विद्यापति ई त जुगक रीति
जेहने विरह छल तेहन प्रीति
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