आप जिन के क़रीब होते हैं Aap Jin Ke Kareeb Hote Hain Nuh Narvi Ghazal

आप जिन के क़रीब होते हैं
वो बड़े ख़ुश-नसीब होते हैं
जब तबीअ’त किसी पर आती है
मौत के दिन क़रीब होते हैं
मुझ से मिलना फिर आप का मिलना
आप किस को नसीब होते हैं
ज़ुल्म सह कर जो उफ़ नहीं करते
उन के दिल भी अजीब होते हैं
इश्क़ में और कुछ नहीं मिलता
सैकड़ों ग़म नसीब होते हैं
‘नूह’ की क़द्र कोई क्या जाने
कहीं ऐसे अदीब होते हैं

 

 

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