Saturday, March 10, 2018

Satrangi Re – Dil Se

Movie: Dil Se
Year: 1998
Director: Mani Ratnam
Music: A.R. Rahman
Lyrics: Gulzar
Singers: A.R. Rahman

तू ही तू, तू ही तू सतरंगी रे
तू ही तू, तू ही तू मनरंगी रे
तू ही तू, तू ही तू सतरंगी रे
तू ही तू, तू ही तू मनरंगी रे
दिल का साया हमसाया सतरंगी रे मनरंगी रे
कोई नूर है तू क्यूँ दूर है तू
जब पास है तू, एहसास है तू
कोई ख्वाब है या फिर परछाई है सतरंगी रे
सतरंगी रे
इस बार बता मुंह ज़ोर हवा ठहरेगी कहाँ

इश्क कर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश ग़ालिब
जो लगाये ना लगे और बुझाये ना बने
जो लगाये ना लगे और बुझाये ना बने
इश्क कर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश ग़ालिब

आन्खोने ने कुछ ऐसा छुआ हल्का हल्का उन्स हुआ
हल्का हल्का उन्स हुआ दिल को महसूस हुआ
तू ही तो, तू ही तो जीने की सारी खुशबू
तू ही तू, तू ही तू आरज़ू आरज़ू
तेरे जिस्म की आंच को छूते ही
मेरे सांस सुलगने लगते हैं
मुझे इश्क दिलासे देता है
मेरे दर्द पिलाघने लगते हैं

तू ही तो, तू ही तो जीने की सारी खुशबू
तू ही तू, तू ही तू आरज़ू आरज़ू
छूती है मुझे सरगोशी से
आँखों में घुली खामोशी से
मैं फर्श पे सजदे करता हूँ
कुछ होश में कुछ बेहोशी से

दिल का साया हमसाया सतरंगी रे मनरंगी रे
कोई नूर है तू क्यूँ दूर है तू
जब पास है तू, एहसास है तू
कोई ख्वाब है या फिर परछाई है सतरंगी रे

तेरी राहों में उलझा उलझा हूँ
तेरी बाहों में उलझा उलझा
सुलझाने दे होश मुझे
तेरी चाहों में उलझा हूँ
तेरी राहों में उलझा उलझा हूँ
तेरी बाहों में उलझा उलझा
सुलझाने दे होश मुझे
तेरी चाहों में उलझा हूँ
मेरा जीना जूनून मेरा मरना जूनून
अब इसके सिवा नहीं कोई सुकून
मेरा जीना जूनून मेरा मरना जूनून
अब इसके सिवा नहीं कोई सुकून
मेरा जीना जूनून मेरा मरना जूनून
तू ही तू, तू ही तू सतरंगी रे
तू ही तू, तू ही तू मनरंगी रे
तू ही तू, तू ही तू सतरंगी रे
तू ही तू, तू ही तू मनरंगी रे

इश्क कर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश ग़ालिब
जो लगाये ना लगे और बुझाये ना बने
जो लगाये ना लगे और बुझाये ना बने
इश्क कर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश ग़ालिब

मुझे मौत की गोद में सोने दे
मुझे मौत की गोद में सोने दे
मुझे मौत की गोद में सोने दे
तेरी रूह में जिस्म दिबोने दे
तेरी रूह में जिस्म दिबोने दे
सतरंगी रे मनरंगी रे
सतरंगी रे मनरंगी रे

No comments:

Post a Comment

Featured post

यूँही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करो Yunhi Be-Sabab Na Fira Karo Koi Bashir Badr Ghazal

यूँही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करो वो ग़ज़ल की सच्ची किताब है उसे चुपके चुपके पढ़ा करो कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक स...