म्हारा घडी रे घडी रा रिछपाल सिमरु बाबा बजरंग ने।

टेर : म्हारा घडी रे घडी रा रिछपाल सिमरु बाबा बजरंग ने। थर थावर थारी करूं थरपना मंगल वारि भेंट, घृत चूरमो चढ़ा स्यूं बाबा आके सालासर थारे ठेठ। म्हारा घडी रे….. बालक पन में खेलत खेलत सूरज पकड्यो जाये, देवन आय कृ विनती तो मुख से दिया छिटकाय। म्हारा घडी रे….. सीता की सुध लें पधारे अंजनी सूत हनुमान, लंका जाये राख कर दीन्हि मारयो है अक्षय कुमार। म्हारा घडी रे….. कछ्मण के जब शक्ति लागी गिरयो धरण गम खाय, लाय सरजीवन घोल पिलाई जगे वीर महान। म्हारा घडी रे….. लछमन राम चुरा कर लेग्या अहिरावण निज धाम, ताहि समय बाबा सहाय करी है लायो है लछमन राम। म्हारा घडी रे….. बड़े बड़े कारज कर डारे थे अंजना के लाल, देवकी नंदन सहाय करो रे बेड़ो लंघाओं पार। म्हारा घडी रे…..

Panchhi Nadiyaa – Refugee

Movie: Refugee
Year: 2000
Director: J.P. Dutta
Music: Anu Malik
Lyrics: Javed Akhtar
Singers: Sonu Nigam, Alka Yagnik

उपरवाले ने अपनी मोहब्बत के सतके में ये धरती बनायीं थी
पर मोहब्बत के दुश्मनों ने इस्पे लकीरें खीच के सरहद बनादी
मैं जानता हूँ, वो लोग तुम्हे इस पार नहीं आने देंगे
मगर ये पवन, जो तुम्हारे यहाँ से होकर आयी है, तुम्हे छू कर आयी होगी
मैं इसे सांस बनाकर अपने सिने में भर लूँगा

ये नदियाँ जिसपर झुककर तुम पानी पिया करते हो
मैं इस पानी से अपने प्यासे होठों को भिगो लुंगी
समझूंगी तुम्हारे होठों को छू लिया

Sonu
पंछी नदिया पवन के झोंके, कोई सरहद ना इन्हें रोके
पंछी नदिया पवन के झोंके, कोई सरहद ना इन्हें रोके
सरहद इंसानों के लिए है
सोचो तुमने और मैंने क्या पाया इंसान होके

Alka
पंछी नदिया पवन के झोंके, कोई सरहद ना इन्हें रोके
सरहद इंसानों के लिए है
सोचो तुमने और मैंने क्या पाया इंसान होके

Sonu
जो हम दोनों पंछी होते
तैरते हम इस नीले गगन में, पंख पसारे
Alka
सारी धरती अपनी होती
अपने होते सारे नज़ारे
Sonu
खुली फिजाओं में उड़ते
खुली फिजाओं में उड़ते
अपने दिलों में हम सारा प्यार समोखे
Alka
पंछी नदिया पवन के झोंके, कोई सरहद ना इन्हें रोके
Sonu
सरहद इंसानों के लिए है
सोचो तुमने और मैंने क्या पाया इंसान होके

Alka
जो मैं होती नदिया और तुम पवन के झोंके तो क्या होता
ओ जो मैं होती नदिया और तुम पवन के झोंके तो क्या होता
Sonu
पवन के झोंके नदी के तन को जब छूते हैं
पवन के झोंके नदी के तन को जब छूते हैं
लेहरें ही लेहरें बनती हैं
हम दोनों जब मिलते कुछ ऐसा होता
Alka
सब कहते ये लेहेर लेहेर जहाँ भी जाए इनको ना कोई टोके

Sonu
पंछी नदिया पवन के झोंके, कोई सरहद ना इन्हें रोके
Alka
सरहद इंसानों के लिए है
सोचो तुमने और मैंने क्या पाया इंसान होके
Sonu
पंछी नदिया पवन के झोंके, कोई सरहद ना इन्हें रोके

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