भजमन राम चरण सुखदाई। Lyrics

दोहा : माया सगी न मन सगा सगा न ये संसार,
परस राम या जीव का सगा वो सिरजन हार।
टेर : भजमन राम चरण सुखदाई।
जिन चरणन से निकली सुर सूरी शंकर जटा समाई
जटा शंकरी नाम धरयो है त्रिभुवन तारन आई।
भजमन….
जिन चरन की चरनन पादुका भरत रहे मन लाई
सोई चरण केवट घोलिन्हा तब प्रभु पार लगाई।
भजमन….
सोई चरणन सन्तन जान सेवत रहत सदा सुखदाई,
सोई चरण गौतम ऋषि नारी परसि परम् पद पाई।
भजमन….
दण्डक वन प्रभु पावन कीन्हा ऋषियन त्रास मिटाई,
प्रभु त्रिलोकी के स्वामी कनक मृग संग जाई।
भजमन….
शिव सनकादिक अरु ब्रह्मादिक शेष सहस मुख गाई,
तुलसीदास मारुत सूत लला की निज मुख करत बड़ाई।
भजमन….

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