अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में LYRICS
टेर : अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में।
है जीत तुम्हारे हाथों में, है हार तुम्हारे हाथों में ।1।
है जीत तुम्हारे हाथों में…
मेरा निश्चय है बस एक यही, इकबार तुम्हे पा जाऊं मैं।
अर्पण करदूँ दुनिया भर का, सब प्यार तुम्हारे हाथों में ।2।
है जीत तुम्हारे हाथों में…
जो जग में रहूँ तो ऐसे रहूँ, जैसे जल में कमल का फूल रहे।
मेरे अवगुण दोष समर्पण हों, सरकार तुम्हारे हाथों में ।3।
है जीत तुम्हारे हाथों में…
मानुष जनम मिले मुझको तो, तेरे चरणों का पुजारी बनू।
उस पूजा की हो रग रग झंकार तुम्हारे हाथो में ।4।
है जीत तुम्हारे हाथों में…
जब संसार में मिले जन्म, निष्काम भाव से सेवा करूँ।
फिर अंत समय में प्राण तजूं, श्री राम तुम्हारे हाथों में ।5।
है जीत तुम्हारे हाथों में…
मुझ में तुझ में बस भेद यही, मैं नर हूँ तुम नारायण हो।
मैं हूँ संसार के हाथों में, संसार तुम्हारे हाथों में ।6।
अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में।
है जीत तुम्हारे हाथों में, है हार तुम्हारे हाथों में…
है जीत तुम्हारे हाथों में, है हार तुम्हारे हाथों में ।1।
है जीत तुम्हारे हाथों में…
मेरा निश्चय है बस एक यही, इकबार तुम्हे पा जाऊं मैं।
अर्पण करदूँ दुनिया भर का, सब प्यार तुम्हारे हाथों में ।2।
है जीत तुम्हारे हाथों में…
जो जग में रहूँ तो ऐसे रहूँ, जैसे जल में कमल का फूल रहे।
मेरे अवगुण दोष समर्पण हों, सरकार तुम्हारे हाथों में ।3।
है जीत तुम्हारे हाथों में…
मानुष जनम मिले मुझको तो, तेरे चरणों का पुजारी बनू।
उस पूजा की हो रग रग झंकार तुम्हारे हाथो में ।4।
है जीत तुम्हारे हाथों में…
जब संसार में मिले जन्म, निष्काम भाव से सेवा करूँ।
फिर अंत समय में प्राण तजूं, श्री राम तुम्हारे हाथों में ।5।
है जीत तुम्हारे हाथों में…
मुझ में तुझ में बस भेद यही, मैं नर हूँ तुम नारायण हो।
मैं हूँ संसार के हाथों में, संसार तुम्हारे हाथों में ।6।
अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में।
है जीत तुम्हारे हाथों में, है हार तुम्हारे हाथों में…
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