Thursday, March 8, 2018

1942 ऐ लव स्टोरी / रिम झिम रिम झिम

रिम झिम रिम झिम, रुम झुम रुम झुम
भीगी भीगी रुत में, तुम हम हम तुम
चलते हैं चलते हैं

बजता है जलतरंग, टीन की छत पे जब
मोतियों जैसा जल बरसे
बूँदों की ये झड़ी, लाई है वो घड़ी
जिसके लिये हम तरसे

बादल की चादरें, ओढ़े हैं वादीयां
सारी दिशाऐं सोई हैं
सपनों के गाओं, में भीगी सी छाँव में
दो आत्माएं खोई हैं

आई हैं देखने, झीलों के आइने
बालों को खोले घटाएं
राहें धुआँ धुआँ, जाएंगे हम कहाँ
आओ यहीं रह जाएं

No comments:

Post a Comment

Featured post

यूँही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करो Yunhi Be-Sabab Na Fira Karo Koi Bashir Badr Ghazal

यूँही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करो वो ग़ज़ल की सच्ची किताब है उसे चुपके चुपके पढ़ा करो कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक स...