म्हारा घडी रे घडी रा रिछपाल सिमरु बाबा बजरंग ने।

टेर : म्हारा घडी रे घडी रा रिछपाल सिमरु बाबा बजरंग ने। थर थावर थारी करूं थरपना मंगल वारि भेंट, घृत चूरमो चढ़ा स्यूं बाबा आके सालासर थारे ठेठ। म्हारा घडी रे….. बालक पन में खेलत खेलत सूरज पकड्यो जाये, देवन आय कृ विनती तो मुख से दिया छिटकाय। म्हारा घडी रे….. सीता की सुध लें पधारे अंजनी सूत हनुमान, लंका जाये राख कर दीन्हि मारयो है अक्षय कुमार। म्हारा घडी रे….. कछ्मण के जब शक्ति लागी गिरयो धरण गम खाय, लाय सरजीवन घोल पिलाई जगे वीर महान। म्हारा घडी रे….. लछमन राम चुरा कर लेग्या अहिरावण निज धाम, ताहि समय बाबा सहाय करी है लायो है लछमन राम। म्हारा घडी रे….. बड़े बड़े कारज कर डारे थे अंजना के लाल, देवकी नंदन सहाय करो रे बेड़ो लंघाओं पार। म्हारा घडी रे…..

श्री शिवाष्टक / चालीसा

श्री शिवाष्टक
आदि अनादि अनंत अखंड अभेद अखेद सुबेद बतावैं।
अलग अगोचर रूप महेस कौ जोगि-जति-मुनि ध्यान न पावैं॥
आग-निगम-पुरान सबै इतिहास सदा जिनके गुन गावैं।
बड़भागी नर-नारि सोई जो साम्ब-सदाशिव कौं नित ध्यावैं॥1॥

सृजन सुपालन-लय-लीला हित जो बिधि-हरि-हर रूप बनावैं।
एकहि आप बिचित्र अनेक सुबेष बनाइ कैं लीला रचावैं॥
सुंदर सृष्टि सुपालन करि जग पुनि बन काल जु खाय पचावैं।
बड़भागी नर-नारि सोई जो साम्ब-सदाशिव कौं नित ध्यावैं॥ 2॥

अगुन अनीह अनामय अज अविकार सहज निज रूप धरावैं।
परम सुरम्य बसन-आभूषन सजि मुनि-मोहन रूप करावैं॥
ललित ललाट बाल बिधु बिलसै रतन-हार उर पै लहरावैं।
बड़भागी नर-नारि सोई जो साम्ब-सदाशिव कौं नित ध्यावैं॥ 3॥

अंग बिभूति रमाय मसान की बिषमय भुजगनि कौं लपटावैं।
नर-कपाल कर मुंडमाल गल, भालु-चरम सब अंग उढ़ावैं॥
घोर दिगंबर, लोचन तीन भयानक देखि कैं सब थर्रावैं।
बड़भागी नर-नारि सोई जो साम्ब-सदाशिव कौं नित ध्यावैं॥ 4॥

सुनतहि दीनकी दीन पुकार दयानिधि आप उबारन धावैं।
पहुँच तहाँ अविलंब सुदारून मृत्युको मर्म बिदारि भगावैं॥
मुनि मृकंडु-सुतकी गाथा सुचि अजहुँ बिग्यजन गाई सुनावैं।
बड़भागी नर-नारि सोई जो साम्ब-सदाशिव कौं नित ध्यावैं॥ 5॥

चाउर चारि जो फूल धतूरके, बेलके पात औ पानि चढ़ावैं।
गाल बजाय कै बोला जो 'हर हर महादेव' धुनि जोर लगावैं॥
तिनहिं महाफल देय सदासिव सहजहि भुक्ति-मुक्ति सो पावैं।
बड़भागी नर-नारि सोई जो साम्ब-सदाशिव कौं नित ध्यावैं॥ 6॥

बिनसि दोष दुख दुरित दैन्य दारिद्रय नित्य सुख-सांति मिलावैं।
आसुतोष हर पाप-ताप सब निरमल बुद्धि-चित्त बकसावैं॥
असरन-सरन काटि भवबंधन भव निज भवन भव्य बुलवावैं।
बड़भागी नर-नारि सोई जो साम्ब-सदाशिव कौं नित ध्यावैं॥ 7॥

औढरदानि, उदार अपार जु नैकु-सी सेवा तें ढुरि जावैं।
दमन असांति, समन सब संकट, बिरद बिचार जनहि अपनावैं॥
ऐसे कृपालु कृपामय देव के क्यों न सरन अबहीं चलि जावैं।
बड़भागी नर-नारि सोई जो साम्ब-सदाशिव कौं नित ध्यावैं॥ 8॥


॥इति श्रीशिवाष्टक सम्पूर्ण॥

Comments

Popular posts from this blog

बजरंग बाला जय हो बजरंग बाला, पाँव में घुंगरू बांध के नाचे,

जय जय गिरिराज किसोरी jai jai giriraj kishori jai mahesh mukh chand chakori bhawani bhajan from ramayan

यह तो प्रेम की बात है उधो yeh to prem ki baat hai udho bandagi tere bas ki nahi hai

छम छम नाचे वीर हनुमान cham cham nache dekho veer hanumana

हंगामा हो गया Hungama Ho Gaya Lyrics in Hindi – Mika Singh, Anmol Malik

राम नाम के हीरे मोती मैं बिखराऊं गली गली raam naam ke heere moti main bikhraaun gali gali

श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने मैं shree ram janki baithe hain mere seene me

सतगुरु मैं तेरी पतंग satguru main teri patang hava vich urdi jaavangi

म्हारा घडी रे घडी रा रिछपाल सिमरु बाबा बजरंग ने।

आ लौट के आजा हनुमान तुम्हे श्री राम बुलाते हैं aa laut ke aaja hanuman tumheshree ram bulate hain