Thursday, March 9, 2017

Parbaton Ke Pedon Par / पर्बतों के पेड़ोंपर शाम का बसेरा है

 पर्बतों के पेड़ोंपर शाम का बसेरा है
सुरमई उजाला है चंपई अँधेरा है

दोनों वक़्त मिलते हैं दो दिलों की सूरत से
आसमां ने खुश होकर रंग सा बिखेरा है

ठहरे ठहरे पानी में गीत सरसराते हैं
भीगे भीगे झोंकों में खुशबुओं का डेरा है

क्यों ना जज़्ब जो जाएँ इस हसीन नज़ारे में
रौशनी का झुरमुट है मस्तियों का घेरा है

अब किसी नज़ारे की दिल को आरज़ू क्यों हो
जब से पा लिया तुमको सब जहान मेरा है 

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