माघ हे सखि मेघ लागल / मैथिली लोकगीत

माघ हे सखि मेघ लागल, पिया चलल परदेश यो
अपनो वयस ओतहि बितओता, हमर कोन अपराध यो -2
फागुन हे सखि आम मजरल, कोइली बाजे घमसान यो
कोइली शब्द सुनि हिय मोर सालय, नयना नीर बहि गेल यो -2

चैत हे सखि पर्व लगईछई, सब सखी गंगा स्नान यो
सब सखी पहिरे पियरी पीताम्बर, हमरा के देव दुःख देल यो -2
बैसाख हे सखि उसम ज्वाला, घाम सं भीजल देह यो
रगरि चन्दन अंग लेपितहूँ, जों गृह रहितथि कन्त यो -2

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