कओने वन बाजय मुरली बंसुरी शब्द सुनि ठाढ़ि भेली राधा खसय ससरि चुनरी, कओने वन बांजय मुरली अपन गृह नीपधि राधा गोबर हाथ कढ़ी, कओने वन बाजय मुरली एक आँखि राधा काजर कयलनि दोसर आँखि बिसरी, कओने वन बाजय मुरली अन्य मैथिली लोकगीत प्रिये हम जाइत छी वनवास / मैथिली लोकगीत सून भवन भेल भोर / मैथिली लोकगीत किछु ने रहल मोरा हाथ / मैथिली लोकगीत प्राणसँ प्रिय राम, हमरो प्राणसँ प्रिय राम / मैथिली लोकगीत जाइ छी ताही देश दधि-सुत, जाइ छी ताही देश / मैथिली लोकगीत नइया लाबऽ किनारा / मैथिली लोकगीत जुनि करू राम विरोग हे जननी / मैथिली लोकगीत हम ने जीअब बिनु राम हे जननी, हम ने जीअब बिनु राम / मैथिली लोकगीत वचन प्रिय ई गोट मानल जाय / मैथिली लोकगीत श्यामा श्याम रचल हमर मनमे / मैथिली लोकगीत अँटकि जाहु एहिठाम / मैथिली लोकगीत दरसन दीअ भगवान / मैथिली लोकगीत राम लेता बास, ओही वन राम लेता बास / मैथिली लोकगीत कोइलिया नीको ने लागय तोहर बोल / मैथिली लोकगीत जाय दीअ यदुवीर, कृष्ण जाय दीअ यदुवीर / मैथिली लोकगीत नया शहर कलकत्ता हो राजा, जहाँ बिराजे महाकाली / मैथिली लोकगीत नीम खण्ड बिराजे देवी कालिका / मैथिली लोकगीत अहाँ के सोभे ...
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