Thursday, March 8, 2018

1942 ऐ लव स्टोरी / एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा

एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा
जैसे खिलता गुलाब
जैसे शायर का ख्वाब
जैसे उजली किरन
जैसे बन में हिरन
जैसे चाँदनी रात
जैसे नरमी की बात
जैसे मन्दिर में हो एक जलता दिया
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा!

एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा
जैसे सुबह का रूप
जैसे सरदी की धूप
जैसे वीणा की तान
जैसे रंगों की जान
जैसे बल खाये बेल
जैसे लहरों का खेल
जैसे खुशबू लिये आये ठंडी हवा
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा!

एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा
जैसे नाचता मोर
जैसे रेशम की डोर
जैसे परियों का राग
जैसे सन्दल की आग
जैसे सोलह श्रृंगार
जैसे रस की फुहार
जैसे आहिस्ता आहिस्ता बढ़ता नशा
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा!

No comments:

Post a Comment

Featured post

यूँही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करो Yunhi Be-Sabab Na Fira Karo Koi Bashir Badr Ghazal

यूँही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करो वो ग़ज़ल की सच्ची किताब है उसे चुपके चुपके पढ़ा करो कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक स...