Saturday, May 23, 2020

श्री गंगा जी की आरती / आरती

   
ॐ जय गंगे माता श्री जय गंगे माता।
जो नर तुमको ध्याता मनवांछित फल पाता।।

चंद्र सी जोत तुम्हारी जल निर्मल आता।
शरण पडें जो तेरी सो नर तर जाता।।

पुत्र सगर के तारे सब जग को ज्ञाता।
कृपा दृष्टि तुम्हारी त्रिभुवन सुख दाता।।

एक ही बार जो तेरी शारणागति आता।
यम की त्रास मिटा कर परमगति पाता।।

आरती मात तुम्हारी जो जन नित्य गाता।
दास वही सहज में मुक्त्ति को पाता।।

No comments:

Post a Comment

Featured post

यूँही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करो Yunhi Be-Sabab Na Fira Karo Koi Bashir Badr Ghazal

यूँही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करो वो ग़ज़ल की सच्ची किताब है उसे चुपके चुपके पढ़ा करो कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक स...