म्हारा घडी रे घडी रा रिछपाल सिमरु बाबा बजरंग ने।

टेर : म्हारा घडी रे घडी रा रिछपाल सिमरु बाबा बजरंग ने। थर थावर थारी करूं थरपना मंगल वारि भेंट, घृत चूरमो चढ़ा स्यूं बाबा आके सालासर थारे ठेठ। म्हारा घडी रे….. बालक पन में खेलत खेलत सूरज पकड्यो जाये, देवन आय कृ विनती तो मुख से दिया छिटकाय। म्हारा घडी रे….. सीता की सुध लें पधारे अंजनी सूत हनुमान, लंका जाये राख कर दीन्हि मारयो है अक्षय कुमार। म्हारा घडी रे….. कछ्मण के जब शक्ति लागी गिरयो धरण गम खाय, लाय सरजीवन घोल पिलाई जगे वीर महान। म्हारा घडी रे….. लछमन राम चुरा कर लेग्या अहिरावण निज धाम, ताहि समय बाबा सहाय करी है लायो है लछमन राम। म्हारा घडी रे….. बड़े बड़े कारज कर डारे थे अंजना के लाल, देवकी नंदन सहाय करो रे बेड़ो लंघाओं पार। म्हारा घडी रे…..

Yeh Kahan Aa Gaye – Silsila

Movie: Silsila
Year: 1981
Director: Yash Chopra
Music: Hariprasad Chaurasia, Shiv Kumar Sharma
Lyrics:
Singers: Lata Mangeshkar, Amitabh Bachchan

Amitabh
मैं और मेरी तन्हाई अक्सर ये बातें करते हैं
तुम होती तो कैसा होता, तुम ये केहती, तुम वो केहती
तुम इस बात पे हैरान होती, तुम उस बात पे कितनी हंसती
तुम होती तो ऐसा होता, तुम होती तो वैसा होता
मैं और मेरी तन्हाई अक्सर ये बातें करते हैं

Lata
ये कहाँ आ गए हम यूँही साथ साथ चलते
तेरी बाहों में है जानम मेरे जिस्म-ओ-जान पिघलते
हो तेरी बाहों में है जानम मेरे जिस्म-ओ-जान पिघलते
ये कहाँ आ गए हम यूँही साथ साथ चलते

Amitabh
ये रात है, ये तुम्हारी जुल्फें खुली हुई है
है चांदनी या तुम्हारी नज़रें से मेरी रातें धुली हुई है
ये चाँद है या तुम्हारा कंगन
सितारें है या तुम्हारा आँचल
हवा का झोंका है या तुम्हारे बदन की खुशबू
ये पत्तियों क है सरसराहट के तुमने चुपके से कुछ कहा है
ये सोचता हूँ मैं कब से गुमसुम
के जब की मुझको भी ये खबर है
के तुम नहीं हो, कहीं नहीं हो
मगर ये दिल है के केह रहा है
के तुम यहीं हो, यहीं कहीं हो

Lata
ओ, तू बदन है मैं हूँ छाया, तू न हो तो मैं कहाँ हूँ
मुझे प्यार करने वाले, तू जहाँ है मैं वहां हूँ
हमें मिलना ही था हमदम, इसी राह भी निकलते
हो हमें मिलना ही था हमदम, इसी राह भी निकलते
ये कहाँ आ गए हम यूँही साथ साथ चलते

मम, मेरी सांस सांस महेके, कोई भीना भीना चन्दन
तेरा प्यार चांदनी है, मेरा दिल है जैसे आँगन
कोई और भी मुलायम, मेरी शाम ढलते ढलते
हो कोई और भी मुलायम, मेरी शाम ढलते ढलते
ये कहाँ आ गए हम यूँही साथ साथ चलते

Amitabh
मजबूर ये हालात, इधर भी है उधर भी
तन्हाई की एक रात, इधर भी है उधर भी
कहने को बहुत कुछ है, मगर किस्से कहे हम
कब तक यूँही खामोश रहे और सहे हम
दिल कहता है दुनिया की हर एक रस्म उठा दे
दीवार जो हम दोनों में है, आज गिरा दे
क्यूं दिल में सुलगते रहे, लोगों को बता दे
हाँ हमको मोहब्बत है, मोहब्बत है, मोहब्बत
अब दिल में येही बात, इधर भी है उधर भी

Lata
ये कहाँ आ गए हम यूँही साथ साथ चलते
ये कहाँ आ गए हम
ये कहाँ आ गए हम

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म्हारा घडी रे घडी रा रिछपाल सिमरु बाबा बजरंग ने।