कौने वन कुहुकय मयूर यो
घर पछुअरबा मे हजमा रे भइया,
झट-झट चिठिया पहुँचायब यो
जाहि ठाम देखिह नउआ ससुर भैंसुरबा,
ताहि ठाम चिठिया छपायब यो
जाहि ठाम हेतइ नउआ एसगर बलमुआं,
ताहि ठाम चिठिया खसायब यो
चिठिया पढ़इते बालमु जियरा सुखाय गेल,
कते धनी लिखल वियोग यो
लीअ-लीअ आहे राजा अपनो नोकरिया,
हम जाइ छी धनी के उदेश यो
जब पियबा अयलइ दलान केर बिचबा,
धनी बैसल रोदना पसारि यो
जब पियबा अयलइ आंगन केर बिचबा,
धनी ठोकल बज्र केबार यो
खोलू-खोलू आहे धनी बज्र केबरिया,
हम अयलहुँ अहीं केर उदेस यो
हम नहि खोलबइ बालमु बज्र केबरिया,
अंचरे सूतल नन्दलाल यो
हमहुँ त छलहुँ धनी देश विदेशिया,
ककर जनम नन्दलाल यो
घरहि मे छैक बालम छोटका देओरबा
हुनके जन्मल नन्दलाल यो
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