म्हारा घडी रे घडी रा रिछपाल सिमरु बाबा बजरंग ने।

टेर : म्हारा घडी रे घडी रा रिछपाल सिमरु बाबा बजरंग ने। थर थावर थारी करूं थरपना मंगल वारि भेंट, घृत चूरमो चढ़ा स्यूं बाबा आके सालासर थारे ठेठ। म्हारा घडी रे….. बालक पन में खेलत खेलत सूरज पकड्यो जाये, देवन आय कृ विनती तो मुख से दिया छिटकाय। म्हारा घडी रे….. सीता की सुध लें पधारे अंजनी सूत हनुमान, लंका जाये राख कर दीन्हि मारयो है अक्षय कुमार। म्हारा घडी रे….. कछ्मण के जब शक्ति लागी गिरयो धरण गम खाय, लाय सरजीवन घोल पिलाई जगे वीर महान। म्हारा घडी रे….. लछमन राम चुरा कर लेग्या अहिरावण निज धाम, ताहि समय बाबा सहाय करी है लायो है लछमन राम। म्हारा घडी रे….. बड़े बड़े कारज कर डारे थे अंजना के लाल, देवकी नंदन सहाय करो रे बेड़ो लंघाओं पार। म्हारा घडी रे…..

Main Albeli – Zubeidaa

Movie: Zubeidaa
Year: 2001
Director: Shyam Benegal
Music: A.R. Rahman
Lyrics: Javed Akhtar
Singers: Kavita Krishnamurthy

रंगीली हो, सजीली हो
रंगीली हो, सजीली हो
तू अलबेली ओ , तू अलबेली ओ

मैं अलबेली, घूमूं अकेली, कोई पहेली हूँ मैं
हो मैं अलबेली, घूमूं अकेली, कोई पहेली हूँ मैं
पगली हवाए मुझे जहा भी ले जाये
इन हवाओं की सहेली हूँ मैं

तू है रंगीली, हो, तू है सजीली, हो

हिरनी हूँ बन में, कलि गुलशन में, शबनम कभी हूँ
मैं कभी हूँ शोला, श्याम और सवेरे, सौ रंग मेरे
मैं भी नहीं जानूं आखिर हूँ मैं क्या

तू अलबेली, घूमे अकेली, कोई पहेली है तू
पगली हवाए तुझे जहाँ भी ले जाये
इन हवाओं की सहेली है तू

तू अलबेली, घूमे अकेली, कोई पहेली है तू
पहेली

मेरे हिस्से में आयी हैं कैसी बेताबिया
मेरा दिल घबराता है मैं चाहे जाऊं जहा
हम्म मेरे हिस्से में आयी हैं कैसी बेताबिया
मेरा दिल घबराता है मैं चाहे जाऊं जहा
मेरी बेचैनी ले जाये मुझको जाने कहाँ
मैं एक पल हूँ यहाँ
मैं एक पल हूँ यहाँ, मैं हूँ एक पल वहां

तू बावली है, तू मनचली है
सपनों की है दुनिया जिस में तू है पली

मैं अलबेली, घूमूं अकेली, कोई पहेली हूँ मैं
तू अलबेली

मैं अलबेली, घूमूं अकेली, कोई पहेली हूँ मैं
हो मैं अलबेली, घूमूं अकेली, कोई पहेली हूँ मैं
पगली हवाए मुझे जहा भी ले जाये
इन हवाओं की सहेली हूँ मैं

तू है रंगीली, हो, तू है सजीली, हो

हिरनी हूँ बन में, कलि गुलशन में, शबनम कभी हूँ
मैं कभी हूँ शोला, श्याम और सवेरे, सौ रंग मेरे
मैं भी नहीं जानूं आखिर हूँ मैं क्या

ओह तू अलबेली, ओ

हम हम मैं वो राही हूँ जिसकी कोई मंजिल नहीं
मैं वो अरमान हूँ जिसका कोई हासिल नहीं
मैं हूँ वो मौज के जिसका कोई साहिल नहीं
मेरा दिल नाज़ुक है
मेरा दिल नाज़ुक है, पत्थर का मेरा दिल नहीं

तू अनजानी, तू है दीवानी
शीशा लेके पत्थर की दुनिया में है चली
तू अलबेली, घूमे अकेली, कोई पहेली है तू
पगली हवाए तुझे जहा भी ले जाये
इन हवाओं की सहेली है तू

मैं हूँ रंगीली, हो
मैं हूँ सजीली, हो
हिरनी हूँ बन में, कलि गुलशन में, शबनम कभी हूँ
मैं कभी हूँ शोला, श्याम और सवेरे, सौ रंग मेरे
मैं भी नहीं जानूं आखिर हूँ मैं क्या

रंगीली हो, सजीली हो
रंगीली हो, सजीली हो
रंगीली हो, सजीली हो
रंगीली हो, सजीली हो

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