Saturday, March 10, 2018

Kahin Door Jab Din Dhal Jaaye – Anand

Movie: Anand
Year: 1971
Director: Hrishikesh Mukherjee
Music: Salil Choudhury
Lyrics: Yogesh
Singers: Mukesh


कहीं दूर जब दिन ढल जाये
सांझ की दुल्हन बदन चुराए चुपके से आये
मेरे खयालों के आँगन में
कोई सपनों के दीप जलाए, दीप जलाए
कहीं दूर जब दिन ढल जाये
सांझ की दुल्हन बदन चुराए चुपके से आये

कभी यूँहीं जब हुयी ओझल साँसें
भर आयी बैठे बैठे जब युहीं आँखें
तभी मचला के प्यार से चल के
छुए कोई मुझे पर नज़र ना आये, नज़र ना आये
कहीं दूर जब दिन ढल जाये
सांझ की दुल्हन बदन चुराए चुपके से आये

कहीं तो ये दिल कभी मिल नहीं पाते
कहीं से निकल आये जन्मों के नाते
घनी थी उलझन बैरी अपना मन
अपना ही होके सहे दर्द पराये, दर्द पराये
कहीं दूर जब दिन ढल जाये
सांझ की दुल्हन बदन चुराए चुपके से आये
मेरे खयालों के आँगन में
कोई सपनों के दीप जलाए, दीप जलाए

दिल जाने मेरे सारे भेद ये गहरे
हो गए कैसे मेरे सपने सुनहरे
ये मेरे सपने यही तो हैं अपने
मुझसे जुदा ना होंगे इनके ये साए इनके ये साए
कहीं दूर जब दिन ढल जाये
सांझ की दुल्हन बदन चुराए चुपके से आये
मेरे खयालों के आँगन में
कोई सपनों के दीप जलाए, दीप जलाए

No comments:

Post a Comment

Featured post

यूँही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करो Yunhi Be-Sabab Na Fira Karo Koi Bashir Badr Ghazal

यूँही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करो वो ग़ज़ल की सच्ची किताब है उसे चुपके चुपके पढ़ा करो कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक स...