Saturday, May 23, 2020

राम राम राम राम राम राम रट रे / भजन

राम राम राम राम राम राम रट रे ॥
भव के फंद करम बंध पल में जाये कट रे ॥

कुछ न संग ले के आये कुछ न संग जाना ।
दूर का सफ़र है सिर पे बोझ क्यों बढ़ाना ।
मत भटक इधर उधर तू इक जगह सिमट रे ॥
राम राम राम राम राम राम रट रे ॥

राम को बिसार के फिरे है मारा मारा ।
तेरे हाथ नाव राम पास है किनारा ।
राम की शरण में जा चरण से जा लिपट रे ॥
राम राम राम राम राम राम रट रे ॥

No comments:

Post a Comment

Featured post

यूँही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करो Yunhi Be-Sabab Na Fira Karo Koi Bashir Badr Ghazal

यूँही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करो वो ग़ज़ल की सच्ची किताब है उसे चुपके चुपके पढ़ा करो कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक स...