बुधवार की आरती / आरती

आरती युगल किशोर की कीजै,

तन-मन-धन, न्योछावर कीजै। टेक।


गौर श्याम सुख निरखत रीझै,

हरि को स्वरूप नयन भरी पीजै।


रवि शशि कोटि बदन की शोभा।

ताहि निरिख मेरो मन लोभा।


ओढ़े नील पीत पट सारी,

कुंज बिहारी गिरवर धारी।


फूलन की सेज फूलन की माला,

रत्न सिंहासन बैठे नंदलाला।


मोर-मुकुट मुरली कर सोहे,

नटवर कला देखि मन मोहे।


कंचन थार कपूर की बाती,

हरि आए निर्मल भई छाती।


श्री पुरुषोत्तम गिरवरधारी,

आरती करें सकल ब्रजनारी।


नंदनंदन ब्रजभान किशोरी,

परमानंद स्वामी अविचल जोरी।

Comments

Popular Lyrics / Posts

आ लौट के आजा हनुमान तुम्हे श्री राम बुलाते हैं aa laut ke aaja hanuman tumheshree ram bulate hain

तेरी मुरली की धुन सुनने मैं बरसाने से आयी हूँ

जिस भजन में राम का नाम ना हो jis bhajan me ram ka naam na ho us bhajan ko gana na chahiye