जय जय कपि नायक जन, सुखदायक महावीर बलवाना,Lyrics
जय जय कपि नायक जन, सुखदायक महावीर बलवाना,
जय संकट मोचन भव भय मोचन, मंगल भवन सुजाना ।।1।।
जय जय दुःख हारक जन उपकारक, परमानन्द निधाना,
जय जय अविनाशी आनंद राशि, पवन तनय हनुमाना ।।2।।
जय परम कृपाला नयन विशाला, सुर नर मुनि हितकारी,
जय सब गुण सागर दीन-दयाकर, पापन के अघहारी ।।3।।
जय अधत उधारक दीनन, तारक समरधीर असुरारी,
जय खल दल गंजन विपति, विभंजन हरहु कुसंकट भारी ।।4।।
जय मारुती नंदन जन-मन, रंजन जय प्रभु प्रेम सवरूप,
जय गर्व प्रहारी महिमा भारी, द्रवहु नाथ कवि भूपा ।।5।।
जय इंद्रिय जीता परम पुनिता, ज्ञानी गुणन अनूपा,
जय भक्ति प्रचारक रस विस्तारक, प्रभु प्रिय शंकर रूपा ।।6।।
जय सुन्दर सुरति सेवा मूर्ति, अति सिया राम उपासि,
जय अभिमत दाता दिव्य विधाता, शरणा गत भयनाशी ।।7।।
जय जय बजरंगी संतन संगी, सिय प्रिय चरित प्रकाशी,
जय प्रेम लता के स्वामी सदा के, देहु दरस छविराशि ।।8।।
जय अंजनी नन्दन दुष्ट निकंदन, दीनबंधु दुखहारी,
भक्तन सुखदायक संत सहायक, हरहु विपत हमारी ।।9।।
शिशु खेल मनोहर ग्रस्यो, दिनेश्वर राक्षस दल संहारे,
सुग्रीव के पालक दुर्जन घालक, सिंधु उलंघन हारे ।।10।।
जय संकट मोचन पंकज लोचन, भरत लखन हितकारी,
लंका विध्वंशन रावण मर्दन, गदाधरण गिरधारी ।।11।।
हम संकल दुखी जन चरणन अर्पण, द्वार पड़े सब आए,
अब कर गहिलीजे करुणा कीजे, हरो विधन दुखदाई ।।12।।
निज शक्ति विचारों शीघ्र उबारो, अधिक विलंब ला लाओ,
जय राम दयामय कीजे निर्भय, सब दुःख दर्द मिटाओ ।।13।।
जय संकट मोचन भव भय मोचन, मंगल भवन सुजाना ।।1।।
जय जय दुःख हारक जन उपकारक, परमानन्द निधाना,
जय जय अविनाशी आनंद राशि, पवन तनय हनुमाना ।।2।।
जय परम कृपाला नयन विशाला, सुर नर मुनि हितकारी,
जय सब गुण सागर दीन-दयाकर, पापन के अघहारी ।।3।।
जय अधत उधारक दीनन, तारक समरधीर असुरारी,
जय खल दल गंजन विपति, विभंजन हरहु कुसंकट भारी ।।4।।
जय मारुती नंदन जन-मन, रंजन जय प्रभु प्रेम सवरूप,
जय गर्व प्रहारी महिमा भारी, द्रवहु नाथ कवि भूपा ।।5।।
जय इंद्रिय जीता परम पुनिता, ज्ञानी गुणन अनूपा,
जय भक्ति प्रचारक रस विस्तारक, प्रभु प्रिय शंकर रूपा ।।6।।
जय सुन्दर सुरति सेवा मूर्ति, अति सिया राम उपासि,
जय अभिमत दाता दिव्य विधाता, शरणा गत भयनाशी ।।7।।
जय जय बजरंगी संतन संगी, सिय प्रिय चरित प्रकाशी,
जय प्रेम लता के स्वामी सदा के, देहु दरस छविराशि ।।8।।
जय अंजनी नन्दन दुष्ट निकंदन, दीनबंधु दुखहारी,
भक्तन सुखदायक संत सहायक, हरहु विपत हमारी ।।9।।
शिशु खेल मनोहर ग्रस्यो, दिनेश्वर राक्षस दल संहारे,
सुग्रीव के पालक दुर्जन घालक, सिंधु उलंघन हारे ।।10।।
जय संकट मोचन पंकज लोचन, भरत लखन हितकारी,
लंका विध्वंशन रावण मर्दन, गदाधरण गिरधारी ।।11।।
हम संकल दुखी जन चरणन अर्पण, द्वार पड़े सब आए,
अब कर गहिलीजे करुणा कीजे, हरो विधन दुखदाई ।।12।।
निज शक्ति विचारों शीघ्र उबारो, अधिक विलंब ला लाओ,
जय राम दयामय कीजे निर्भय, सब दुःख दर्द मिटाओ ।।13।।
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