राम सुमिर राम सुमिर / भजन
राम सुमिर राम सुमिर यही तेरो काज है ॥
मायाको संग त्याग हरिजू की शरण राग ।
जगत सुख मान मिथ्या झूठो सब साज है ॥ १॥
सपने जो धन पछान काहे पर करत मान ।
बारू की भीत तैसे बसुधा को राज है ॥ २॥
नानक जन कहत बात बिनसि जैहै तेरो दास ।
मायाको संग त्याग हरिजू की शरण राग ।
जगत सुख मान मिथ्या झूठो सब साज है ॥ १॥
सपने जो धन पछान काहे पर करत मान ।
बारू की भीत तैसे बसुधा को राज है ॥ २॥
नानक जन कहत बात बिनसि जैहै तेरो दास ।
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