श्री शिव चालीसा / चालीसा

दोहा

अज अनादि अविगत अलख, अकल अतुल अविकार।
बंदौं शिव-पद-युग-कमल अमल अतीव उदार।। 1।।
आर्तिहरण सुखकरण शुभ भक्ति-मुक्ति-दातार।
करौ अनुग्रह दीन लखि अपनो विरद विचार।। 2।।
पर्यो पतित भवकूप महँ सहज नरक आगार।
सहज सुहृद पावन-पतित, सहजहि लेहु उबार।। 3।।
पलक-पलक आशा भर्यो, रह्यो सुबाट निहार।
ढरौ तुरंत स्वभाववश, नेक न करौ अबार।। 4।।


जय शिव शंकर औढरदानी। जय गिरितनया मातु भवानी ।। 1 ।।

सर्वोत्तम योगी योगेश्वर। सर्वलोक-ईश्वर-परमेश्वर।। 2 ।।

सब उर प्रेरक सर्वनियन्ता। उपद्रष्टा भर्ता अनुमन्ता।। 3 ।।

पराशक्ति-पति अखिल विश्वपति। परब्रह्म परधाम परमगति।। 4 ।।

सर्वातीत अनन्य सर्वगत। निजस्वरूप महिमा में स्थितरत।। 5 ।।

अंगभूति-भूषित श्मशानचर। भुंजगभूषण चन्द्रमुकुटधर।। 6 ।।

वृष वाहन नंदी गणनायक। अखिल विश्व के भाग्य विधायक।। 7 ।।

व्याघ्रचर्म परिधान मनोहर। रीछचर्म ओढे गिरिजावर।। 8 ।।

कर त्रिशूल डमरूवर राजत। अभय वरद मुद्रा शुभ साजत।। 9 ।।

तनु कर्पूर-गौर उज्ज्वलतम। पिंगल जटाजूट सिर उत्तम।। 10 ।।

भाल त्रिपुण्ड मुण्डमालाधर। गल रूद्राक्ष-माल शोभाकर।। 11 ।।

विधि-हरी-रूद्र त्रिविध वपुधारी। बने सृजन-पालन-लयकारी।। 12 ।।

तुम हो नित्य दया के सागर। आशुतोष आनन्द-उजागर।। 13 ।।

अति दयालु भोले भण्डारी। अग-जग सब के मंगलकारी।। 14 ।।

सती-पार्वती के प्राणेश्वर। स्कन्द-गणेश-जनक शिव सुखकर।। 15 ।।

हरि-हर एक रूप गुणशीला। करत स्वामि-सेवक की लीला।। 16 ।।

रहते दोउ पूजत पूजवावत। पूजा-पद्धति सबन्हि सिखावत।। 17 ।।

मारूति बन हरि-सेवा कीन्ही। रामेश्वर बन सेवा लीन्ही।। 18 ।।

जग-हित घोर हलाहल पीकर। बने सदाशिव नीलकण्ठ वर।। 19 ।।

असुरासुर शुचि वरद शुभंकर। असुरनिहन्ता प्रभु प्रलयंकर।। 20 ।।

‘नमः शिवायः’ मंत्र पंचाक्षर। जपत मिटत सब क्लेश भयंकर।। 21 ।।

जो नर-नारि रटत शिव-शिव नित। तिनको शिव अति करत परमहित।। 22 ।।

श्रीकृष्ण तप कीन्हो भारी। भये प्रसन्न वर दियो पुरारी।। 23 ।।

अर्जुन संग लड़े किरात बन। दियो पाशुपत-अस्त्र मुदित मन।। 24 ।।

भक्तन के सब कष्ट निवारे। दे निज भक्ति सबन्हि उद्धारे।। 25 ।।

शंखचूड़ जालंधर मारे। दैत्य असंख्य प्राण हर तारे।। 26 ।।

अन्धक को गणपति पद दीन्हों। शुक्र शुक्रपथ बाहर कीन्हों।। 27 ।।

तेहि सजीवनि विद्या दीन्हीं। बाणासुर गणपति गति कीन्हीं।। 28 ।।

अष्टमुर्ति पंचानन चिन्मय। द्वादश ज्योतिर्लिंग ज्योतिर्मय।। 29 ।।

भुवन चतुर्दश व्यापक रूपा। अकथ अचिन्त्य असीम अनूपा।। 30 ।।

काशी मरत जंतु अवलोकी। देत मुक्ति पद करत अशोकी।। 31 ।।

भक्त भगीरथ की रूचि राखी। जटा बसी गंगा सुर साखी।। 32 ।।

रूरू अगस्तय उपमन्यू ज्ञानी। ऋषि दधीचि आदिक विज्ञानी।। 33 ।।

शिवरहस्य शिवज्ञान प्रचारक। शिवहिं परमप्रिय लोकोद्धारक।। 34 ।।

इनके शुभ सुमिरनतें शंकर। देत मुदित हृै अति दुर्लभ वर।। 35 ।।

अति उदार करूणावरूणालय। हरण दैन्य-दारिद्र्य-दुःख-भय।। 36 ।।

तुम्हरो भजन परम हितकारी। विप्र शूद्र सब ही अधिकारी।। 37 ।।

बालक वृद्ध नारि-नर ध्यावहिं। ते अलभ्य शिवपद को पावहिं।। 38 ।।

भेदशून्य तुम सब के स्वामी। सहज-सुहृद सेवक अनुगामी।। 39 ।।

जो जन शरण तुम्हारी आवण। सकल दुरित तत्काल नशावत।। 40 ।।

दोहा

बहन करौ तुम शीलवश, निज जनकौ सब भार।
गनौ न अघ, अघ जाति कछु, सब विधि करौ संभार।।1।।
तुम्हरो शील स्वाभव लखि, जो न शरण तव होय।
तेहि सम कुटिल कुबुद्धि जन, नही कुभाग्य जन कोय।।2।।
दीन-हीन अति मलिन मति, मैं अघ-ओघ अपार।
कृपा-अनल प्रगटौ तुरत, करौ पाप सब क्षार।।3।।
कृपा सुधा बरसाय पुनि, शीतल करौ पवित्र।
राखौ पदकमलनि सदा, हे कुपात्र के मित्र।।4।।

Comments

Popular Lyrics / Posts

लोरी और बालगीत फ़िल्मों से Baby Lori Song Hindi Lyrics

देशभक्ति की कविताओं का संकलन Deshbhakti ki Kavita

सोहर / अवधी

रातां लम्बियां Raataan Lambiyan Lyrics in Hindi – Jubin Nautiyal, Asees Kaur

रामलला नहछू / तुलसीदास

श्री राम चंद्र कृपालु भजमन

बंसी तो बाजी मेरे रंग-महल में / अवधी

विवाह -गीत - मोरे पिछवरवाँ लौंगा कै पेड़वा / अवधी

अबहीं बारी है हमारी उमिरिया बाबा / अवधी

तू मेरी धड़क है हिंदी लिरिक्स Tu Meri Dhadak Hai Lyrics in Hindi – Dhadak 2