Friday, October 25, 2024

जो तुम मेरे हो हिंदी लिरिक्स Jo Tum Mere Ho Lyrics in Hindi – Anuv Jain


Jo Tum Mere Ho Lyrics in Hindi, sung by Anuv Jain. The song is written by Anuv Jain and music composed by Angad Bahra.

Jo Tum Mere Ho Song Details


हैरान हूँ

कि कुछ भी ना माँगूँ कभी मैं

जो तुम मेरे हो


ऐसा हो क्यूँ?

कि लगता है हासिल सभी हैं

जो तुम मेरे हो


जो तुम मेरे हो

तो मैं कुछ नहीं माँगूँ

दुनिया से


और तुम हो ही नहीं

तो मैं जीना नहीं चाहूं

दुनिया में


और नज़रों में मेरे

एक जहाँ है

जहां तू और मैं

अब साथ हैं


और वहाँ कोई नहीं

तू और मैं ही हैं


और आओगे ऐसे आओगे

तेरी मेरी क्या ये राहें

यूँ जुड़ी हैं


और राहों में ही

जो तुम आए कभी

हम तो प्यार से ही

मर जाएंगे


और आओगे ऐसे आओगे

तेरी मेरी अब ये राहें

यूँ जुड़ी हैं


और राहों में ही

जो तुम आए नहीं

हम तो फिर भी

तुम्हें ही चाहेंगे


जो तुम मेरे हो

तो मैं कुछ नहीं माँगूँ

दुनिया से


पूछे ये तू

कि तुझमें मैं क्या देखता हूँ?

जब चारों तरफ

आज कितने ही सारे नज़ारे हैं


जाने न तू

खुद को यूँ न जाने क्यूँ?

नज़रों से मेरी यहाँ

देखो ना खुद को ज़रा


देखो ना देखो ना ज़ुल्फ़ों से

कैसे ज़ुल्फ़ों से

तेरी छुपती प्यारी प्यारी सी

मुस्कान है


और नज़रें झुकी

और नज़रें उठी

तो मैं क्या ही करूँ?

बर्बाद मैं


तेरे होंठों को

तेरे होंठों को

जिनसे रखती मेरे

प्यारे प्यारे नाम है


और दिल का तेरे

और दिल का तेरे

अब मैं क्या ही कहूँ?

क्या बात है


और हाँ देखो यहाँ

कैसे आई 2 दिलों की

ये बारात है



पर क्या खुला आसमान

या फिर लाई यहाँ ज़ोरों से

बरसात है?


चाहे हो छाए भी बादल तो

चाहे फिर भी तुम्हें

क्या पता तुमको?


माँगूँ ना कुछ और जो

तुम मेरे हो

हाँ हाँ हाँ


Jo tum mere ho


नादानियां अक्षत सॉन्ग लिरिक्स इन हिंदी कैसे तू गुनगुनाए

nadaaniyan (Full Song & Lyrics) - Akshath 

nadaaniyan Lyrics in hindi


कैसे तू गुनगुनाए, मुस्कुराए

छोटी-मोटी बातों पे मुँह फुलाए

ये नज़ाकत, मेरी आदत पास मुझे लाए


नादानियाँ, नादानियाँ

खींचें मुझे नादानियाँ

नादानियाँ, नादानियाँ

पागल करे तेरी हर अदा


शाम-ओ-सुबह मैं तेरी याद करूँ

तेरे ख़यालों से मैं बात करूँ

तेरी नज़र में ये कैसा नशा?

तेरी आवाज़ में ये कैसा सुकूँ?


दिल के सारे इशारों पे

बस तेरा ही नाम है


कैसे तू गुनगुनाए, मुस्कुराए

छोटी-मोटी बातों पे मुँह फुलाए

ये नज़ाकत, मेरी आदत पास मुझे लाए


नादानियाँ, नादानियाँ

खींचें मुझे नादानियाँ

नादानियाँ, नादानियाँ

पागल करे तेरी हर अदा


आजा पास मेरे, लिखें १०० कहानियाँ

तू जो साथ मेरे, लगे जहाँ पा लिया


तेरी साँसों में बीते हर पल मेरा

तेरी आँखों में देखूँ हर कल मेरा

कभी होना नहीं दूर, ओ, जान-ए-जाँ

ज़रा पास तो आ फिर से दोहरा



दिल के सारे इशारों पे

बस तेरा ही नाम है


नादानियाँ, नादानियाँ

खींचें मुझे नादानियाँ

नादानियाँ, नादानियाँ

पागल करे तेरी हर अदा


Writer(s): Akshath


Nadaniya akshat


स्त्री 2 लिरिक्स हिंदी Stree 2 All Song Lyrics in Hindi and English

Khoobsurat (Full Song & Lyrics) - Amitabh Bhattacharya, Sachin-Jigar, Vishal Mishra - 

Stree 2

Khoobsurat Lyrics in Hindi – Amitabh Bhattacharya


जो देखे एक बार को

पलट के बार बार वो

ख़ुदा जाने क्यों तुझे

देखने लगता है


सच बोलूं ईमान से

ख़बर है आसमान से

हैरत में चाँद भी

तुझको तकता है


के कोई इतना खूबसूरत

कोई इतना खूबसूरत

कोई इतना खूबसूरत

कैसे हो सकता है


के कोई इतना खूबसूरत

कोई इतना खूबसूरत

कोई इतना खूबसूरत

कैसे हो सकता है


खूबसूरती पर तेरी

खुदको मैंने क़ुर्बान किया

मुस्कुरा के देखा तुने

दीवाने पर एहसान किया


खूबसूरती पर तेरी

खुदको मैंने क़ुर्बान किया

मुस्कुरा के देखा तुने

दीवाने पर एहसान किया


धूप भी तेरे रूप के

सोनें पे क़ुर्बान हुई है

तेरी रंगत पे खुद

होली की रुत हैरान हुई है


तुझको चलते देखा तो

हिरनों ने सीखा चलना

तुझे ही सुनके कोयल

को सुर की पहचान हुई है


तुझसे दिल लगाए जो

उर्दू ना भी आये तो

शख़्स वो शायरी करने लगता है


के कोई इतना खूबसूरत

कोई इतना खूबसूरत

कोई इतना खूबसूरत

कैसे हो सकता है


कोई इतना खूबसूरत

कोई इतना खूबसूरत

कोई इतना खूबसूरत

कैसे हो सकता है


खूबसूरती पर तेरी

खुदको मैंने क़ुर्बान किया

मुस्कुरा के देखा तुने

दीवाने पर एहसान किया


खूबसूरती पर तेरी

खुदको मैंने क़ुर्बान किया

मुस्कुरा के देखा तुने

दीवाने पर एहसान किया


खूबसूरती पर तेरी

खुदको मैंने क़ुर्बान किया

मुस्कुरा के देखा तुने

दीवाने पर एहसान किया


कोई इतना

कोई इतना

कोई इतना

कोई इतना

कोई इतना

खूबसूरत कैसे हो सकता है



Khoobsurat Lyrics


Jo dekhe ek baar ko palat ke baar-baar woh

Khuda jaane, kyun tujhe dekhne lagta hai

Sach boloon eemaan se, khabar hai aasmaan se

Hairat mein chaand bhi tujhko takta hai


Ke koi itna khoobsurat, koi itna khoobsurat

Koi itna khoobsurat kaise ho sakta hai?

Ke koi itna khoobsurat, koi itna khoobsurat

Koi itna khoobsurat kaise ho sakta hai?


(Khoobsurati par teri khud ko maine qurbaan kiya)

(Muskura ke dekha tune, deewane par ehsaan kiya)

(Khoobsurati par teri khud ko maine qurbaan kiya)

(Muskura ke dekha tune, deewane par ehsaan kiya)


Koi itna khoobsurat, koi itna khoobsurat

Koi itna khoobsurat kaise ho sakta hai?


Dhoop bhi tere roop ke (sone pe qurbaan huyi hai)

Teri rangat pe khud (Holi ki rut hairaan huyi hai)

Tujhko chalte dekha...

Tujhko chalte dekha (tab hiranon ne seekha chalna)

Tujhe hi sunke koyal ko sur ki pehchaan huyi hai


Tujhse dil lagaye jo, Urdu na bhi aaye toh

Shakhs woh shayari karne lagta hai


Ke koi itna khoobsurat, koi itna khoobsurat

Koi itna khoobsurat kaise ho sakta hai?

Koi itna khoobsurat, koi itna khoobsurat

Koi itna khoobsurat kaise ho sakta hai?


(Khoobsurati par teri khud ko maine qurbaan kiya)

(Muskura ke dekha tune, deewane par ehsaan kiya)


(Khoobsurati par teri khud ko maine qurbaan kiya) koi itna khoobsurat

(Muskura ke dekha tune, deewane par ehsaan kiya) koi itna khoobsurat

(Khoobsurati par teri khud ko maine qurbaan kiya) koi itna, koi itna, koi itna, koi itna

(Muskura ke dekha tune...) koi itna khoobsurat kaise ho sakta hai?


Writer(s): Amitabh Bhattacharya


Aaj Ki Raat Lyrics in Hindi – Amitabh Bhattacharya


थोड़ी फुर्सत भी मेरी जान कभी
बाहों को दीजिए
थोड़ी फुर्सत भी मेरी जान कभी
बाहों को दीजिए

आज की रात हुस्न का
आंखों से मजा लीजिए
आज की रात हुस्न का
आंखों से लीजिए

वक्त बर्बाद ना बिन बात की
बातों में कीजिये
वक्त बर्बाद ना बिन बात की
बातों में कीजिये

आज की रात मजा हुस्न का
आंखों से लीजिए
आज की रात मजा हुस्न का
आंखों से लीजिए

जान की कुर्बानी
ले ले दिलबर जानी
तबाही पक्की है
आग तू मैं पानी

जान की कुर्बानी
ले ले दिलबर जानी
तबाही पक्की है
आग तू मैं पानी

मेरे मेहबूब समझिये जरा
मौके की नजाकत
मेरे मेहबूब समझिये जरा
मौके की नजाकत

के खरीदी नहीं जा सकती
हसीनों की इजाज़त
के खरीदी नहीं जा सकती
हसीनों की इजाज़त

नाज़ इतना मेरी जान
नाज़ इतना भी नहीं
खोखले वादों पे कीजिये

आज की रात हुस्न का
आंखों से मजा लीजिए
आज की रात हुस्न का
आंखों से लीजिए

जान की कुर्बानी
ले ले दिलबर जानी
तबाही पक्की है
आग तू मैं पानी

जान की कुर्बानी
ले ले दिलबर जानी
तबाही पक्की है
आग तू मैं पानी 

Aaj Ki Raat (Full Song & Lyrics) - Amitabh Bhattacharya, Sachin-Jigar, Madhubanti Bagchi, Divya Kumar 

Aaj Ki Raat Lyrics


thodee fursat bhee, meri jaan, kabhi banhon ko dijie

thodee fursat bhee, meri jaan, kabhi banhon ko dijie

aaj kee raat mazaa husn ka aankhon se lijie

aaj kee raat mazaa husn ka aankhon se lijie


vaqt barbaad naa bin baath kee baathon mein kiijie

vaqt barbaad naa bin baath kee baathon mein kiijie

aaj kee raat mazaa husn ka aankhon se lijie

aaj kee raat mazaa husn ka aankhon se lijie


o, jaan kee qurbaani le-le, dilbar-jaani

tabaahi pakki hai, aag too, main paani

jaan kee qurbaani le-le, dilbar-jaani

tabaahi pakki hai, aag too, main paani


mere mehboob, samajhie zaraa mauqe kee nazaakat

aa, mere mehboob, samajhie zaraa mauqe kee nazaakat

ke khridi nahin jaa sakati haseenon kee ijaazat

ke khridi nahin jaa sakati haseenon kee ijaazat


naaz itana..., meri jaan

naaz itana bhee nahin khokhale vaadon pe kiijie

aaj kee raat mazaa husn ka aankhon se lijie

aaj kee raat mazaa husn ka aankhon se lijie


o, jaan kee qurbaani le-le, dilbar-jaani

tabaahi pakki hai, aag too, main paani

jaan kee qurbaani le-le, dilbar-jaani

tabaahi pakki hai, aag too, main paani


Writer(s): Amitabh Bhattacharya


Aayi Nai Lyrics in Hindi – Amitabh Bhattacharya


झूठी खाई थी क़सम जो निभाई नई

झूठी खाई थी क़सम जो निभाई नई

झूठी खाई थी क़सम जो निभाई नई


काटी रात मैंने खेतों में तू आई नई

काटी रात मैंने खेतों में तू आई नई

काटी रात मैंने खेतों में तू आई नई


ले के आया भी मैं घर से रजाई नई

ले के आया भी मैं घर से रजाई नई


नहीं आई आई आई तू तो आई नई

हो नहीं आई आई आई तू तो आई नई

हो काटी रात मैंने खेतों में तू आई नई


निकल रही थी मैं तो सज के संवर के

टोका मेरी अम्मा ने आँखें बड़ी कर के

हो बोली मुझे क्यों री कहां चली कलमुई

खेतों में कुंवारी छोरी जाती नहीं यूंही

ऐसे लड़के जो खेतों में बुलाते हैं


हाँ


ऐसे लड़के जो खेतों में बुलाते हैं

बेटी बनते कभी भी वो जमाई नई

काटी रात मैंने खेतों में तू आई नई

हो काटी रात मैंने खेतों में तू आई नई


हो ढल जाए रे जवानी इंतज़ार में

हो ढल जाए रे जवानी तेरे प्यार में

तेरे चक्कर में दूसरी पटाई नई

तेरे चक्कर में दूसरी पटाई नई

तेरे चक्कर में दूसरी पटाई नई


काटी रात मैंने खेतों में तू आई नई

हो काटी रात मैंने खेतों में तू आई नई

हो आई आई आई आई तू तो आई नई

हो काटी रात मैंने खेतों में तू आई नई


ओह उई माँ उई माँ उई माँ

ओह उई माँ उई माँ उई माँ

ओह उई माँ उई माँ उई माँ

ओह उई माँ उई माँ उई माँ


Aayi Nai (Full Song & Lyrics) - Amitabh Bhattacharya, Sachin-Jigar, Pawan Singh, Simran Choudhary, Divya Kumar 

Aayi Nai Lyrics


Jhoothi khaayi thi qasam jo nibhaayi nahin

O, jhoothi khaayi thi qasam jo nibhaayi nahin

Jhoothi khaayi thi qasam jo nibhaayi nahin

Kaati raat maine kheton mein, tu aayi nahin

Kaati raat maine kheton mein, tu aayi nahin

Ho, kaati raat maine kheton mein, tu aayi nahin


Haan, leke aaya bhi main ghar se rajaayi nahin

Leke aaya bhi main ghar se rajaayi nahin

Nahin aayi, aayi, aayi, tu toh aayi nahin

Ho, nahin aayi, aayi, aayi, tu toh aayi nahin

Ho, kaati raat maine kheton mein, tu aayi nahin


O-o, o, ooi maa, ooi maa, ooi maa

O, ooi maa, ooi maa, ooi maa

O, ooi maa, ooi maa, ooi maa

O, ooi maa, ooi maa


Nikal rahi thi main toh saj ke, sanwar ke

Toka meri amma ne aankhein badi kar ke

Ho, boli mujhe, "Kyon ri kahaan chali, kalmuhi?

Kheton mein kunwari chhori jaati nahin yoon hi"


Aise ladke jo kheton mein bulaate hain

Haan, aise ladke jo kheton mein bulaate hain

Beti, bante kabhi bhi woh jamaayi nahin


Kaati raat maine kheton mein, tu aayi nahin

Ho, nahin aayi, aayi, aayi, tu toh aayi nahin


Ho, jaane yeh deewana palkein bichhaana

Aata hai tujhe bas karna bahaana

Sun ke duhaayi aayi re qayaamat

Phir bhi hua na kabhi tera aana


Dhali jaaye re jawani intezaar mein

Haan, dhali jaaye re jawani intezaar mein

Tere chakkar mein doosri pataayi nahin


Kaati raat maine kheton mein, tu aayi nahin

Ho, kaati raat maine kheton mein, tu aayi nahin

Ho, nahin aayi, aayi, aayi, tu toh aayi nahin

Ho, kaati raat maine kheton mein, tu aayi nahin


O-o, o, ooi maa, ooi maa, ooi maa

O, ooi maa, ooi maa, ooi maa

O, ooi maa, ooi maa, ooi maa

O, ooi maa, ooi maa, ooi maa


Writer(s): Amitabh Bhattacharya


Tumhare Hi Rahenge Hum Lyrics in Hindi – Amitabh Bhattacharya


फिर से मिलने की जहाँ पे

दे गए थे तुम कसम

देख लो आकर वहीं पे

आज भी बैठे हुए हैं हम


तुम्हारे थे, तुम्हारे हैं

तुम्हारे ही रहेंगे हम

तुम्हारे थे, तुम्हारे हैं

तुम्हारे ही रहेंगे हम


मुद्दतें भी चंद लम्हों

जैसी लगती हैं सनम

बात ही ऐसी तुम्हारे

इश्क में कुछ है मेरे हमदम


तुम्हारे थे, तुम्हारे हैं

तुम्हारे ही रहेंगे हम

तुम्हारे थे, तुम्हारे हैं

तुम्हारे ही रहेंगे हम


वादा था कब का अब जा के आए

फिर भी गनीमत आए तो है

वादा था कब का अब जा के आए

फिर भी गनीमत आए तो है


आइए आइए शौक से आइए

आइए आके इस बार ना जाइए


बिछड़ के भी हमसफर से

वफा जो कर पाए हैं

इस आतिश के समंदर से

वही तो गुजर पाए हैं


नहीं मिली हीर तो क्या

रहे उसी के वो फिर भी

तभी रांझे वही सच मायने में

कहलाए हैं, कहलाए हैं


वही सच्ची मोहब्बत है

कभी होती नहीं जो कम

तुम्हारे थे, तुम्हारे हैं

तुम्हारे ही रहेंगे हम


वादा था कब का अब जा के आए

फिर भी गनीमत आए तो है

वादा था कब का अब जा के आए

फिर भी गनीमत आए तो है


आइए आइए शौक से आइए

आइए आके इस बार ना जाइए


Tumhare Hi Rahenge Hum (Full Song & Lyrics) - Amitabh Bhattacharya, Sachin-Jigar, Varun Jain, Shilpa Rao 

Tumhare Hi Rahenge Hum Lyrics


Phir se milne ki jahaan pe

De gaye the tum qasam

Dekh lo aa kar, wahin pe

Aaj bhi baithe huye hain hum


Tumhare the, tumhare hain

Tumhare hi rahenge hum

Tumhare the, tumhare hain

Tumhare hi rahenge hum


Muddatein bhi chand lamhon

Jaisi lagti hain, sanam

Baat hi aisi tumhare

Ishq mein kuchh hai, mere humdum


Tumhare the, tumhare hain

Tumhare hi rahenge hum

Tumhare the, tumhare hain

Tumhare hi rahenge hum


Ho, vaada tha kab ka, ab ja ke aaye

Phir bhi ganeemat, aaye toh hain

Vaada tha kab ka, ab ja ke aaye

Phir bhi ganeemat, aaye toh hain

Aaiye, aaiye, shauq se aaiye

Aaiye, aa ke iss baar na jaaiye


Bichhad ke bhi humsafar se

Wafa jo kar paaye hain

Iss aatish ke samundar se

Wahi toh guzar paaye hain


Nahin mili Heer toh kya?

Rahein usi ke woh phir bhi

Tabhi Ranjhe wahi sach maayne mein

Kehlaaye hain, kehlaaye hain


Wahi sachchi mohabbat hai

Kabhi hoti nahin jo kam

Tumhare the, tumhare hain

Tumhare hi rahenge hum


Ho, vaada tha kab ka, ab ja ke aaye

Phir bhi ganeemat, aaye toh hain

Vaada tha kab ka, ab ja ke aaye

Phir bhi ganeemat, aaye toh hain

Aaiye, aaiye, shauq se aaiye

Aaiye, aa ke iss baar na jaaiye


(Tumhare the, tumhare hain)

(Tumhare hi rahenge hum)

Tumhare the

Tumhare hi rahenge hum


Writer(s): Amitabh Bhattacharya


Thursday, October 24, 2024

सहजोबाई के दोहे Sahjobai Ke Dohe

सहजोबाई

सहजोबाई

  1. सहजोबाई का परिचय
    • सहजोबाई की जीवनी और विशेषताएँ
    • गुरु-भक्ति का महत्व
  2. सहजोबाई के दोहे

सहजोबाई का परिचय

सहजोबाई (1725-1805 ई.) मध्यकालीन भक्ति आन्दोलन की एक महत्त्वपूर्ण संत-भक्त कवयित्री थीं जिस सीधे, सहज और सरल ढंग से अपनी बात कहती हैं वह उन्हें बाकी संत-भक्त कवियों से अलग और ख़ास बनाता है। उनकी एक और विशेषता है उनकी गुरु-भक्ति। गुरु के सम्बन्ध में उनकी धारणा है कि – ‘गुरु न तजूँ हरि को तज डारूँ’ अर्थात् गुरु को नहीं छोड़ूँगी, भले ही इसके लिए ईश्वर को छोड़ना पड़े।

सहजोबाई के दोहे

प्रेम दिवाने जो भये

प्रेम दिवाने जो भये, मन भयो चकना चूर।
छके रहे घूमत रहैं, सहजो देखि हज़ूर॥

सहजोबाई कहती हैं कि जो व्यक्ति ईश्वरीय-प्रेम के दीवाने हो जाते हैं, उनके मन की सांसारिक वासनाएँ-कामनाएँ एकदम चूर-चूर हो जाती हैं। ऐसे लोग सदा आनंद से तृप्त रहते हैं तथा संसार में घूमते हुए परमात्मा का साक्षात्कार कर लेते हैं।

प्रेम लटक दुर्लभ महा

प्रेम लटक दुर्लभ महा, पावै गुरु के ध्यान।
अजपा सुमिरण कहत हूं, उपजै केवल ज्ञान॥

सहजो कहती हैं कि ईश्वरीय प्रेम की अनुभूति अत्यन्त दुर्लभ है। वह सद्गुरु के ध्यान से ही मिलती है। इसलिए स्थिर मन से ईश्वर एवं गुरु का स्मरण-ध्यान करना चाहिए, क्योंकि उसी से ईश्वरीय ज्ञान की साक्षात् अनुभूति हो पाती है।

अड़सठ तीरथ गुरु चरण

अड़सठ तीरथ गुरु चरण, परवी होत अखंड।
सहजो ऐसो धामना, सकल अंड ब्रह्मंड॥

सद्गुरु के चरणों में सारे अड़सठ पवित्र तीर्थ रहते हैं, अर्थात उनके चरण अड़सठ तीर्थों के समान पवित्र एवं पूज्य है। उनका पुण्यफल पवित्रतम है। इस समस्त संसार में ऐसा कोई धाम या तीर्थ नहीं है जो सद्गुरु के चरणों में नहीं है।

गुरुवचन हिय ले धरो

गुरुवचन हिय ले धरो, ज्यों कृपणन के दाम।
भूमिगढ़े माथे दिये, सहजो लहै न राम॥

सहजो कहती हैं कि सुगंधित सुंदर फूलों की माला के समान सद्गुरु के वचनों को हदय में धारण करना चाहिए। अतीव विनम्रता रखकर, सहर्ष मन में धारण कर सद्गुरु-वचनों को अपनाने से ईश्वर की प्राप्ति हो जाती है।

मन में तो आनंद है

मन में तो आनंद है, तनु बौरा सबअंग।
ना काहू के संग है, सहजो ना कोई संग॥

सहजोबाई कहती हैं कि मन में भगवत्प्रेम से अनुभूत आनंद छा जाने पर शरीर के सब अंग भाव-मग्न हो जाते हैं। उस दशा में न तो किसी के साथ रहने की ज़रूरत पड़ती है और न कोई संगी-साथी रह पाता है। अर्थात् ईश्वरी प्रेमानन्द में बाहरी साधन व्यर्थ हो जाते हैं।

जो आवै सत्संग में

जो आवै सत्संग में, जात वर्ण कुलखोय।
सहजो मैल कुचील जल, मिलै सुगंगा होय॥

सहजो कहती हैं कि जैसे एकदम मैला-गंदा पानी गंगा में मिले जाने पर उसी के समान पवित्र हो जाता है, उसी प्रकार संत जनों की संगति से कौआ अर्थात् मूर्ख व्यक्ति भी हंस अर्थात् ज्ञानी-विवेकी बन जाता है।

सब तीरथ गुरु के चरन

सब तीरथ गुरु के चरन, नितही परवी होय।
सहजो चरणोदक लिये, पाप रहत नहिं कोय॥

सहजो कहती हैं कि गुरुजी के चरणों में सारे तीर्थ मौजूद रहते हैं तथा उनकी सेवा करने से सदा पर्व का फल मिलता है। आशय यह है कि गुरु-चरणों की सेवा करना पुण्यदायी रहता है। सद्गुरु के चरणोदक लेने से कोई भी पाप शेष नहीं रहता है।

मीरा बाई की कहानी mirabai ki katha

 मीरा बाई की कहानी - मीराबाई भक्तिकाल की एक ऐसी संत हैं, जिनका सबकुछ कृष्ण के लिए समर्पित था। मीरा का कृष्ण प्रेम ऐसा था कि वह उन्हें अपना पति मान बैठी थीं। भक्ति की ऐसी चरम अवस्था कम ही देखने को मिलती है। आइए जानें मीराबाई के जीवन की कुछ रोचक बातें:


मीराबाई भक्तिकाल की एक ऐसी संत हैं, जिनका सब कुछ कृष्ण के लिए समर्पित था। यहां तक कि कृष्ण को ही वह अपना पति मान बैठी थीं। भक्ति की ऐसी चरम अवस्था कम ही देखने को मिलती है। आइए जानें मीराबाई के जीवन की कुछ रोचक बातें:

Meera bai story kahani



मीराबाई के बालमन में कृष्ण की ऐसी छवि बसी थी कि किशोरावस्था से लेकर मृत्यु तक उन्होंने कृष्ण को ही अपना सब कुछ माना। जोधपुर के राठौड़ रतनसिंह जी की इकलौती पुत्री मीराबाई का जन्म सोलहवीं शताब्दी में हुआ था। बचपन से ही वह कृष्ण-भक्ति में रम गई थीं।


मीराबाई के बचपन में हुई एक घटना की वजह से उनका कृष्ण-प्रेम अपनी चरम अवस्था तक पहुंचा। एक दिन उनके पड़ोस में किसी बड़े आदमी के यहां बारात आई। सभी औरतें छत पर खड़ी होकर बारात देख रही थीं। मीरा भी बारात देखने लगीं। बारात को देख मीरा ने अपनी माता से पूछा कि मेरा दूल्हा कौन है? इस पर उनकी माता ने कृष्ण की मूर्ति की ओर इशारा कर के कह दिया कि यही तुम्हारे दूल्हा हैं। बस यह बात मीरा के बालमन में एक गांठ की तरह बंध गई।


बाद में मीराबाई की शादी महाराणा सांगा के पुत्र भोजराज, जो आगे चलकर महाराणा कुंभा कहलाए, से कर दी गई।


मीरा ने गुरु के बारे में कहा है कि बिना गुरु धारण किए भक्ति नहीं होती। भक्तिपूर्ण इंसान ही प्रभु प्राप्ति का भेद बता सकता है। वही सच्चा गुरु है। स्वयं मीरा के पद से पता चलता है कि उनके गुरु रैदास थे।

इस शादी के लिए पहले तो मीराबाई ने मना कर दिया, लेकिन जोर देने पर वह फूट-फूट कर रोने लगीं। शादी के बाद विदाई के समय वे कृष्ण की वही मूर्ति अपने साथ ले गईं, जिसे उनकी माता ने उनका दूल्हा बताया था।

ससुराल में अपने घरेलू कामकाज निबटाने के बाद मीरा रोज कृष्ण के मंदिर चली जातीं और कृष्ण की पूजा करतीं, उनकी मूर्ति के सामने गातीं और नृत्य करतीं। उनके ससुराल वाले तुलजा भवानी यानी दुर्गा को कुल-देवी मानते थे। जब मीरा ने कुल-देवी की पूजा करने से इनकार कर दिया तो परिवार वालों ने उनकी श्रद्धा-भक्ति को मंजूरी नहीं दी। मीराबाई की ननद उदाबाई ने उन्हें बदनाम करने के लिए उनके खिलाफ एक साजिश रची। उसने राणा से कहा कि मीरा का किसी के साथ गुप्त प्रेम है और उसने मीरा को मंदिर में अपने प्रेमी से बात करते देखा है।


राणा कुंभा अपनी बहन के साथ आधी रात को मंदिर गया। वह मंदिर का दरवाजा तोड़ कर अंदर पहुंचा और देखा कि मीरा अकेले ही कृष्ण की मूर्ति के सामने परम आनंद की अवस्था में बैठी मूर्ति से बातें कर रही थीं और मस्ती में गा रही थीं। राणा मीरा पर चिल्लाया - ’मीरा, तुम जिस प्रेमी से अभी बातें कर रही हो, उसे मेरे सामने लाओ।’ मीरा ने जवाब दिया – ‘वह सामने बैठा है - मेरा स्वामी - नैनचोर, जिसने मेरा दिल चुराया है, और वह समाधि में चली गईं। इस घटना से राणा कुंभा का दिल टूट गया, लेकिन फिर भी उसने एक अच्छे पति की भूमिका निभाई और मरते दम तक मीरा का साथ दिया।


हालांकि मीरा को राजगद्दी की कोई चाह नहीं थी, फिर भी राणा के संबंधी मीरा को कई तरीकों से सताने लगे। कृष्ण के प्रति मीरा का प्रेम शुरुआत में बेहद निजी था, लेकिन बाद में कभी-कभी मीरा के मन में प्रेमानंद इतना उमड़ पड़ता था कि वह आम लोगों के सामने और धार्मिक उत्सवों में नाचने-गाने लगती थीं। वे रात में चुपचाप चित्तौड़ के किले से निकल जाती थीं और नगर में चल रहे सत्संग में हिस्सा लेती थीं। मीरा का देवर विक्रमादित्य, जो चित्तौड़गढ़ का नया राजा बना, बहुत कठोर था। मीरा की भक्ति, उनका आम लोगों के साथ घुलना-मिलना और नारी-मर्यादा के प्रति उनकी लापरवाही का उसने कड़ा विरोध किया। उसने मीरा को मारने की कई बार कोशिश की।


विवाह का मतलब यही है कि आप एक इंसान के लिए अपनी हर चीज समर्पित कर दें, अपना शरीर, अपना मन और अपनी भावनाएं। आज भी कई इसाई संप्रदायों में नन बनने की दीक्षा पाने के लिए, लड़कियां पहले जीसस के साथ विवाह करती हैं।

यहां तक कि एक बार उसने मीरा के पास फूलों की टोकरी में एक जहरीला सांप रखकर भेजा और मीरा को संदेश भिजवाया कि टोकरी में फूलों के हार हैं। ध्यान से उठने के बाद जब मीरा ने टोकरी खोली तो उसमें से फूलों के हार के साथ कृष्ण की एक सुंदर मूर्ति निकली। राणा का तैयार किया हुआ कांटो का बिस्तर भी मीरा के लिए फूलों का सेज बन गया जब मीरा उस पर सोने चलीं।

जब यातनाएं बरदाश्त से बाहर हो गईं, तो उन्होंने चित्तौड़ छोड़ दिया। वे पहले मेड़ता गईं, लेकिन जब उन्हें वहां भी संतोश नहीं मिला तो कुछ समय के बाद उन्होने कृश्ण-भक्ति के केंद्र वृंदावन का रुख कर लिया। मीरा मानती थीं कि वह गोपी ललिता ही हैं, जिन्होने फिर से जन्म लिया है। ललिता कृष्ण के प्रेम में दीवानी थीं। खैर, मीरा ने अपनी तीर्थयात्रा जारी रखी, वे एक गांव से दूसरे गांव नाचती-गाती पूरे उत्तर भारत में घूमती रहीं। माना जाता है कि उन्होंने अपने जीवन के अंतिम कुछ साल गुजरात के द्वारका में गुजारे। ऐसा कहा जाता है कि दर्शकों की पूरी भीड़ के सामने मीरा द्वारकाधीश की मूर्ति में समा गईं।


मीरा के लिए कृष्ण भ्रम नहीं हकीकत थे

“इंसान आमतौर पर शरीर, मन और बहुत सारी भावनाओं से बना है। यही वजह है कि ज्यादातर लोग अपने शरीर, मन और भावनाओं को समर्पित किए बिना किसी चीज के प्रति खुद को समर्पित नहीं कर सकते। विवाह का मतलब यही है कि आप एक इंसान के लिए अपनी हर चीज समर्पित कर दें, अपना शरीर, अपना मन और अपनी भावनाएं। आज भी कई इसाई संप्रदायों में नन बनने की दीक्षा पाने के लिए, लड़कियां पहले जीसस के साथ विवाह करती हैं। कुछ लोगों के लिए यह समर्पण, शरीर, मन और भावनाओं के परे, एक ऐसे धरातल पर पहुंच गया, जो बिलकुल अलग था, जहां यह उनके लिए परम सत्य बन गया था। ऐसे लोगों में से एक मीराबाई थीं, जो कृष्ण को अपना पति मानती थीं।


कृष्ण को लेकर मीरा इतनी दीवानी थीं कि महज आठ साल की उम्र में मन ही मन उन्होंने कृष्ण से विवाह कर लिया। उनके भावों की तीव्रता इतनी गहन थी कि कृष्ण उनके लिए सच्चाई बन गए। यह मीरा के लिए कोई मतिभ्रम नहीं था, यह एक सच्चाई थी कि कृष्ण उनके साथ उठते-बैठते थे, घूमते थे। ऐसे में मीरा के पति को उनके साथ दिक्कत होने लगी, क्योंकि वह हमेशा अपने दिव्य प्रेमी के साथ रहतीं। यहां तक कि मीरा ने अपने दिव्य प्रेमी के साथ संभोग भी किया। उनके पति ने हर संभव कोशिश की, यह सब समझने की, क्योंकि वह मीरा को वाकई प्यार करता था। लेकिन वह नहीं जान सका कि आखिर मीरा के साथ हो क्या रहा है। दरअसल, मीरा जिस स्थिति से गुजर रही थीं और उनके साथ जो भी हो रहा था, वह बहुत वास्तविक लगता था, लेकिन उनके पति को कुछ भी नजर नहीं आता था। वह इतना निराश हो गया कि एक दिन उसने खुद को नीले रंग से पोत लिया, कृष्ण की तरह के पोशाक पहन कर मीरा के पास आया। दुर्भाग्य से उसने गलत तरह के रंग का इस्तेमाल कर लिया, जिसकी वजह से उसे एलर्जी हो गई और शरीर पर चकत्ते निकल आए।


मीरा के इर्द गिर्द के लोग शुरुआत में बड़े चकराए कि आखिर मीरा का क्या करें। बाद में जब कृष्ण के प्रति मीरा का प्रेम अपनी चरम ऊंचाइयों तक पहुंच गया तब लोगों को यह समझ आया कि वे कोई असाधारण औरत हैं। लोग उनका आदर करने लगे। यह देख कर कि वे ऐसी चीजें कर सकती हैं, जो कोई और नहीं कर सकता, उनके आस-पास भीड़ इकट्ठी होने लगी।


मीरा ने जवाब दिया – ‘वह सामने बैठा है - मेरा स्वामी - नैनचोर, जिसने मेरा दिल चुराया है, और वह समाधि में चली गईं।

पति के मरने के बाद मीरा पर व्यभिचार का आरोप लगाया गया। उन दिनों व्यभिचार के लिए मत्यु दंड दिया जाता था। इसलिए शाही दरबार में उन्हें जहर पीने को दिया गया। उन्होंने कृष्ण को याद किया और जहर पीकर वहां से चल दीं। लोग उनके मरने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन वह स्वस्थ्य और प्रसन्न बनी रहीं। इस तरह की कई घटनाएं हुईं। दरअसल भक्ति ऐसी चीज है, जो व्यक्ति को खुद से भी खाली कर देती है।

जब मैं भक्ति कहता हूं तो मैं किसी मत या धारणा में विश्वास की बात नहीं कर रहा हूं। मेरा मतलब पूरे भरोसे और आस्था के साथ आगे बढ़ने से है। तो सवाल उठता है, कि मैं भरोसा कैसे करूं? आप इस धरती पर आराम से बैठे हैं, यह भी भरोसा ही है। यह गोल धरती बड़ी तेजी से अपनी धुरी पर और सूरज के चारों ओर घूम रही है। मान लीजिए अचानक यह धरती माता उल्टी दिशा में घूमने का फैसला कर लें, तो हो सकता है कि आप जहां बैठे हैं, वहां से छिटक कर कहीं और चले जाएं। आप नहीं जानते आप कहां पहुंचेंगे।


तो आप आराम से बैठें, मुस्कराएं, दूसरों से बातें करें, इन सबके लिए आपको बहुत ज्यादा भरोसे की जरूरत है। लेकिन यह सब आप अनजाने में और बिना प्रेम-भाव के कर रहे हैं। इस भरोसे को पूरी जागरुकता और प्रेम के साथ करना सीखिए। यही भक्ति है। यह सृष्टि जैसी है, उस पर वैसे ही भरोसा करते हुए अगर आपने जागरुकता और प्रेम के साथ यहां बैठना सीख लिया, तो यही भक्ति है। भक्ति कोई मत या मान्यता नहीं है। भक्ति इस अस्तित्व में होने का सबसे खूबसूरत तरीका है।”

देशभक्ति की कविताओं का संकलन Deshbhakti ki Kavita

 हम होंगे कामयाब


होंगे कामयाब,

हम होंगे कामयाब एक दिन

मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास

हम होंगे कामयाब एक दिन।


हम चलेंगे साथ-साथ

डाल हाथों में हाथ

हम चलेंगे साथ-साथ, एक दिन

मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास

हम चलेंगे साथ-साथ एक दिन।


होगी शांति चारों ओर

होगी शांति चारों ओर, एक दिन

मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास

होगी शांति चारों ओर एक दिन।


नहीं डर किसी का आज

नहीं डर किसी का आज एक दिन

मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास

नहीं डर किसी का आज एक दिन।


- गिरिजा कुमार माथुर



वंदे मातरम


वंदे मातरम,

वंदे मातरम

सुजला सुफला मलयज-शीतलाम

शश्य-शामलाम मातरम

वंदे मातरम


शुभ्र-ज्योत्स्ना-पुलकित यामिनी

फुललकुसुमित-द्रुमदल शोभिनी

सुहासिनीं सुमधुर भाषिनीं

सुखदां वरदां मातरम

वंदे मातरम


- बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय


मेरे देश की धरती


मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती

मेरे देश की धरती

बैलों के गले में जब घुँघरू जीवन का राग सुनाते हैं

ग़म कोस दूर हो जाता है खुशियों के कंवल मुसकाते हैं

सुन के रहट की आवाज़ें यों लगे कहीं शहनाई बजे

आते ही मस्त बहारों के दुल्हन की तरह हर खेत सजे


मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती

मेरे देश की धरती


जब चलते हैं इस धरती पे हल ममता अँगड़ाइयाँ लेती है

क्यों ना पूजे इस माटी को जो जीवन का सुख देती है

इस धरती पे जिसने जनम लिया उसने ही पाया प्यार तेरा

यहाँ अपना पराया कोई नही हैं सब पे माँ उपकार तेरा


मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती

मेरे देश की धरती

ये बाग़ हैं गौतम नानक का खिलते हैं अमन के फूल यहाँ

गांधी, सुभाष, टैगोर, तिलक ऐसे हैं चमन के फूल यहाँ

रंग हरा हरिसिंह नलवे से रंग लाल है लाल बहादुर से

रंग बना बसंती भगतसिंह रंग अमन का वीर जवाहर से


मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती

मेरे देश की धरती


- गुलशन बावरा


चल मरदाने


चल मरदाने, सीना ताने,

हाथ हिलाते, पाँव बढ़ाते,

मन मुसकाते, गाते गीत।

एक हमारा देश, हमारा

वेश, हमारी कौम, हमारी

मंज़िल, हम किससे भयभीत।


चल मरदाने, सीना ताने,

हाथ हिलाते, पाँव बढ़ाते,

मन मुसकाते, गाते गीत।


हम भारत की अमर जवानी,

सागर की लहरें लासानी,

गंग-जमुन के निर्मल पानी,

हिमगिरि की ऊँची पेशानी,

सब के प्रेरक, रक्षक, मीत।


चल मरदाने, सीना ताने,

हाथ हिलाते, पाँव बढ़ाते,

मन मुसकाते, गाते गीत।


जग के पथ पर जो न रुकेगा,

जो न झुकेगा, जो न मुड़ेगा,

उसका जीवन उसकी जीत।


चल मरदाने, सीना ताने,

हाथ हिलाते, पाँव बढ़ाते,

मन मुसकाते, गाते गीत।


- हरिवंश राय बच्चन



आज तिरंगा फहराता है


आज तिरंगा फहराता है अपनी पूरी शान से।

हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।

आज़ादी के लिए हमारी लंबी चली लड़ाई थी।

लाखों लोगों ने प्राणों से कीमत बड़ी चुकाई थी।।

व्यापारी बनकर आए और छल से हम पर राज किया।

हमको आपस में लड़वाने की नीति अपनाई थी।।


हमने अपना गौरव पाया, अपने स्वाभिमान से।

हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।


गांधी, तिलक, सुभाष, जवाहर का प्यारा यह देश है।

जियो और जीने दो का सबको देता संदेश है।।

प्रहरी बनकर खड़ा हिमालय जिसके उत्तर द्वार पर।

हिंद महासागर दक्षिण में इसके लिए विशेष है।।


लगी गूँजने दसों दिशाएँ वीरों के यशगान से।

हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।


हमें हमारी मातृभूमि से इतना मिला दुलार है।

उसके आँचल की छैयाँ से छोटा ये संसार है।।

हम न कभी हिंसा के आगे अपना शीश झुकाएँगे।

सच पूछो तो पूरा विश्व हमारा ही परिवार है।।


विश्वशांति की चली हवाएँ अपने हिंदुस्तान से।

हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।


सजीवन मयंक



१५ अगस्त १९४७


चिर प्रणम्य यह पुण्य अह्न जय गाओ सुरगण,

आज अवतरित हुई चेतना भू पर नूतन!

नवभारत, फिर चीर युगों का तिमिर आवरण,

तरुण अरुण-सा उदित हुआ परिदीप्त कर भुवन!

सभ्य हुआ अब विश्व, सभ्य धरणी का जीवन,

आज खुले भारत के संग भू के जड़ बंधन!

शांत हुआ अब युग-युग का भौतिक संघर्षण

मुक्त चेतना भारत की यह करती घोषण!


आम्र मौर जाओ हे, कदली स्तंभ बनाओ,

पावन गंगा जल भर मंगल-कलश सजाओ!

नव अशोक पल्लव के बंदनवार बँधाओ,

जय भारत गाओ, स्वतंत्र जय भारत गाओ!

उन्नत लगता चंद्रकला-स्मित आज हिमाचल,

चिर समाधि से जाग उठे हों शंभु तपोज्ज्वल!

लहर-लहर पर इंद्रधनुष-ध्वज फहरा चंचल

जय-निनाद करता, उठ सागर, सुख से विह्वल!


धन्य आज का मुक्ति-दिवस, गाओ जन-मंगल,

भारत-लक्ष्मी से शोभित फिर भारत-शतदल!

तुमुल जयध्वनि करो, महात्मा गांधी की जय,

नव भारत के सुज्ञ सारथी वह नि:संशय!

राष्ट्रनायकों का हे पुन: करो अभिवादन,

जीर्ण जाति में भरा जिन्होंने नूतन जीवन!

स्वर्ण शस्य बाँधों भू-वेणी में युवती जन,

बनो वज्र प्राचीर राष्ट्र की, वीर युवकगण!


लोह संगठित बने लोक भारत का जीवन,

हों शिक्षित संपन्न क्षुधातुर नग्न भग्न जन!

मुक्ति नहीं पलती दृग-जल से हो अभिसिंचित,

संयम तप के रक्त-स्वेद से होती पोषित!

मुक्ति माँगती कर्म-वचन-मन-प्राण-समर्पण,

वृद्ध राष्ट्र को, वीर युवकगण, दो निज यौवन!

नव स्वतंत्र भारत हो जगहित ज्योति-जागरण,

नवप्रभात में स्वर्ण-स्नात हो भू का प्रांगण!


नव-जीवन का वैभव जाग्रत हो जनगण में,

आत्मा का ऐश्वर्य अवतरित मानव-मन में!

रक्त-सिक्त धरणी का हो दु:स्वप्न-समापन,

शांति-प्रीति-सुख का भू स्वर्ण उठे सुर मोहन!

भारत का दासत्व दासता थी भू-मन की,

विकसित आज हुई सीमाएँ जन-जीवन की!

धन्य आज का स्वर्ण-दिवस, नव लोक जागरण,

नव संस्कृति आलोक करे जन भारत वितरण!


नव जीवन की ज्वाला से दीपित हों दिशि क्षण,

नव मानवता में मुकुलित

 धरती का जीवन!


- सुमित्रानंदन पंत







Tuesday, October 22, 2024

शिव रुद्राष्टकम पाठ लिरिक्स Rudrashtakam Namami Shamishan Nirvan Rupam Lyrics

 

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं। विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम्॥ रामचरित मानस का अंश है जिसे तुलसीदासजी ने भगवान शिव की स्तुती में लिखा था। भगवान भोलेनाथ को यह स्तुती अत्यंत प्रिय जो भी भक्त श्रद्धा भाव से यह स्तुती गाता उस पर शिवजी बड़े प्रसन्न होते है।

वेंकटेश सहस्रनामावली | संपूर्ण संग्रह वेंकटेश हजार नाम Venkatesh Sahastra Namawali


वेंकटेश सहस्रनामावली | संपूर्ण संग्रह

वेंकटेश सहस्रनामावली प्रारंभ 


ॐ श्री वेङ्कटेशाय नमः


ॐ विरूपाक्षाय नमः


ॐ विश्वेशाय नमः


ॐ विश्वभावनाय नमः


ॐ विश्वसृजे नमः


ॐ विश्वसंहर्त्रे नमः


ॐ विश्वप्राणाय नमः


ॐ शेषाद्रिनिलयाय नमः


ॐ अशेषभक्तदुःखप्रणाशनाय नमः


ॐ शेषस्तुत्याय नमः


ॐ शेषशायिने नमः


ॐ विशेषज्ञाय नमः


ॐ विभवे नमः


ॐ स्वभुवे नमः


ॐ विष्णवे नमः


ॐ जिष्णवे नमः


ॐ वर्धिष्णवे नमः


ॐ उत्सहिष्णवे नमः


ॐ सहिष्णुकाय नमः


ॐ भ्राजिष्णवे नमः


ॐ ग्रसिष्णवे नमः


ॐ वर्तिष्णवे नमः


ॐ भरिष्णुकाय नमः


ॐ कालयन्त्रे नमः


ॐ कालाय नमः


ॐ कालगोप्त्रे नमः


ॐ कालान्तकाय नमः


ॐ अखिलाय नमः


ॐ कालगम्याय नमः


ॐ कालकण्ठवन्द्याय नमः


ॐ कालकालेश्वराय नमः


ॐ शम्भवे नमः


ॐ स्वयम्भुवे नमः


ॐ अम्भोजनाभये नमः


ॐ स्तम्भितवारिधये नमः


ॐ अम्भोधिनन्दिनीजानये नमः


ॐ शोणाम्भोजपदप्रभाय नमः


ॐ कम्बुग्रीवाय नमः


ॐ शम्बरारिरूपाय नमः


ॐ शम्बरजेक्षणाय नमः


ॐ बिम्बाधराय नमः


ॐ बिम्बरूपिणे नमः


ॐ प्रतिबिम्बक्रियातिगाय नमः


ॐ गुणवते नमः


ॐ गुणगम्याय नमः


ॐ गुणातीताय नमः


ॐ गुणप्रियाय नमः


ॐ दुर्गुणध्वंसकृते नमः


ॐ सर्वसुगुणाय नमः


ॐ गुणभासकाय नमः


ॐ परेशाय नमः


ॐ परमात्मने नमः


ॐ परञ्ज्योतिषे नमः


ॐ परायैगतये नमः


ॐ परस्मैपदाय नमः


ॐ वियद्वाससे नमः


ॐ पारम्पर्यशुभप्रदाय नमः


ॐ ब्रह्माण्डगर्भाय नमः


ॐ ब्रह्मण्याय नमः


ॐ ब्रह्मसृजे नमः


ॐ ब्रह्मबोधिताय नमः


ॐ ब्रह्मस्तुत्याय नमः


ॐ ब्रह्मवादिने नमः


ॐ ब्रह्मचर्यपरायणाय नमः


ॐ सत्यव्रतार्थसन्तुष्टाय नमः


ॐ सत्यरूपिणे नमः


ॐ झषाङ्गवते नमः


ॐ सोमकप्राणहारिणे नमः


ॐ आनीताम्नायाय नमः


ॐ अब्दिवन्दिताय नमः


ॐ देवासुरस्तुत्याय नमः


ॐ पतन्मन्दरधारकाय नमः


ॐ धन्वन्तरये नमः


ॐ कच्छपाङ्गाय नमः


ॐ पयोनिधिविमन्थकाय नमः


ॐ अमरामृत सन्दात्रे नमः


ॐ धृतसम्मोहिनीवपुषे नमः


ॐ हरमोहकमायाविने नमः


ॐ रक्षस्सन्दोहभञ्जनाय नमः


ॐ हिरण्याक्षविदारिणे नमः


ॐ यज्ञाय नमः


ॐ यज्ञविभावनाय नमः


ॐ यज्ञीयोर्वीसमुद्धर्त्रे नमः


ॐ लीलाक्रोडाय नमः


ॐ प्रतापवते नमः


ॐ दण्डकासुरविध्वंसिने नमः


ॐ वक्रदंष्ट्राय नमः


ॐ क्षमाधराय नमः


ॐ गन्धर्वशापहरणाय नमः


ॐ पुण्यगन्धाय नमः


ॐ विचक्षणाय नमः


ॐ करालवक्त्राय नमः


ॐ सोमार्कनेत्राय नमः


ॐ षड्गुणवैभवाय नमः


ॐ श्वेतघोणिने नमः


ॐ घूर्णितभ्रुवे नमः


ॐ घुर्घुरध्वनिविभ्रमाय नमः


ॐ द्राघीयसे नमः


ॐ नीलकेशिने नमः


ॐ जाग्रदम्बुजलोचनाय नमः


ॐ घृणावते नमः


ॐ घृणिसम्मोहाय नमः


ॐ महाकालाग्निदीधितये नमः


ॐ ज्वालाकरालवदनाय नमः


ॐ महोल्काकुलवीक्षणाय नमः


ॐ सटानिर्बिन्नमेघौघाय नमः


ॐ दंष्ट्रारुग्व्याप्तदिक्तटाय नमः


ॐ उच्छ्वासाकृष्टभूतेशाय नमः


ॐ नि:श्वासत्यक्तविश्वसृजे नमः


ॐ अन्तर्भ्रमज्जगद्गर्भाय नमः


ॐ अनन्ताय नमः


ॐ ब्रह्मकपालहृते नमः


ॐ उग्राय नमः


ॐ वीराय नमः


ॐ महाविष्णवे नमः


ॐ ज्वलनाय नमः


ॐ सर्वतोमुखाय नमः


ॐ नृसिंहाय नमः


ॐ भीषणाय नमः


ॐ भद्राय नमः


ॐ मृत्युमृत्यवे नमः


ॐ सनातनाय नमः


ॐ सभास्तम्भोद्भवाय नमः


ॐ भीमाय नमः


ॐ शिरोमालिने नमः


ॐ महेश्वराय नमः


ॐ द्वादशादित्यचूडालाय नमः


ॐ कल्पधूमसटाच्छवये नमः


ॐ हिरण्यकोरस्थलभिन्नखाय नमः


ॐ सिंहमुखाय नमः


ॐ अनघाय नमः


ॐ प्रह्लादवरदाय नमः


ॐ धीमते नमः


ॐ भक्तसङ्घप्रतिष्ठिताय नमः


ॐ ब्रह्मरुद्रादिसंसेव्याय नमः


ॐ सिद्धसाध्यप्रपूजिताय नमः


ॐ लक्ष्मीनृसिंहाय नमः


ॐ देवेशाय नमः


ॐ ज्वालाजिह्वान्त्रमालिकाय नमः


ॐ खड्गिने नमः


ॐ महेष्वासिने नमः


ॐ खेटिने नमः


ॐ कपालिने नमः


ॐ मुसलिने नमः


ॐ हलिने नमः


ॐ पाशिने नमः


ॐ शूलिने नमः


ॐ महाबाहवे नमः


ॐ ज्वरघ्नाय नमः


ॐ रोगलुण्टकाय नमः


ॐ मौञ्जीयुजे नमः


ॐ छत्रकाय नमः


ॐ दण्डिने नमः


ॐ कृष्णाजिनधराय नमः


ॐ वटवे नमः


ॐ अधीतवेदाय नमः


ॐ वेदान्तोद्धारकाय नमः


ॐ ब्रह्मनैष्ठिकाय नमः


ॐ अहीनशयनप्रीताय नमः


ॐ आदितेयाय नमः


ॐ अनघाय नमः


ॐ हरये नमः


ॐ संवित्प्रियाय नमः


ॐ सामवेद्याय नमः


ॐ बलिवेश्मप्रतिष्ठिताय नमः


ॐ बलिक्षालितपादाब्जाय नमः


ॐ विन्ध्यावलिविमानिताय नमः


ॐ त्रिपादभूमिस्वीकर्त्रे नमः


ॐ विश्वरूपप्रदर्शकाय नमः


ॐ धृतत्रिविक्रमाय नमः


ॐ स्वाङ्घ्रीनखभिन्नाण्डाकर्पराय नमः


ॐ पज्जातवाहिनीधारापवित्रितजगत्त्रयाय नमः


ॐ विधिसम्मानिताय नमः


ॐ पुण्याय नमः


ॐ दैत्ययोद्ध्रे नमः


ॐ जयोर्जिताय नमः


ॐ सुरराज्यप्रदाय नमः


ॐ शुक्रमदहृते नमः


ॐ सुगतीश्वराय नमः


ॐ जामदग्न्याय नमः


ॐ कुठारिणे नमः


ॐ कार्तवीर्यविदारणाय नमः


ॐ रेणुकायाश्शिरोहारिणे नमः


ॐ दुष्टक्षत्रियमर्दनाय नमः


ॐ वर्चस्विने नमः


ॐ दानशीलाय नमः


ॐ धनुष्मते नमः


ॐ ब्रह्मवित्तमाय नमः


ॐ अत्युदग्राय नमः


ॐ समग्राय नमः


ॐ न्यग्रोधाय नमः


ॐ दुष्टनिग्रहाय नमः


ॐ रविवंशसमुद्भूताय नमः


ॐ राघवाय नमः


ॐ भरताग्रजाय नमः


ॐ कौसल्यातनयाय नमः


ॐ रामाय नमः


ॐ विश्वामित्रप्रियङ्कराय नमः


ॐ ताटकारये नमः


ॐ सुबाहुघ्नाय नमः


ॐ बलातिबलमन्त्रवते नमः


ॐ अहल्याशापविच्छेदिने नमः


ॐ प्रविष्टजनकालयाय नमः


ॐ स्वयंवरसभासंस्थाय नमः


ॐ ईशचापप्रभञ्जनाय नमः


ॐ जानकीपरिणेत्रे नमः


ॐ जनकाधीशसंस्तुताय नमः


ॐ जमदग्नितनूजातयोद्ध्रे नमः


ॐ अयोध्याधिपाग्रण्ये नमः


ॐ पितृवाक्यप्रतीपालाय नमः


ॐ त्यक्तराज्याय नमः


ॐ सलक्ष्मणायससीताचित्रकूटस्थाय नमः


ॐ भरताहितराज्यकाय नमः


ॐ काकदर्पप्रहर्ते नमः


ॐ दण्डकारण्यवासकाय नमः


ॐ पञ्चवट्यां विहारिणे नमः


ॐ स्वधर्मपरिपोषकाय नमः


ॐ विराधघ्ने नमः


ॐ अगस्त्यमुख्यमुनि सम्मानिताय नमः


ॐ पुंसे नमः


ॐ इन्द्रचापधराय नमः


ॐ खड्गधराय नमः


ॐ अक्षयसायकाय नमः


ॐ खरान्तकाय नमः


ॐ धूषणारये नमः


ॐ त्रिशिरस्करिपवे नमः


ॐ वृषाय नमः


ॐ शूर्पणखानासाच्छेत्त्रे नमः


ॐ वल्कलधारकाय नमः


ॐ जटावते नमः


ॐ पर्णशालास्थाय नमः


ॐ मारीचबलमर्दकाय नमः


ॐ पक्षिराट्कृतसंवादाय नमः


ॐ रवितेजसे नमः


ॐ महाबलाय नमः


ॐ शबर्यानीतफलभुजे नमः


ॐ हनूमत्परितोषिताय नमः


ॐ सुग्रीवाभयदाय नमः


ॐ दैत्यकायक्षेपणभासुराय नमः


ॐ सप्तसालसमुच्छेत्त्रे नमः


ॐ वालिहृते नमः


ॐ कपिसंवृताय नमः


ॐ वायुसूनुकृतासेवाय नमः


ॐ त्यक्तपम्पाय नमः


ॐ कुशासनाय नमः


ॐ उदन्वत्तीरगाय नमः


ॐ शूराय नमः


ॐ विभीषणवरप्रदाय नमः


ॐ सेतुकृते नमः


ॐ दैत्यघ्ने नमः


ॐ प्राप्तलङ्काय नमः


ॐ अलङ्कारवते नमः


ॐ अतिकायशिरश्छेत्त्रे नमः


ॐ कुम्भकर्णविभेदनाय नमः


ॐ दशकण्ठशिरोध्वंसिने नमः


ॐ जाम्बवत्प्रमुखावृताय नमः


ॐ जानकीशाय नमः


ॐ सुराध्यक्षाय नमः


ॐ साकेतेशाय नमः


ॐ पुरातनाय नमः


ॐ पुण्यश्लोकाय नमः


ॐ स्वामितीर्थनिवासकाय नमः


ॐ लक्ष्मीसरःकेलिलोलाय नमः


ॐ लक्ष्मीशाय नमः


ॐ लोकरक्षकाय नमः


ॐ देवकीगर्भसम्भूताय नमः


ॐ यशोदेक्षणलालिताय नमः


ॐ वसुदेवकृतस्तोत्राय नमः


ॐ नन्दगोपमनोहराय नमः


ॐ चतुर्भुजाय नमः


ॐ कोमलाङ्गाय नमः


ॐ गदावते नमः


ॐ नीलकुन्तलाय नमः


ॐ पूतनाप्राणसंहर्त्रे नमः


ॐ तृणावर्तविनाशनाय नमः


ॐ गर्गारोपितनामाङ्काय नमः


ॐ वासुदेवाय नमः


ॐ अधोक्षजाय नमः


ॐ गोपिकास्तन्यपायिने नमः


ॐ बलभद्रानुजाय नमः


ॐ अच्युताय नमः


ॐ वैयाघ्रनखभूषाय नमः


ॐ वत्सजिते नमः


ॐ वत्सवर्धनाय नमः


ॐ क्षीरसाराशनरताय नमः


ॐ दधिभाण्डप्रमर्धनाय नमः


ॐ नवनीतापहर्त्रे नमः


ॐ नीलनीरदभासुराय नमः


ॐ अभीरदृष्टदौर्जन्याय नमः


ॐ मातृदर्शितविश्वासाय नमः


ॐ उलूखलनिबन्धनाय नमः


ॐ नलकूबरशापान्ताय नमः


ॐ गोधूलिच्छुरिताङ्गकाय नमः


ॐ गोसङ्घरक्षकाय नमः


ॐ श्रीशाय नमः


ॐ बृन्दारण्यनिवासकाय नमः


ॐ वत्सान्तकाय नमः


ॐ बकद्वेषिणे नमः


ॐ दैत्याम्बुदमहानिलाय नमः


ॐ महाजगरचण्डाग्नये नमः


ॐ शकटप्राणकण्टकाय नमः


ॐ चन्द्रसेव्याय नमः


ॐ पुण्यगात्राय नमः


ॐ चण्डदीधितये नमः


ॐ तालपक्वफलाशिने नमः


ॐ कालीयफणिदर्पघ्ने नमः


ॐ नागपत्नीस्तुतिप्रीताय नमः


ॐ प्रलम्बासुरखण्डनाय नमः


ॐ दावाग्निबलसंहारिणे नमः


ॐ फलाहारिणे नमः


ॐ गदाग्रजाय नमः


ॐ गोपाङ्गनाचेलचोराय नमः


ॐ पाथोलीलाविशारदाय नमः


ॐ गोपीहस्ताम्बुजार्चिताय नमः


ॐ वंशगानप्रवीणाय नमः


ॐ मुनिपत्न्याहृताहाराय नमः


ॐ मुनिश्रेष्ठाय नमः


ॐ मुनिप्रियाय नमः


ॐ गोवर्धनाद्रिसन्धर्त्रे नमः


ॐ सङ्क्रन्दनतमोपहाय नमः


ॐ सदुद्यानविलासिने नमः


ॐ रासक्रीडापरायणाय नमः


ॐ वरुणाभ्यर्चिताय नमः


ॐ गोपीप्रार्थिताय नमः


ॐ पुरुषोत्तमाय नमः


ॐ अक्रूरस्तुतिसम्प्रीताय नमः


ॐ कुब्जायौवनदायकाय नमः


ॐ मुष्टिकोरःप्रहारिणे नमः


ॐ चाणूरोदरादारणाय नमः


ॐ मल्लयुद्धाग्रगण्याय नमः


ॐ पितृबन्धनमोचकाय नमः


ॐ मत्तमातङ्गपञ्चास्याय नमः


ॐ कंसग्रीवानिकृतनाय नमः


ॐ उग्रसेनप्रतिष्ठात्रे नमः


ॐ रत्नसिंहासनस्थिताय नमः


ॐ कालनेमिखलद्वेषिणे नमः


ॐ मुचुकुन्दवरप्रदाय नमः


ॐ साल्वसेवितदुर्धर्षराजस्मयनिवारणाय नमः


ॐ रुक्मिगर्वापहारिणे नमः


ॐ रुक्मिणीनयनोत्सवाय नमः


ॐ प्रद्युम्नजनकाय नमः


ॐ कामिने नमः


ॐ प्रद्युम्नाय नमः


ॐ द्वारकाधिपाय नमः


ॐ मण्याहर्त्रे नमः


ॐ महामायाय नमः


ॐ जाम्बवत्कृतसङ्गराय नमः


ॐ जाम्बूनदाम्बरधराय नमः


ॐ गम्याय नमः


ॐ जाम्बवतीविभवे नमः


ॐ कालिन्दीप्रथितारामकेलये नमः


ॐ गुञ्जावतंसकाय नमः


ॐ मन्दारसुमनोभास्वते नमः


ॐ शचीशाभीष्टदायकाय नमः


ॐ सत्राजिन्मानसोल्लासिने नमः


ॐ सत्याजानये नमः


ॐ शुभावहाय नमः


ॐ शतधन्वहराय नमः


ॐ सिद्धाय नमः


ॐ पाण्डवप्रियकोत्सवाय नमः


ॐ भद्राप्रियाय नमः


ॐ सुभद्रायाः भ्रात्रे नमः


ॐ नाग्नजितीविभवे नमः


ॐ किरीटकुण्डलधराय नमः


ॐ कल्पपल्लवलालिताय नमः


ॐ भैष्मीप्रणयभाषावते नमः


ॐ मित्रविन्दाधिपाय नमः


ॐ अभयाय नमः


ॐ स्वमूर्तिकेलिसम्प्रीताय नमः


ॐ लक्ष्मणोदारमानसाय नमः


ॐ प्राग्ज्योतिषाधिपध्वंसिने नमः


ॐ तत्सैन्यान्तकराय नमः


ॐ अमृताय नमः


ॐ भूमिस्तुताय नमः


ॐ भूरिभोगाय नमः


ॐ भूषणाम्बरसंयुताय नमः


ॐ बहुरामाकृताह्लादाय नमः


ॐ गन्धमाल्यानुलेपनाय नमः


ॐ नारदादृष्टचरिताय नमः


ॐ देवेशाय नमः


ॐ विश्वराजे नमः


ॐ गुरवे नमः


ॐ बाणबाहुविदाराय नमः


ॐ तापज्वरविनाशनाय नमः


ॐ उपोद्धर्षयित्रे नमः


ॐ अव्यक्ताय नमः


ॐ शिववाक्तुष्टमानसाय नमः


ॐ महेशज्वरसंस्तुताय नमः


ॐ शीतज्वरभयान्तकाय नमः


ॐ नृगराजोद्धारकाय नमः


ॐ पौण्ड्रकादिवधोद्यताय नमः


ॐ विविधारिच्छलोद्विग्न ब्राह्मणेषु दयापराय नमः


ॐ जरासन्धबलद्वेषिणे नमः


ॐ केशिदैत्यभयङ्कराय नमः


ॐ चक्रिणे नमः


ॐ चैद्यान्तकाय नमः


ॐ सभ्याय नमः


ॐ राजबन्धविमोचकाय नमः


ॐ राजसूयहविर्भोक्त्रे नमः


ॐ स्निग्धाङ्गाय नमः


ॐ शुभलक्षणाय नमः


ॐ धानाभक्षणसम्प्रीताय नमः


ॐ कुचेलाभीष्टदायकाय नमः


ॐ सत्त्वादिगुणगम्भीराय नमः


ॐ द्रौपदीमानरक्षकाय नमः


ॐ भीष्मध्येयाय नमः


ॐ भक्तवश्याय नमः


ॐ भीमपूज्याय नमः


ॐ दन्तवक्त्रशिरश्छेत्त्रे नमः


ॐ कृष्णाय नमः


ॐ कृष्णासखाय नमः


ॐ स्वराजे नमः


ॐ वैजयन्तीप्रमोदिने नमः


ॐ बर्हिबर्हविभूषणाय नमः


ॐ पार्थकौरवसन्धानकारिणे नमः


ॐ दुश्शासनान्तकाय नमः


ॐ बुद्धाय नमः


ॐ विशुद्धाय नमः


ॐ सर्वज्ञाय नमः


ॐ क्रतुहिंसाविनिन्दकाय नमः


ॐ त्रिपुरस्त्रीमानभङ्गाय नमः


ॐ सर्वशास्त्रविशारदाय नमः


ॐ निर्विकाराय नमः


ॐ निर्ममाय नमः


ॐ निराभासाय नमः


ॐ विरामयाय नमः


ॐ जगन्मोहकधर्मिणे नमः


ॐ दिग्वस्त्राय नमः


ॐ दिक्पतीश्वरायाय नमः


ॐ कल्किने नमः


ॐ म्लेच्छप्रहर्त्रे नमः


ॐ दुष्टनिग्रहकारकाय नमः


ॐ धर्मप्रतिष्ठाकारिणे नमः


ॐ चातुर्वर्ण्यविभागकृते नमः


ॐ युगान्तकाय नमः


ॐ युगाक्रान्ताय नमः


ॐ युगकृते नमः


ॐ युगभासकाय नमः


ॐ कामारये नमः


ॐ निष्कामाय नमः


ॐ कामितार्थदाय नमः


ॐ सवितुर्वरेण्याय भर्गसे नमः


ॐ शार्ङ्गिणे नमः


ॐ वैकुण्ठमन्दिराय नमः


ॐ हयग्रीवाय नमः


ॐ कैटभारये नमः


ॐ ग्राहघ्नाय नमः


ॐ गजरक्षकाय नमः


ॐ सर्वसंशयविच्छेत्त्रे नमः


ॐ सर्वभक्तसमुत्सुकाय नमः


ॐ कपर्दिने नमः


ॐ कामहारिणे नमः


ॐ कलायै नमः


ॐ काष्ठायै नमः


ॐ स्मृतये नमः


ॐ धृतये नमः


ॐ अनादये नमः


ॐ अप्रमेयौजसे नमः


ॐ प्रधानाय नमः


ॐ सन्निरूपकाय नमः


ॐ निर्लेपाय नमः


ॐ निस्स्पृहाय नमः


ॐ असङ्गाय नमः


ॐ निर्भयाय नमः


ॐ नीतिपारगाय नमः


ॐ निष्प्रेष्याय नमः


ॐ निष्क्रियाय नमः


ॐ शान्ताय नमः


ॐ निधये नमः


ॐ निष्प्रपञ्चाय नमः


ॐ नयाय नमः


ॐ कर्मिणे नमः


ॐ अकर्मिणे नमः


ॐ विकर्मिणे नमः


ॐ कर्मेप्सवे नमः


ॐ कर्मभावनाय नमः


ॐ कर्माङ्गाय नमः


ॐ कर्मविन्यासाय नमः


ॐ महाकर्मिणे नमः


ॐ महाव्रतिने नमः


ॐ कर्मभुजे नमः


ॐ कर्मफलदाय नमः


ॐ कर्मेशाय नमः


ॐ कर्मनिग्रहाय नमः


ॐ नराय नमः


ॐ नारायणाय नमः


ॐ दान्ताय नमः


ॐ कपिलाय नमः


ॐ कामदाय नमः


ॐ शुचये नमः


ॐ तप्त्रे नमः


ॐ जप्त्रे नमः


ॐ अक्षमालावते नमः


ॐ गन्त्रे नमः


ॐ नेत्रे नमः


ॐ लयाय नमः


ॐ गतये नमः


ॐ शिष्टाय नमः


ॐ द्रष्ट्रे नमः


ॐ रिपुद्वेष्ट्रे नमः


ॐ रोष्ट्रे नमः


ॐ वेष्ट्रे नमः


ॐ महानटाय नमः


ॐ रोद्ध्रे नमः


ॐ बोद्ध्रे नमः


ॐ महायोद्ध्रे नमः


ॐ श्रद्धावते नमः


ॐ सत्यधिये नमः


ॐ शुभाय नमः


ॐ मन्त्रिणे नमः


ॐ मन्त्राय नमः


ॐ मन्त्रगम्याय नमः


ॐ मन्त्रकृते नमः


ॐ परमन्त्रहृते नमः


ॐ मन्त्रभृते नमः


ॐ मन्त्रफलदाय नमः


ॐ मन्त्रेशाय नमः


ॐ मन्त्रविग्रहाय नमः


ॐ मन्त्राङ्गाय नमः


ॐ मन्त्रविन्यासाय नमः


ॐ महामन्त्राय नमः


ॐ महाक्रमाय नमः


ॐ स्थिरधिये नमः


ॐ स्थिरविज्ञानाय नमः


ॐ स्थिरप्रज्ञाय नमः


ॐ स्थिरासनाय नमः


ॐ स्थिरयोगाय नमः


ॐ स्थिराधाराय नमः


ॐ स्थिरमार्गाय नमः


ॐ स्थिरागमाय नमः


ॐ विश्श्रेयसाय नमः


ॐ निरीहाय नमः


ॐ अग्नये नमः


ॐ निरवद्याय नमः


ॐ निरञ्जनाय नमः


ॐ निर्वैराय नमः


ॐ निरहङ्काराय नमः


ॐ निर्दम्भाय नमः


ॐ निरसूयकाय नमः


ॐ अनन्ताय नमः


ॐ अनन्तबाहूरवे नमः


ॐ अनन्ताङ्घ्रये नमः


ॐ अनन्तदृशे नमः


ॐ अनन्तवक्त्राय नमः


ॐ अनन्ताङ्गाय नमः


ॐ अनन्तरूपाय नमः


ॐ अनन्तकृते नमः


ॐ ऊर्ध्वरेतसे नमः


ॐ ऊर्ध्वलिङ्गाय नमः


ॐ ऊर्ध्वमूर्ध्ने नमः


ॐ ऊर्ध्वशाखकाय नमः


ॐ ऊर्ध्वाय नमः


ॐ ऊर्ध्वाध्वरक्षिणे नमः


ॐ ऊर्ध्वज्वालाय नमः


ॐ निराकुलाय नमः


ॐ बीजाय नमः


ॐ बीजप्रदाय नमः


ॐ नित्याय नमः


ॐ निदानाय नमः


ॐ निष्कृतये नमः


ॐ कृतिने नमः


ॐ महते नमः


ॐ अणीयसे नमः


ॐ गरिम्णे नमः


ॐ सुषमाय नमः


ॐ चित्रमालिकाय नमः


ॐ नभस्पृशे नमः


ॐ नभसो ज्योतिषे नमः


ॐ नभस्वते नमः


ॐ निर्नभसे नमः


ॐ नभसे नमः


ॐ अभवे नमः


ॐ विभवे नमः


ॐ प्रभवे नमः


ॐ शम्भवे नमः


ॐ महीयसे नमः


ॐ भूर्भुवाकृतये नमः


ॐ महानन्दाय नमः


ॐ महाशूराय नमः


ॐ महोराशये नमः


ॐ महोत्सवाय नमः


ॐ महाक्रोधाय नमः


ॐ महाज्वालाय नमः


ॐ महाशान्ताय नमः


ॐ महागुणाय नमः


ॐ सत्यव्रताय नमः


ॐ सत्यपराय नमः


ॐ सत्यसन्धाय नमः


ॐ सताङ्गतये नमः


ॐ सत्येशाय नमः


ॐ सत्यसङ्कल्पाय नमः


ॐ सत्यचारित्रलक्षणाय नमः


ॐ अन्तश्चराय नमः


ॐ अन्तरात्मने नमः


ॐ परमात्मने नमः


ॐ चिदात्मकाय नमः


ॐ रोचनाय नमः


ॐ रोचमानाय नमः


ॐ साक्षिणे नमः


ॐ शौरये नमः


ॐ जनार्दनाय नमः


ॐ मुकुन्दाय नमः


ॐ नन्दनिष्पन्दाय नमः


ॐ स्वर्णबिन्दवे नमः


ॐ पुरुदराय नमः


ॐ अरिन्दमाय नमः


ॐ सुमन्दाय नमः


ॐ कुन्दमन्दारहासवते नमः


ॐ स्यन्दनारूढचण्डाङ्गाय नमः


ॐ आनन्दिने नमः


ॐ नन्दनन्दाय नमः


ॐ अनसूयानन्दनाय नमः


ॐ अत्रिनेत्रानन्दाय नमः


ॐ सुनन्दवते नमः


ॐ शङ्खवते नमः


ॐ पङ्कजकराय नमः


ॐ कुङ्कुमाङ्काय नमः


ॐ जयाङ्कुशाय नमः


ॐ अम्भोजमकरन्दाढ्याय नमः


ॐ निष्पङ्काय नमः


ॐ अगरुपङ्किलाय नमः


ॐ इन्द्राय नमः


ॐ चन्द्राय नमः


ॐ चन्द्ररथाय नमः


ॐ अतिचन्द्राय नमः


ॐ चन्द्रभासकाय नमः


ॐ उपेन्द्राय नमः


ॐ इन्द्रराजाय नमः


ॐ वागीन्द्राय नमः


ॐ चन्द्रलोचनाय नमः


ॐ प्रतीचे नमः


ॐ पराचे नमः


ॐ परन्धाम्ने नमः


ॐ परमार्थाय नमः


ॐ परात्पराय नमः


ॐ अपारवाचे नमः


ॐ पारगामिने नमः


ॐ परावाराय नमः


ॐ परावराय नमः


ॐ सहस्वते नमः


ॐ अर्थदात्रे नमः


ॐ सहनाय नमः


ॐ साहसिने नमः


ॐ जयिने नमः


ॐ तेजस्विने नमः


ॐ वायुविशिखिने नमः


ॐ तपस्विने नमः


ॐ तापसोत्तमाय नमः


ॐ ऐश्वर्योद्भूतिकृते नमः


ॐ भूतये नमः


ॐ ऐश्वर्याङ्गकलापवते नमः


ॐ अम्भोधिशायिने नमः


ॐ भगवते नमः


ॐ सर्वज्ञाय नमः


ॐ सामपारगाय नमः


ॐ महायोगिने नमः


ॐ महाधीराय नमः


ॐ महाभोगिने नमः


ॐ महाप्रभवे नमः


ॐ महावीराय नमः


ॐ महातुष्टये नमः


ॐ महापुष्टये नमः


ॐ महागुणाय नमः


ॐ महादेवाय नमः


ॐ महाबाहवे नमः


ॐ महाधर्माय नमः


ॐ महेश्वराय नमः


ॐ समीपगाय नमः


ॐ दूरगामिने नमः


ॐ स्वर्गमार्गनिरर्गलाय नमः


ॐ नगाय नमः


ॐ नगधराय नमः


ॐ नागाय नमः


ॐ नागेशाय नमः


ॐ नागपालकाय नमः


ॐ हिरण्मयाय नमः


ॐ स्वर्णरेतसे नमः


ॐ हिरण्यार्चिषे नमः


ॐ हिरण्यदाय नमः


ॐ गुणगण्याय नमः


ॐ शरण्याय नमः


ॐ पुण्यकीर्तये नमः


ॐ पुराणगाय नमः


ॐ जन्यभृते नमः


ॐ जन्यसन्नद्धाय नमः


ॐ दिव्यपञ्चायुधाय नमः


ॐ विशिने नमः


ॐ दौर्जन्यभङ्गाय नमः


ॐ पर्जन्याय नमः


ॐ सौजन्यनिलयाय नमः


ॐ अलयाय नमः


ॐ जलन्धरान्तकाय नमः


ॐ महामनसे नमः


ॐ भस्मदैत्यनाशिने नमः


ॐ श्रेष्ठाय नमः


ॐ श्रविष्ठाय नमः


ॐ द्राघिष्ठाय नमः


ॐ गरिष्ठाय नमः


ॐ गरुडध्वजाय नमः


ॐ ज्येष्ठाय नमः


ॐ द्रढिष्ठाय नमः


ॐ वर्षिष्ठाय नमः


ॐ द्राघियसे नमः


ॐ प्रणवाय नमः


ॐ फणिने नमः


ॐ सम्प्रदायकराय नमः


ॐ स्वामिने नमः


ॐ सुरेशाय नमः


ॐ माधवाय नमः


ॐ मधवे नमः


ॐ निर्णिमेषाय नमः


ॐ विधये नमः


ॐ वेधसे नमः


ॐ बलवते नमः


ॐ जीवनाय नमः


ॐ बलिने नमः


ॐ स्मर्त्रे नमः


ॐ श्रोत्रे नमः


ॐ निकर्त्रे नमः


ॐ ध्यात्रे नमः


ॐ नेत्रे नमः


ॐ समाय नमः


ॐ असमाय नमः


ॐ होत्रे नमः


ॐ पोत्रे नमः


ॐ महावक्त्रे नमः


ॐ रन्त्रे नमः


ॐ मन्त्रे नमः


ॐ खलान्तकाय नमः


ॐ दात्रे नमः


ॐ ग्राहयित्रे नमः


ॐ मात्रे नमः


ॐ नियन्त्रे नमः


ॐ अनन्तवैभवाय नमः


ॐ गोप्त्रे नमः


ॐ गोपयित्रे नमः


ॐ हन्त्रे नमः


ॐ धर्मजागरित्रे नमः


ॐ धवाय नमः


ॐ कर्त्रे नमः


ॐ क्षेत्रकराय नमः


ॐ क्षेत्रप्रदाय नमः


ॐ क्षेत्रज्ञाय नमः


ॐ आत्मविदे नमः


ॐ क्षेत्रिणे नमः


ॐ क्षेत्रहराय नमः


ॐ क्षेत्रप्रियाय नमः


ॐ क्षेमकराय नमः


ॐ मरुते नमः


ॐ भक्तिप्रदाय नमः


ॐ मुक्तिदायिने नमः


ॐ शक्तिदाय नमः


ॐ युक्तिदायकायनमः


ॐ शक्तियुजे नमः


ॐ मौक्तिकस्रग्विणे नमः


ॐ सूक्तये नमः


ॐ आम्नायसूक्तिगाय नमः


ॐ धनञ्जयाय नमः


ॐ धनाध्यक्षाय नमः


ॐ धनिकाय नमः


ॐ धनदाधिपाय नमः


ॐ महाधनाय नमः


ॐ महामानिने नमः


ॐ दुर्योधनविमानिताय नमः


ॐ रत्नकराय नमः


ॐ रत्न रोचिषे नमः


ॐ रत्नगर्भाश्रयाय नमः


ॐ शुचये नमः


ॐ रत्नसानुनिधये नमः


ॐ मौलिरत्नभासे नमः


ॐ रत्नकङ्कणाय नमः


ॐ अन्तर्लक्ष्याय नमः


ॐ अन्तरभ्यासिने नमः


ॐ अन्तर्ध्येयाय नमः


ॐ जितासनाय नमः


ॐ अन्तरङ्गाय नमः


ॐ दयावते नमः


ॐ अन्तर्मायाय नमः


ॐ महार्णवाय नमः


ॐ सरसाय नमः


ॐ सिद्धरसिकाय नमः


ॐ सिद्धये नमः


ॐ सिद्ध्याय नमः


ॐ सदागतये नमः


ॐ आयुःप्रदाय नमः


ॐ महायुष्मते नमः


ॐ अर्चिष्मते नमः


ॐ ओषधीपतये नमः


ॐ अष्टश्रियै नमः


ॐ अष्टभागाय नमः


ॐ अष्टककुब्व्याप्तयशसे नमः


ॐ व्रतिने नमः


ॐ अष्टापदाय नमः


ॐ सुवर्णाभाय नमः


ॐ अष्टमूर्तये नमः


ॐ त्रिमूर्तिमते नमः


ॐ अस्वप्नाय नमः


ॐ स्वप्नगाय नमः


ॐ स्वप्नाय नमः


ॐ सुस्वप्नफलदायकाय नमः


ॐ दुस्स्वप्नध्वंसकाय नमः


ॐ ध्वस्तदुर्निमित्ताय नमः


ॐ शिवङ्कराय नमः


ॐ सुवर्णवर्णाय नमः


ॐ सम्भाव्याय नमः


ॐ वर्णिताय नमः


ॐ वर्णसम्मुखाय नमः


ॐ सुवर्णमुखरीतीरशिव ध्यातपदाम्बुजाय नमः


ॐ दाक्षायणीवचस्तुष्टाय नमः


ॐ दुर्वासोदृष्टिगोचराय नमः


ॐ अम्बरीषव्रतप्रीताय नमः


ॐ महाकृत्तिविभञ्जनाय नमः


ॐ महाभिचारकध्वंसिने नमः


ॐ कालसर्पभयान्तकाय नमः


ॐ सुदर्शनाय नमः


ॐ कालमेघश्यामाय नमः


ॐ श्रीमन्त्रभाविताय नमः


ॐ हेमाम्बुजसरस्नायिने नमः


ॐ श्रीमनोभाविताकृतये नमः


ॐ श्रीप्रदत्ताम्बुजस्रग्विणे नमः


ॐ श्री केलये नमः


ॐ श्रीनिधये नमः


ॐ भवाय नमः


ॐ श्रीप्रदाय नमः


ॐ वामनाय नमः


ॐ लक्ष्मीनायकाय नमः


ॐ चतुर्भुजाय नमः


ॐ सन्तृप्ताय नमः


ॐ तर्पिताय नमः


ॐ तीर्थस्नातृसौख्यप्रदर्शकाय नमः


ॐ अगस्त्यस्तुतिसंहृष्टाय नमः


ॐ दर्शिताव्यक्तभावनाय नमः


ॐ कपिलार्चिषे नमः


ॐ कपिलवते नमः


ॐ सुस्नाताघाविपाटनाय नमः


ॐ वृषाकपये नमः


ॐ कपिस्वामिमनोन्तस्थितविग्रहाय नमः


ॐ वह्निप्रियाय नमः


ॐ अर्थसम्भवाय नमः


ॐ जनलोकविधायकाय नमः


ॐ वह्निप्रभाय नमः


ॐ वह्नितेजसे नमः


ॐ शुभाभीष्टप्रदाय नमः


ॐ यमिने नमः


ॐ वारुणक्षेत्रनिलयाय नमः


ॐ वरुणाय नमः


ॐ सारणार्चिताय नमः


ॐ वायुस्थानकृतावासाय नमः


ॐ वायुगाय नमः


ॐ वायुसम्भृताय नमः


ॐ यमान्तकाय नमः


ॐ अभिजननाय नमः


ॐ यमलोकनिवारणाय नमः


ॐ यमिनामग्रगण्याय नमः


ॐ संयमिने नमः


ॐ यमभाविताय नमः


ॐ इन्द्रोद्यानसमीपस्थाय नमः


ॐ इन्द्रदृग्विषयाय नमः


ॐ प्रभवे नमः


ॐ यक्षराट्सरसीवासाय नमः


ॐ अक्षय्यनिधिकोशकृते नमः


ॐ स्वामितीर्थकृतावासाय नमः


ॐ स्वामिध्येयाय नमः


ॐ वराहाद्यष्टतीर्थाभिसेविताङ्घ्रिसरोरुहाय नमः


ॐ पाण्डुतीर्थाभिषिक्ताङ्गाय नमः


ॐ युधिष्ठिरवरप्रदाय नमः


ॐ भीमान्तःकरणारूढाय नमः


ॐ श्वेतवाहनसख्यवते नमः


ॐ नकुलाभयदाय नमः


ॐ माद्रीसहदेवाभिवन्दिताय नमः


ॐ कृष्णाशपथसन्धात्रे नमः


ॐ कुन्तीस्तुतिरताय नमः


ॐ दमिने नमः


ॐ नारादादिमुनिस्तुत्याय नमः


ॐ नित्यकर्मपरायणाय नमः


ॐ दर्शिताव्यक्तरूपाय नमः


ॐ वीणानादप्रमोदिताय नमः


ॐ षट्कोटितीर्थचर्यावते नमः


ॐ देवतीर्थकृताश्रमाय नमः


ॐ बिल्वामलजलस्नायिने नमः


ॐ सरस्वत्यम्बुसेविताय नमः


ॐ तुम्बुरूदकसंस्पर्शजचित्ततमोपहाय नमः


ॐ मत्स्यवामनकूर्मादितीर्थराजाय नमः


ॐ पुराणभृते नमः


ॐ शक्रध्येयपदाम्भोजय नमः


ॐ शङ्खपूजितपादुकाय नमः


ॐ रामतीर्थविहारिणे नमः


ॐ बलभद्रब्रतिष्ठिताय नमः


ॐ जामदग्न्यसरस्तीर्थजलसेचनतर्पिताय नमः


ॐ पापहारिकीलालसुस्नाताघविनाशनाय नमः


ॐ नभोगङ्गाभिषिक्ताय नमः


ॐ नागतीर्थाभिषेकवते नमः


ॐ कुमारधारातीर्थस्थाय नमः


ॐ वटुवेषाय नमः


ॐ सुमेखलाय नमः


ॐ वृद्धस्यसुकुमारत्व प्रदाय नमः


ॐ सौन्दर्यवते नमः


ॐ सुखिने नमः


ॐ प्रियंवदाय नमः


ॐ महाकुक्षये नमः


ॐ इक्ष्वाकुकुलनन्दनाय नमः


ॐ नीलगोक्षीरधाराभुवे नमः


ॐ वराहाचलनायकाय नमः


ॐ भरद्वाजप्रतिष्ठावते नमः


ॐ बृहस्पतिविभाविताय नमः


ॐ अञ्जनाकृतपूजावते नमः


ॐ आञ्जनेयकरार्चिताय नमः


ॐ अञ्जनाद्रनिवासाय नमः


ॐ मुञ्जिकेशाय नमः


ॐ पुरन्दराय नमः


ॐ किन्नरद्वन्द्वसम्बन्धिबन्धमोक्षप्रदायकाय नमः


ॐ वैखानसमखारम्भाय नमः


ॐ वृषज्ञेयाय नमः


ॐ वृषाचलाय नमः


ॐ वृषकायप्रभेत्त्रे नमः


ॐ क्रीडानाचारसम्भ्रमाय नमः


ॐ सौवर्चलेयविन्यस्तराज्याय नमः


ॐ नारायणप्रियाय नमः


ॐ दुर्मेधोभञ्जकाय नमः


ॐ प्राज्ञाय नमः


ॐ ब्रह्मोत्सवमहोत्सुकाय नमः


ॐ सुभद्रवते नमः


ॐ भद्रासुरशिरश्छेत्रे नमः


ॐ भद्रक्षेत्रिणे नमः


ॐ मृगयाक्षीणसन्नाहाय नमः


ॐ शङ्खराजन्यतुष्टिदाय नमः


ॐ स्थाणुस्थाय नमः


ॐ वैनतेयाङ्गभाविताय नमः


ॐ अशरीरवते नमः


ॐ भोगीन्द्रभोगसंस्थानाय नमः


ॐ ब्रह्मादिगणसेविताय नमः


ॐ सहस्रार्कच्छटाभास्वद्विमानान्तस्स्थिताय नमः


ॐ गुणिने नमः


ॐ विष्वक्सेनकृतस्तोत्राय नमः


ॐ सनन्दनपरीवृताय नमः


ॐ जाह्नव्यादिनदीसेव्याय नमः


ॐ सुरेशाद्यभिवन्दिताय नमः


ॐ सुराङ्गनानृत्यपराय नमः


ॐ गन्धर्वोद्गायनप्रियाय नमः


ॐ राकेन्दुसङ्काशनखाय नमः


ॐ कोमलाङ्घ्रिसरोरुहाय नमः


ॐ कच्छपप्रपदाय नमः


ॐ कुन्दगुल्फकाय नमः


ॐ स्वच्छकूर्पराय नमः


ॐ शुभङ्कराय नमः


ॐ मेदुरस्वर्णवस्त्राढ्यकटिदेशस्थमेखलाय नमः


ॐ प्रोल्लसच्छुरिकाभास्वत्कटिदेशाय नमः


ॐ अनन्तपद्मजस्थाननाभये नमः


ॐ मौक्तिकमालिकाय नमः


ॐ मन्दारचाम्पेयमालिने नमः


ॐ रत्नाभरणसम्भृताय नमः


ॐ लम्बयज्ञोपवीतिने नमः


ॐ चन्द्रश्रीखण्डलेपवते नमः


ॐ वरदाय नमः


ॐ अभयदाय नमः


ॐ चक्रिणे नमः


ॐ शङ्खिने नमः


ॐ कौस्तुभदीप्तिमते नमः


ॐ श्रीवत्साङ्कितवक्षस्काय नमः


ॐ लक्ष्मीसंश्रितहृत्तटाय नमः


ॐ नीलोत्पलनिभाकाराय नमः


ॐ शोणाम्भोजसमाननाय नमः


ॐ कोटिमन्मथलावण्याय नमः


ॐ चन्द्रिकास्मितपूरिताय नमः


ॐ सुधास्वच्छोर्ध्वपुण्ड्राय नमः


ॐ कस्तूरीतिलकाञ्चिताय नमः


ॐ पुण्डरीकेक्षणाय नमः


ॐ स्वच्छाय नमः


ॐ मौलिशोभाविराजिताय नमः


ॐ पद्मस्थाय नमः


ॐ पद्मनाभाय नमः


ॐ सोममण्डलगाय नमः


ॐ बुधाय नमः


ॐ वह्निमण्डलगाय नमः


ॐ सूर्याय नमः


ॐ सूर्यमण्डलसंस्थिताय नमः


ॐ श्रीपतये नमः


ॐ भूमिजानये नमः


ॐ विमलाद्यभिसंवृताय नमः


ॐ जगत्कुटुम्बजनित्रे नमः


ॐ रक्षकाय नमः


ॐ कामितप्रदाय नमः


ॐ अवस्थात्रययन्त्रे नमः


ॐ विश्वतेजस्स्वरूपवते नमः


ॐ ज्ञप्तये नमः


ॐ ज्ञेयाय नमः


ॐ ज्ञानगम्याय नमः


ॐ ज्ञानातीताय नमः


ॐ सुरातिगाय नमः


ॐ ब्रह्माण्डान्तर्बहिर्व्याप्ताय नमः


ॐ वेङ्कटाद्रिगदाधराय नमः


श्री वेङ्कटेश्वर सहस्रनामावलिः समाप्तं


vyanktesh sahastra namavali

Venkatesh Sahastra Namawali
Bhagwan
Shri Venkatesh Sahastra Namawali


















 

विष्णू सहस्रनामावली | संपूर्ण संग्रह विष्णु जी के हजार नाम Vishnu Sahastra Namawali


विष्णू सहस्रनामावली | संपूर्ण संग्रह


। विष्णू सहस्रनामावली प्रारंभ।


१. ॐ विश्वस्मै नमः ।


२.ॐ विष्णवे नमः ।


३. ॐ वषट्काराय नमः ।


४. ॐ भूतभव्यभवत्प्रभवे नमः ।


५. ॐ भूतकृते नमः ।


६. ॐ भूतभृते नमः ।


७. ॐ भावाय नमः ।


८. ॐ भूतात्मने नमः ।


९. ॐ भूतभावनाय नमः ।


१०. ॐ पूतात्मने नमः ।


११. ॐ परमात्मने नमः ।


१२. ॐ मुक्तानां परमायै गतये नमः ।


१३. ॐ अव्ययाय नमः ।


१४. ॐ पुरुषाय नमः ।


१५. ॐ साक्षिणे नमः ।


१६. ॐ क्षेत्रज्ञाय नमः ।


१७. ॐ अक्षराय नमः ।


१८. ॐ योगाय नमः ।


१९. ॐ योगिविदां नेत्रे नमः ।


२०. ॐ प्रधानपुरुषेश्वराय नमः ।


२१. ॐ नारसिंहवपुषे नमः ।


२२. ॐ श्रीमते नमः ।


२३. ॐ केशवाय नमः ।


२४. ॐ पुरुषोत्तमाय नमः ।


२५. ॐ सर्वस्मै नमः ।


२६. ॐ शर्वाय नमः ।


२७. ॐ शिवाय नमः ।


२८. ॐ स्थाणवे नमः ।


२९. ॐ भूतादये नमः ।


३०. ॐ निधयेऽव्ययाय नमः ।


३१. ॐ समभवाय नमः ।


३२. ॐ भावनाय नमः ।


३३. ॐ भर्त्रे नमः ।


३४. ॐ प्रभवाय नमः ।


३५. ॐ प्रभवे नमः ।


३६. ॐ ईश्वराय नमः ।


३७. ॐ स्वयम्भुवे नमः ।


३८. ॐ शम्भवे नमः ।


३९. ॐ आदित्याय नमः ।


४०. ॐ पुष्कराक्षाय नमः ।


४१. ॐ महास्वनाय नमः ।


४२. ॐ अनादिनिधनाय नमः ।


४३. ॐ धात्रे नमः ।


४४. ॐ विधात्रे नमः ।


४५. ॐ धातवे उत्तमाय नमः ।


४६. ॐ अप्रमेयाय नमः ।


४७. ॐ ह्रषीकेशाय नमः ।


४८. ॐ पद्मनाभाय नमः ।


४९. ॐ अमरप्रभवे नमः ।


५०. ॐ विश्वकर्मणे नमः ।


५१. ॐ मनवे नमः ।


५२. ॐ त्वष्टे नमः ।


५३. ॐ स्थविष्ठाय नमः ।


५४. ॐ स्थविराय ध्रुवाय नमः ।


५५. ॐ अग्राह्याय नमः ।


५६. ॐ शाश्वताय नमः ।


५७. ॐ कृष्णाय नमः ।


५८. ॐ लोहिताक्षयाय नमः ।


५९. ॐ प्रतर्दनाय नमः ।


६०. ॐ प्रभूताय नमः ।


६१. ॐ त्रिककुब्धाम्ने नमः ।


६२. ॐ पवित्राय नमः ।


६३. ॐ मङ्गलपराय नमः ।


६४. ॐ ईशानाय नमः ।


६५. ॐ प्राणदाय नमः ।


६६. ॐ प्राणाय नमः ।


६७. ॐ ज्येष्ठाय नमः ।


६८. ॐ श्रेष्ठाय नमः ।


६९. ॐ प्रजापतये नमः ।


७०. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः ।


७१. ॐ भूगर्भाय नमः ।


७२. ॐ माधवाय नमः ।


७३. ॐ मधुसूदनाय नमः ।


७४. ॐ ईश्वराय नमः ।


७५. ॐ विक्रमिणे नमः ।


७६. ॐ धन्विने नमः ।


७७. ॐ मेधाविने नमः ।


७८. ॐ विक्रमाय नमः ।


७९. ॐ क्रमाय नमः ।


८०. ॐ अनुत्तमाय नमः ।


८१. ॐ दुराधर्षाय नमः ।


८२. ॐ कृतज्ञाय नमः ।


८३. ॐ कृतये नमः ।


८४. ॐ आत्मवते नमः ।


८५. ॐ सुरेशाय नमः ।


८६. ॐ शरणाय नमः ।


८७. ॐ शर्मणे नमः ।


८८. ॐ विश्वरेतसे नमः ।


८९. ॐ प्रजाभवाय नमः ।


९०. ॐ अह्ने नमः ।


९१. ॐ संवत्सराय नमः ।


९२. ॐ व्यालाय नमः ।


९३. ॐ प्रत्ययाय नमः ।


९४. ॐ सर्वदर्शनाय नमः ।


९५. ॐ अजाय नमः ।


९६. ॐ सर्वेश्वराय नमः ।


९७. ॐ सिद्धाय नमः ।


९८. ॐ सिद्धये नमः ।


९९. ॐ सर्वादये नमः ।


१००. ॐ अच्युताय नमः ।


१०१. ॐ वृषाकपये नमः ।


१०२. ॐ अमेयात्मने नमः ।


१०३. ॐ सर्वयोगविनिःसृताय नमः ।


१०४. ॐ वसवे नमः ।


१०५. ॐ वसुमनसे नमः ।


१०६. ॐ सत्याय नमः ।


१०७. ॐ समात्मने नमः ।


१०८. ॐ असम्मिताय नमः ।


१०९. ॐ समाय नमः ।


११०. ॐ अमोघाय नमः ।


१११. ॐ पुण्डरीकाक्षाय नमः ।


११२. ॐ वृषकर्मणे नमः ।


११३. ॐ वृषाकतये नमः ।


११४. ॐ रुद्राय नमः ।


११५. ॐ बहुशिरसे नमः ।


११६. ॐ बभ्रवे नमः ।


११७. ॐ विश्वयोनये नमः ।


११८. ॐ शुचिश्रवसे नमः ।


११९. ॐ अमृताय नमः ।


१२०. ॐ शाश्वतस्थाणवे नमः ।


१२१. ॐ वरारोहाय नमः ।


१२२. ॐ महातपसे नमः ।


१२३. ॐ सर्वगाय नमः ।


१२४. ॐ सर्वविद्भानवे नमः ।


१२५. ॐ विष्वक्सेनाय नमः ।


१२६. ॐ जनार्दनाय नमः ।


१२७. ॐ वेदाय नमः ।


१२८. ॐ वेदविदे नमः ।


१२९. ॐ अव्यङ्गाय नमः ।


१३०. ॐ वेदाङ्गाय नमः ।


१३१. ॐ वेदविदे नमः ।


१३२. ॐ कवये नमः ।


१३३. ॐ लोकाध्यक्षाय नमः ।


१३४. ॐ सुराध्यक्षाय नमः ।


१३५. ॐ धर्माध्यक्षाय नमः ।


१३६. ॐ कृताकृताय नमः ।


१३७. ॐ चतुरात्मने नमः ।


१३८. ॐ चतुर्व्यूहाय नमः ।


१३९. ॐ चतुर्दंष्ट्राय नमः ।


१४०. ॐ चतुर्भुजाय नमः ।


१४१. ॐ भ्राजिष्णवे नमः ।


१४२. ॐ भोजनाय नमः ।


१४३. ॐ भोक्त्रे नमः ।


१४४. ॐ सहिष्णवे नमः ।


१४५. ॐ जगदादिजाय नमः ।


१४६. ॐ अनघाय नमः ।


१४७. ॐ विजयाय नमः ।


१४८. ॐ जेत्रे नमः ।


१४९. ॐ विश्वयोनये नमः ।


१५०. ॐ पुनर्वसवे नमः ।


१५१. ॐ उपेन्द्राय नमः ।


१५२. ॐ वामनाय नमः ।


१५३. ॐ प्रांशवे नमः ।


१५४. ॐ अमोघाय नमः ।


१५५. ॐ शुचये नमः ।


१५६. ॐ ऊर्जिताय नमः ।


१५७. ॐ अतीन्द्राय नमः ।


१५८. ॐ संग्रहाय नमः ।


१५९. ॐ सर्गाय नमः ।


१६०. ॐ धृतात्मने नमः ।


१६१. ॐ नियमाय नमः ।


१६२. ॐ यमाय नमः ।


१६३. ॐ वेद्याय नमः ।


१६४. ॐ वैद्याय नमः ।


१६५. ॐ सदायोगिने नमः ।


१६६. ॐ वीरघ्ने नमः ।


१६७. ॐ माधवाय नमः ।


१६८. ॐ मधवे नमः ।


१६९. ॐ अतीन्द्रियाय नमः ।


१७०. ॐ महामायाय नमः ।


१७१. ॐ महोत्साहाय नमः ।


१७२. ॐ महाबलाय नमः ।


१७३. ॐ महाबुद्धये नमः ।


१७४. ॐ महावीर्याय नमः ।


१७५. ॐ महाशक्तये नमः ।


१७६. ॐ महाद्युतये नमः ।


१७७. ॐ अनिर्देश्यवपुषे नमः ।


१७८. ॐ श्रीमते नमः ।


१७९. ॐ अमेयात्मने नमः ।


१८०. ॐ महाद्रिधृषे नमः ।


१८१. ॐ महेष्वासाय नमः ।


१८२. ॐ महीभर्त्रे नमः ।


१८३. ॐ श्रीनिवासाय नमः ।


१८४. ॐ सतां गतये नमः ।


१८५. ॐ अनिरुद्धाय नमः ।


१८६. ॐ सुरानन्दाय नमः ।


१८७. ॐ गोविन्दाय नमः ।


१८८. ॐ गोविदां पतये नमः ।


१८९. ॐ मरीचये नमः ।


१९०. ॐ दमनाय नमः ।


१९१. ॐ हंसाय नमः ।


१९२. ॐ सुपर्णाय नमः ।


१९३. ॐ भुजगोत्तमाय नमः ।


१९४. ॐ हिरण्यनाभाय नमः ।


१९५. ॐ सुतपसे नमः ।


१९६. ॐ पद्मनाभाय नमः ।


१९७. ॐ प्रजापतये नमः ।


१९८. ॐ अमृत्यवे नमः ।


१९९. ॐ सर्वदृशे नमः ।


२००. ॐ सिंहाय नमः ।


२०१. ॐ संधात्रे नमः ।


२०२. ॐ संधिमते नमः ।


२०३. ॐ स्थिराय नमः ।


२०४. ॐ अजाय नमः ।


२०५. ॐ दुर्मर्षणाय नमः ।


२०६. ॐ शास्त्रे नमः ।


२०७. ॐ विश्रुतात्मने नमः ।


२०८. ॐ सुरारिघ्ने नमः ।


२०९. ॐ गुरवे नमः ।


२१०. ॐ गुरुतमाय नमः ।


२११. ॐ धाम्ने नमः ।


२१२. ॐ सत्याय नमः ।


२१३. ॐ सत्यपराक्रमाय नमः ।


२१४. ॐ निमिषाय नमः ।


२१५. ॐ अनिमिषाय नमः ।


२१६. ॐ स्त्रग्विणे नमः ।


२१७. ॐ वाचस्पतये उदारधिये नमः ।


२१८. ॐ अग्रण्ये नमः ।


२१९. ॐ ग्रामण्ये नमः ।


२२०. ॐ श्रीमते नमः ।


२२१. ॐ न्यायाय नमः ।


२२२. ॐ नेत्रे नमः ।


२२३. ॐ समीरणाय नमः ।


२२४. ॐ सहस्त्रमूर्ध्ने नमः ।


२२५. ॐ विश्वात्मने नमः ।


२२६. ॐ सहस्त्राक्षाय नमः ।


२२७. ॐ सहस्त्रपदे नमः ।


२२८. ॐ आवर्तनाय नमः ।


२२९. ॐ निवृत्तात्मने नमः ।


२३०. ॐ संवृताय नमः ।


२३१. ॐ सम्प्रमर्दनाय नमः ।


२३२. ॐ अहःसंवर्तकाय नमः ।


२३३. ॐ वह्नये नमः ।


२३४. ॐ अनिलाय नमः ।


२३५. ॐ धरणीधराय नमः ।


२३६. ॐ सुप्रसादाय नमः ।


२३७. ॐ प्रसन्नात्मने नमः ।


२३८. ॐ विश्वधृषे नमः ।


२३९. ॐ विश्वभुजे नमः ।


२४०. ॐ विभवे नमः ।


२४१. ॐ सत्कर्त्रे नमः ।


२४२. ॐ सत्कृताय नमः ।


२४३. ॐ साधवे नमः ।


२४४. ॐ जह्नवे नमः ।


२४५. ॐ नारायणाय नमः ।


२४६. ॐ नराय नमः ।


२४७. ॐ असंख्येयाय नमः ।


२४८. ॐ अप्रमेयात्मने नमः ।


२४९. ॐ विशिष्टाय नमः ।


२५०. ॐ शिष्टकृते नमः ।


२५१. ॐ शुचये नमः ।


२५२. ॐ सिद्धार्थाय नमः ।


२५३. ॐ सिद्धसंकल्पाय नमः ।


२५४. ॐ सिद्धिदाय नमः ।


२५५. ॐ सिद्धिसाधनाय नमः ।


२५६. ॐ वृषाहिने नमः ।


२५७. ॐ वृषभाय नमः ।


२५८. ॐ विष्णवे नमः ।


२५९. ॐ वृषपर्वणे नमः ।


२६०. ॐ वृषोदराय नमः ।


२६१. ॐ वर्धनाय नमः ।


२६२. ॐ वर्धमानाय नमः ।


२६३. ॐ विविक्ताय नमः ।


२६४. ॐ श्रुतिसागराय नमः ।


२६५. ॐ सुभुजाय नमः ।


२६६. ॐ दुर्धराय नमः ।


२६७. ॐ वाग्मिने नमः ।


२६८. ॐ महेन्द्राय नमः ।


२६९. ॐ वसुदाय नमः ।


२७०. ॐ वसवे नमः ।


२७१. ॐ नैकरूपाय नमः ।


२७२. ॐ बृहद्रूपाय नमः ।


२७३. ॐ शिपिविष्टाय नमः ।


२७४. ॐ प्रकाशनाय नमः ।


२७५. ॐ ओजस्तेजोद्युतिधराय नमः ।


२७६. ॐ प्रकाशात्मने नमः ।


२७७. ॐ प्रतापनाय नमः ।


२७८. ॐ ऋद्धाय नमः ।


२७९. ॐ स्पष्टक्षराय नमः ।


२८०. ॐ मन्त्राय नमः ।


२८१. ॐ चन्द्रांशवे नमः ।


२८२. ॐ भास्करद्युतये नमः ।


२८३. ॐ अमृतांशूद्भवाय नमः ।


२८४. ॐ भानवे नमः ।


२८५. ॐ शशबिन्दवे नमः ।


२८६. ॐ सुरेश्वराय नमः ।


२८७. ॐ औषधाय नमः ।


२८८. ॐ जगतः सेतवे नमः ।


२८९. ॐ सत्यधर्मपराक्रमाय नमः ।


२९०. ॐ भूतभव्यभवन्नाथाय नमः ।


२९१. ॐ पवनाय नमः ।


२९२. ॐ पावनाय नमः ।


२९३. ॐ अनलाय नमः ।


२९४. ॐ कामघ्ने नमः ।


२९५. ॐ कामकृते नमः ।


२९६. ॐ कान्ताय नमः ।


२९७. ॐ कामाय नमः ।


२९८. ॐ कामप्रदाय नमः ।


२९९. ॐ प्रभवे नमः ।


३००. ॐ युगादिकृते नमः ।


३०१. ॐ युगावर्ताय नमः ।


३०२. ॐ नैकमायाय नमः ।


३०३. ॐ महाशनाय नमः ।


३०४. ॐ अदृश्याय नमः ।


३०५. ॐ अव्यक्तरूपाय नमः ।


३०६. ॐ सहस्त्रजिते नमः ।


३०७. ॐ अनन्तजिते नमः ।


३०८. ॐ इष्टाय नमः ।


३०९. ॐ अविशिष्टाय नमः ।


३१०. ॐ शिष्टेष्टाय नमः ।


३११. ॐ शिखण्डिने नमः ।


३१२. ॐ नहुषाय नमः ।


३१३. ॐ वृषाय नमः ।


३१४. ॐ क्रोधघ्ने नमः ।


३१५. ॐ क्रोधकृत्कर्त्रे नमः ।


३१६. ॐ विश्वबाहवे नमः ।


३१७. ॐ महीधराय नमः ।


३१८. ॐ अच्युताय नमः ।


३१९. ॐ प्रथिताय नमः ।


३२०. ॐ प्राणाय नमः ।


३२१. ॐ प्राणदाय नमः ।


३२२. ॐ वासवानुजाय नमः ।


३२३. ॐ अपां निधये नमः ।


३२४. ॐ अधिष्ठानाय नमः ।


३२५. ॐ अप्रमत्ताय नमः ।


३२६. ॐ प्रतिष्ठिताय नमः ।


३२७. ॐ स्कन्दाय नमः ।


३२८. ॐ स्कन्दधराय नमः ।


३२९. ॐ धुर्याय नमः ।


३३०. ॐ वरदाय नमः ।


३३१. ॐ वायुवाहनाय नमः ।


३३२. ॐ वासुदेवाय नमः ।


३३३. ॐ बृहद्भानवे नमः ।


३३४. ॐ आदिदेवाय नमः ।


३३५. ॐ पुरन्दराय नमः ।


३३६. ॐ अशोकाय नमः ।


३३७. ॐ तारणाय नमः ।


३३८ ॐ ताराय नमः ।


३३९. ॐ शूराय नमः ।


३४०. ॐ शौरये नमः ।


३४१. ॐ जनेश्वराय नमः ।


३४२. ॐ अनुकूलाय नमः ।


३४३. ॐ शतावर्ताय नमः ।


३४४. ॐ पद्मिने नमः ।


३४५. ॐ पद्मनिभेक्षणाय नमः ।


३४६. ॐ पद्मनाभाय नमः ।


३४७. ॐ अरविन्दाक्षाय नमः ।


३४८. ॐ पद्मगर्भाय नमः ।


३४९. ॐ शरीरभृते नमः ।


३५०. ॐ महर्द्धये नमः ।


३५१. ॐ ऋद्धाय नमः ।


३५२. ॐ वृद्धात्मने नमः ।


३५३. ॐ महाक्षाय नमः ।


३५४. ॐ गरुडध्वजाय नमः ।


३५५. ॐ अतुलाय नमः ।


३५६. ॐ शरभाय नमः ।


३५७. ॐ भीमाय नमः ।


३५८. ॐ समयज्ञाय नमः ।


३५९. ॐ हविर्हरये नमः ।


३६०. ॐ सर्वलक्षणलक्षण्याय नमः ।


३६१. ॐ लक्ष्मीवते नमः ।


३६२. ॐ सिमितञ्जयाय नमः ।


३६३. ॐ विक्षराय नमः ।


३६४. ॐ रोहिताय नमः ।


३६५. ॐ मार्गाय नमः ।


३६६. ॐ हेतवे नमः ।


३६७. ॐ दामोदराय नमः ।


३६८. ॐ सहाय नमः ।


३६९. ॐ महीधराय नमः ।


३७०. ॐ महाभागाय नमः ।


३७१. ॐ वेगवते नमः ।


३७२. ॐ अमिताशनाय नमः ।


३७३. ॐ उद्भवाय नमः ।


३७४. ॐ क्षोभणाय नमः ।


३७५. ॐ देवाय नमः ।


३७६. ॐ श्रीगर्भाय नमः ।


३७७. ॐ परमेश्वराय नमः ।


३७८. ॐ करणाय नमः ।


३७९. ॐ कारणाय नमः ।


३८०. ॐ कर्त्रे नमः ।


३८१. ॐ विकर्त्रे नमः ।


३८२. ॐ गहनाय नमः ।


३८३. ॐ गुहाय नमः ।


३८४. ॐ व्यवसायाय नमः ।


३८५. ॐ व्यवस्थानाय नमः ।


३८६. ॐ संस्थानाय नमः ।


३८७. ॐ स्थानदाय नमः ।


३८८. ॐ ध्रुवाय नमः ।


३८९. ॐ परर्द्धये नमः ।


३९०. ॐ परमस्पष्टाय नमः ।


३९१. ॐ तुष्टाय नमः ।


३९२. ॐ पुष्टाय नमः ।


३९३. ॐ शुभेक्षणाय नमः ।


३९४. ॐ रामाय नमः ।


३९५. ॐ विरामाय नमः ।


३९६. ॐ विरजसे नमः ।


३९७. ॐ मार्गाय नमः ।


३९८. ॐ नेयाय नमः ।


३९९. ॐ नयाय नमः ।


४००. ॐ अनयाय नमः ।


४०१. ॐ वीराय नमः ।


४०२. ॐ शक्तिमतां श्रेष्ठाय नमः ।


४०३. ॐ धर्माय नमः ।


४०४. ॐ धर्मविदुत्तमाय नमः ।


४०५. ॐ वैकुण्ठाय नमः ।


४०६. ॐ पुरुषाय नमः ।


४०७. ॐ प्राणाय नमः ।


४०८. ॐ प्राणदाय नमः ।


४०९. ॐ प्रणवाय नमः ।


४१०. ॐ पृथवे नमः ।


४११. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः ।


४१२. ॐ शत्रुघ्नाय नमः ।


४१३. ॐ व्याप्ताय नमः ।


४१४. ॐ वायवे नमः ।


४१५. ॐ अधोक्षजाय नमः ।


४१६. ॐ ऋतवे नमः ।


४१७. ॐ सुदर्शनाय नमः ।


४१८. ॐ कालाय नमः ।


४१९. ॐ परमेष्ठिने नमः ।


४२०. ॐ परिग्रहाय नमः ।


४२१. ॐ उग्राय नमः ।


४२२. ॐ संवत्सराय नमः ।


४२३. ॐ दक्षाय नमः ।


४२४. ॐ विश्रामाय नमः ।


४२५. ॐ विश्वदक्षिणाय नमः ।


४२६. ॐ विस्ताराय नमः ।


४२७. ॐ स्थावरस्थाणवे नमः ।


४२८. ॐ प्रमाणाय नमः ।


४२९. ॐ बीजायाव्ययाय नमः ।


४३०. ॐ अर्थाय नमः ।


४३१. ॐ अनर्थाय नमः ।


४३२. ॐ महाकोशाय नमः ।


४३३. ॐ महाभोगाय नमः ।


४३४. ॐ महाधनाय नमः ।


४३५. ॐ अनिर्विण्णाय नमः ।


४३६. ॐ स्थविष्ठाय नमः ।


४३७. ॐ अभुवे नमः ।


४३८. ॐ धर्मयूपाय नमः ।


४३९. ॐ महामखाय नमः ।


४४०. ॐ नक्षत्रनेमये नमः ।


४४१. ॐ नक्षत्रिणे नमः ।


४४२. ॐ क्षमाय नमः ।


४४३. ॐ क्षामाय नमः ।


४४४. ॐ समीहनाय नमः ।


४४५. ॐ यज्ञाय नमः ।


४४६. ॐ इज्याय नमः ।


४४७. ॐ महेज्याय नमः ।


४४८. ॐ क्रतवे नमः ।


४४९. ॐ सत्राय नमः ।


४५०. ॐ सतां गतये नमः ।


४५१. ॐ सर्वदर्शिने नमः ।


४५२. ॐ विमुक्तात्मने नमः ।


४५३. ॐ सर्वज्ञाय नमः ।


४५४. ॐ ज्ञानाय उत्तमाय नमः ।


४५५. ॐ सुव्रताय नमः ।


४५६. ॐ सुमुखाय नमः ।


४५७. ॐ सूक्ष्माय नमः ।


४५८. ॐ सुघोषाय नमः ।


४५९. ॐ सुखदाय नमः ।


४६०. ॐ सुह्रदे नमः ।


४६१. ॐ मनोहराय नमः ।


४६२. ॐ जितक्रोधाय नमः ।


४६३. ॐ वीरबाहवे नमः ।


४६४. ॐ विदारणाय नमः ।


४६५. ॐ स्वापनाय नमः ।


४६६. ॐ स्ववशाय नमः ।


४६७. ॐ व्यापिने नमः ।


४६८. ॐ नैकात्मने नमः ।


४६९. ॐ नैककर्मकृते नमः ।


४७०. ॐ वत्सराय नमः ।


४७१. ॐ वत्सलाय नमः ।


४७२. ॐ वत्सिने नमः ।


४७३. ॐ रत्नगर्भाय नमः ।


४७४. ॐ धनेश्वराय नमः ।


४७५. ॐ धर्मगुपे नमः ।


४७६. ॐ धर्मकृते नमः ।


४७७. ॐ धर्मिणे नमः ।


४७८. ॐ सते नमः ।


४७९. ॐ असते नमः ।


४८०. ॐ क्षराय नमः ।


४८१. ॐ अक्षराय नमः ।


४८२. ॐ अविज्ञात्रे नमः ।


४८३. ॐ सहस्त्रांशवे नमः ।


४८४. ॐ विधात्रे नमः ।


४८५. ॐ कृतलक्षणाय नमः ।


४८६. ॐ गभस्तिनेमये नमः ।


४८७. ॐ सत्त्वस्थाय नमः ।


४८८. ॐ सिंहाय नमः ।


४८९. ॐ भूतमहेश्वराय नमः ।


४९०. ॐ आदिदेवाय नमः ।


४९१. ॐ महादेवाय नमः ।


४९२. ॐ देवेशाय नमः ।


४९३. ॐ देवभृद्गुरवे नमः ।


४९४. ॐ उत्तरस्मै नमः ।


४९५. ॐ गोपतये नमः ।


४९६. ॐ गोप्त्रे नमः ।


४९७. ॐ ज्ञानगम्याय नमः ।


४९८. ॐ पुरातनाय नमः ।


४९९. ॐ शरीरभूतभृते नमः ।


५००. ॐ भोक्त्रे नमः ।


५०१. ॐ कपीन्द्राय नमः ।


५०२. ॐ भूरिदक्षिणाय नमः ।


५०३. ॐ सोमपाय नमः ।


५०४. ॐ अमृतपाय नमः ।


५०५. ॐ सोमाय नमः ।


५०६. ॐ पुरुजिते नमः ।


५०७. ॐ पुरुसत्तमाय नमः ।


५०८. ॐ विनयाय नमः ।


५०९. ॐ जयाय नमः ।


५१०. ॐ सत्यसंधाय नमः ।


५११. ॐ दाशार्हाय नमः ।


५१२. ॐ सात्वतां पत्ये नमः ।


५१३. ॐ जीवाय नमः ।


५१४. ॐ विनयितासाक्षिणे नमः ।


५१५. ॐ मुकुन्दाय नमः ।


५१६. ॐ अमितविक्रमाय नमः ।


५१७. ॐ अम्भोनिधये नमः ।


५१८. ॐ अनन्तात्मने नमः ।


५१९. ॐ महोदधिशशाय नमः ।


५२०. ॐ अन्तकाय नमः ।


५२१. ॐ अजाय नमः ।


५२२. ॐ महार्हाय नमः ।


५२३. ॐ स्वाभाव्याय नमः ।


५२४. ॐ जितमित्राय नमः ।


५२५. ॐ प्रमोदनाय नमः ।


५२६. ॐ आनन्दाय नमः ।


५२७. ॐ नन्दनाय नमः ।


५२८. ॐ नन्दाय नमः ।


५२९. ॐ सत्यधर्माय नमः ।


५३०. ॐ त्रिविक्रमाय नमः ।


५३१. ॐ महर्षये कपिलाचार्याय नमः ।


५३२. ॐ कृतज्ञाय नमः ।


५३३. ॐ मेदिनीपतये नमः ।


५३४. ॐ त्रिपदाय नमः ।


५३५. ॐ त्रिदशाध्यक्षाय नमः ।


५३६. ॐ महाश्रृङ्गाय नमः ।


५३७. ॐ कृतान्तकृते नमः ।


५३८. ॐ महावराहाय नमः ।


५३९. ॐ गोविन्दाय नमः ।


५४०. ॐ सुषेणाय नमः ।


५४१. ॐ कनकाङ्गदिने नमः ।


५४२. ॐ गुह्याय नमः ।


५४३. ॐ गभीराय नमः ।


५४४. ॐ गहनाय नमः ।


५४५. ॐ गुप्ताय नमः ।


५४६. ॐ चक्रगदाधराय नमः ।


५४७. ॐ वेधसे नमः ।


५४८. ॐ स्वाङ्गाय नमः ।


५४९. ॐ अजिताय नमः ।


५५०. ॐ कृष्णाय नमः ।


५५१. ॐ दृढाय नमः ।


५५२. ॐ सङ्कर्षणायाच्युताय नमः ।


५५३. ॐ वरुणाय नमः ।


५५४. ॐ वारुणाय नमः ।


५५५. ॐ वृक्षाय नमः ।


५५६. ॐ पुष्कराक्षाय नमः ।


५५७. ॐ महामनसे नमः ।


५५८. ॐ भगवते नमः ।


५५९. ॐ भगघ्ने नमः ।


५६०. ॐ आनन्दिने नमः ।


५६१. ॐ वनमालिने नमः ।


५६२. ॐ हलायुधाय नमः ।


५६३. ॐ आदित्याय नमः ।


५६४. ॐ ज्योतिरदित्याय नमः ।


५६५. ॐ सहिष्णवे नमः ।


५६६. ॐ गतिसत्तमाय नमः ।


५६७. ॐ सुधन्वने नमः ।


५६८ ॐ खण्डपरशवे नमः ।


५६९. ॐ दारुणाय नमः ।


५७०. ॐ द्रविणप्रदाय नमः ।


५७१. ॐ दिविस्पृशे नमः ।


५७२. ॐ सर्वदृग्व्यासाय नमः ।


५७३. ॐ वाचस्पतये अयोनिजाय नमः ।


५७४. ॐ त्रिसाम्ने नमः ।


५७५. ॐ सामगाय नमः ।


५७६. ॐ साम्ने नमः ।


५७७. ॐ निर्वाणाय नमः ।


५७८ ॐ भेषजाय नमः ।


५८९ ॐ भिषजे नमः ।


५८०. ॐ संन्यासकृते नमः ।


५८१. ॐ शमाय नमः ।


५८२. ॐ शान्ताय नमः ।


५८३. ॐ निष्ठायै नमः ।


५८४. ॐ शान्त्यै नमः ।


५८५. ॐ परायणाय नमः ।


५८६. ॐ शुभाङ्गाय नमः ।


५८७. ॐ शान्तिदाय नमः ।


५८८. ॐ स्त्रष्ट्रे नमः ।


५८९. ॐ कुमुदाय नमः ।


५९०. ॐ कुवलेशयाय नमः ।


५९१. ॐ गोहिताय नमः ।


५९२. ॐ गोपतये नमः ।


५९३. ॐ गोप्त्रे नमः ।


५९४.. ॐ वृषभाक्षाय नमः ।


५९५. ॐ वृषप्रियाय नमः ।


५९६. ॐ अनिवर्तिने नमः ।


५९७. ॐ निवृत्तात्मने नमः ।


५९८. ॐ संक्षेप्त्रे नमः ।


५९९. ॐ क्षेमकृते नमः ।


६००. ॐ शिवाय नमः ।


६०१. ॐ श्रीवत्सवक्षसे नमः ।


६०२. ॐ श्रीवासाय नमः ।


६०३. ॐ श्रीपतये नमः ।


६०४. ॐ श्रीमतां वराय नमः ।


६०५. ॐ श्रीदाय नमः ।


६०६. ॐ श्रीशाय नमः ।


६०७. ॐ श्रीनिवासाय नमः ।


६०८. ॐ श्रीनिधये नमः ।


६०९. ॐ श्रीविभावनाय नमः ।


६१०. ॐ श्रीधराय नमः ।


६११. ॐ श्रीकराय नमः ।


६१२. ॐ श्रेयसे नमः ।


६१३. ॐ श्रीमते नमः ।


६१४. ॐ लोकत्रयाश्रयाय नमः ।


६१५. ॐ स्वक्षाय नमः ।


६१६. ॐ स्वङ्गाय नमः ।


६१७. ॐ शतानन्दाय नमः ।


६१८. ॐ नन्दिने नमः ।


६१९. ॐ ज्योतिर्गणेश्वराय नमः ।


६२०. ॐ विजितात्मने नमः ।


६२१. ॐ अविधेयात्मने नमः ।


६२२. ॐ सत्कीर्तये नमः ।


६२३. ॐ छिन्नसंशयाय नमः ।


६२४. ॐ उदीर्णाय नमः ।


६२५. ॐ सर्वतश्चक्षुषे नमः ।


६२६. ॐ अनीशाय नमः ।


६२७. ॐ शाश्वतस्थिराय नमः ।


६२८. ॐ भूशयाय नमः ।


६२९. ॐ भूषणाय नमः ।


६३०. ॐ भूतये नमः ।


६३१.ॐ विशोकाय नमः ।


६३२. ॐ शोकनाशनाय नमः ।


६३३. ॐ अर्चिष्मते नमः ।


६३४. ॐ अर्चिताय नमः ।


६३५. ॐ कुम्भाय नमः ।


६३६. ॐ विशुद्धात्मने नमः ।


६३७. ॐ विशोधनाय नमः ।


६३८. ॐ अनिरुद्धाय नमः ।


६३९. ॐ अप्रतिरथाय नमः ।


६४०. ॐ प्रद्युम्नाय नमः ।


६४१. ॐ अमितविक्रमाय नमः ।


६४२. ॐ कालनेमिघ्ने नमः ।


६४३. ॐ वीराय नमः ।


६४४ ॐ शौरये नमः ।


६४५. ॐ शूरजनेश्वराय नमः ।


६४६. ॐ त्रिलोकात्मने नमः ।


६४७. ॐ त्रिलोकेशाय नमः ।


६४८. ॐ केशवाय नमः ।


६४९. ॐ केशिघ्ने नमः ।


६५०. ॐ हरये नमः ।


६५१. ॐ कामदेवाय नमः ।


६५२. ॐ कामपालाय नमः ।


६५३. ॐ कामिने नमः ।


६५४. ॐ कान्ताय नमः ।


६५५. ॐ कृतागमाय नमः ।


६५६. ॐ अनिर्देश्यवपुषे नमः ।


६५७. ॐ विष्णवे नमः ।


६५८. ॐ वीराय नमः ।


६५९. ॐ अनन्ताय नमः ।


६६०. ॐ धनंजयाय नमः ।


६६१. ॐ ब्रह्मण्याय नमः ।


६६२. ॐ ब्रह्मकृते नमः ।


६६३. ॐ ब्रह्मणे नमः ।


६६४. ॐ ब्रह्मणे नमः ।


६६५. ॐ ब्रह्मविवर्धनाय नमः ।


६६६. ॐ ब्रह्मविदे नमः ।


६६७. ॐ ब्राह्मणाय नमः ।


६६८. ॐ ब्रह्मिणे नमः ।


६६९. ॐ ब्रह्मज्ञाय नमः ।


६७०. ॐ ब्राह्मणप्रियाय नमः ।


६७१. ॐ महाक्रमाय नमः ।


६७२. ॐ महाकर्मणे नमः ।


६७३. ॐ महातेजसे नमः ।


६७४. ॐ महोरगाय नमः ।


६७५. ॐ महाक्रतवे नमः ।


६७६. ॐ महायज्वने नमः ।


६७७. ॐ महायज्ञाय नमः ।


६७८. ॐ महाहविषे नमः ।


६७९. ॐ स्तव्याय नमः ।


६८०. ॐ स्तवप्रियाय नमः ।


६८१. ॐ स्तोत्राय नमः ।


६८२. ॐ स्तुतये नमः ।


६८३. ॐ स्तोत्रे नमः ।


६८४. ॐ रणप्रियाय नमः ।


६८५. ॐ पूर्णाय नमः ।


६८६. ॐ पूरयित्रे नमः ।


६८७. ॐ पुण्याय नमः ।


६८८. ॐ पुण्यकीर्तये नमः ।


६८९. ॐ अनामयाय नमः ।


६९०. ॐ मनोजवाय नमः ।


६९१. ॐ तीर्थंकराय नमः ।


६९२. ॐ वसुरेतसे नमः ।


६९३. ॐ वसुप्रदाय नमः ।


६९४. ॐ वसुप्रदाय नमः ।


६९५. ॐ वासुदेवाय नमः ।


६९६. ॐ वसवे नमः ।


६९७. ॐ वसुमनसे नमः ।


६९८. ॐ हविषे नमः ।


६९९. ॐ सद्गतये नमः ।


७००. ॐ सत्कृतये नमः ।


७०१. ॐ सत्तायै नमः ।


७०२. ॐ सद्भूतये नमः ।


७०३. ॐ सत्परायणाय नमः ।


७०४. ॐ शूरसेनाय नमः ।


७०५. ॐ यदुश्रेष्ठाय नमः ।


७०६. ॐ सन्निवासाय नमः ।


७०७. ॐ सुयामुनाय नमः ।


७०८. ॐ भूतावासाय नमः ।


७०९. ॐ वासुदेवाय नमः ।


७१०. ॐ सर्वासुनिलयाय नमः ।


७११. ॐ अनलाय नमः ।


७१२. ॐ दर्पघ्ने नमः ।


७१३. ॐ दर्पदाय नमः ।


७१४. ॐ दृप्ताय नमः ।


७१५. ॐ दुर्धराय नमः ।


७१६. ॐ अपराजिताय नमः ।


७१७. ॐ विश्वमूर्तये नमः ।


७१८. ॐ महामूर्तये नमः ।


७१९. ॐ दीप्तमूर्तये नमः ।


७२०. ॐ अमूर्तिमते नमः ।


७२१. ॐ अनेकमूर्तये नमः ।


७२२. ॐ अव्यक्ताय नमः ।


७२३. ॐ शतमूर्तये नमः ।


७२४. ॐ शताननाय नमः ।


७२५. ॐ एकस्मै नमः ।


७२६. ॐ नैकाय नमः ।


७२७. ॐ सवाय नमः ।


७२८. ॐ काय नमः ।


७२९. ॐ कस्मै नमः ।


७३०. ॐ यस्मै नमः ।


७३१. ॐ तस्मै नमः ।


७३२. ॐ पदायानुत्तमाय नमः ।


७३३. ॐ लोकबन्धवे नमः ।


७३४. ॐ लोकनाथाय नमः ।


७३५. ॐ माधवाय नमः ।


७३६. ॐ भक्तवत्सलाय नमः ।


७३७. ॐ सुवर्णवर्णाय नमः ।


७३८. ॐ हेमाङ्गाय नमः ।


७३९. ॐ वराङ्गाय नमः ।


७४०. ॐ चन्दनाङ्गदिने नमः ।


७४१. ॐ वीरघ्ने नमः ।


७४२. ॐ विषमाय नमः ।


७४३. ॐ शून्याय नमः ।


७४४. ॐ घृताशिषे नमः ।


७४५. ॐ अचलाय नमः ।


७४६. ॐ चलाय नमः ।


७४७. ॐ अमानिने नमः ।


७४८. ॐ मानदाय नमः ।


७४९. ॐ मान्याय नमः ।


७५०. ॐ लोकस्वामिने नमः ।


७५१. ॐ त्रिलोकधृषे नमः ।


७५२. ॐ सुमेधसे नमः ।


७५३. ॐ मेधजाय नमः ।


७५४. ॐ धन्याय नमः ।


७५५. ॐ सत्यमेधसे नमः ।


७५६. ॐ धराधराय नमः ।


७५७. ॐ तेजोवृषाय नमः ।


७५८. ॐ द्युतिधराय नमः ।


७५९. ॐ सर्वशस्त्रभृतां वराय नमः ।


७६०. ॐ प्रग्रहाय नमः ।


७६१. ॐ निग्रहाय नमः ।


७६२. ॐ व्यग्राय नमः ।


७६३. ॐ नैकश्रृङ्गाय नमः ।


७६४. ॐ गदाग्रजाय नमः ।


७६५. ॐ चतुर्मूर्तये नमः ।


७६६. ॐ चतुर्बाहवे नमः ।


७६७. ॐ चतुर्व्यूहाय नमः ।


७६८. ॐ चतुर्गतये नमः ।


७६९. ॐ चतुरात्मने नमः ।


७७० ॐ चतुर्भावाय नमः ।


७७१. ॐ चतुर्वेदविदे नमः ।


७७२. ॐ एकपदे नमः ।


७७३. ॐ समावर्ताय नमः ।


७७४. ॐ अनिवृत्तत्मने नमः ।


७७५. ॐ दुर्जयाय नमः ।


७७६. ॐ दुरितक्रमाय नमः ।


७७७. ॐ दुर्लभाय नमः ।


७७८. ॐ दुर्गमाय नमः ।


७७९. ॐ दुर्गाय नमः ।


७८०. ॐ दुरावासाय नमः ।


७८१. ॐ दुरारिघ्ने नमः ।


७८२. ॐ शुभाङ्गाय नमः ।


७८३. ॐ लोकसारङ्गाय नमः ।


७८४. ॐ सुतन्तवे नमः ।


७८५. ॐ तन्तुवर्धनाय नमः ।


७८६. ॐ इन्द्रकर्मणे नमः ।


७८७. ॐ महाकर्मणे नमः ।


७८८. ॐ कृतकर्मणे नमः ।


७८९. ॐ कृतागमाय नमः ।


७९०. ॐ उद्भवाय नमः ।


७९१. ॐ सुन्दराय नमः ।


७९२. ॐ सुन्दाय नमः ।


७९३. ॐ रत्ननाभाय नमः ।


७९४. ॐ सुलोचनाय नमः ।


७९५. ॐ अर्काय नमः ।


७९६. ॐ वाजसनाय नमः ।


७९७. ॐ श्रृङ्गिणे नमः ।


७९८. ॐ जयन्ताय नमः ।


७९९. ॐ सर्वविज्जयिने नमः ।


८००. ॐ सुवर्णबिन्दवे नमः ।


८०१. ॐ अक्षोभ्याय नमः ।


८०२. ॐ सर्ववागीश्वरेश्वराय नमः ।


८०३. ॐ महाह्रदाय नमः ।


८०४. ॐ महागर्ताय नमः ।


८०५. ॐ महाभूताय नमः ।


८०६. ॐ महानिधये नमः ।


८०७. ॐ कुमुदाय नमः ।


८०८. ॐ कुन्दराय नमः ।


८०९. ॐ कुन्दाय नमः ।


८१०. ॐ पर्जन्याय नमः ।


८११. ॐ पावनाय नमः ।


८१२. ॐ अनिलाय नमः ।


८१३. ॐ अमृताशाय नमः ।


८१४. ॐ अमृतवपुषे नमः ।


८१५. ॐ सर्वज्ञाय नमः ।


८१६. ॐ सर्वतोमुखाय नमः ।


८१७. ॐ सुलभाय नमः ।


८१८. ॐ सुव्रताय नमः ।


८१९. ॐ सिद्धाय नमः ।


८२०. ॐ शत्रुजिते नमः ।


८२१. ॐ शत्रुतापनाय नमः ।


८२२. ॐ न्यग्रोधाय नमः ।


८२३. ॐ उदुम्बराय नमः ।


८२४. ॐ अश्वत्थाय नमः ।


८२५. ॐ चाणूरन्ध्रनिषूदनाय नमः ।


८२६. ॐ सहस्त्रार्चिषे नमः ।


८२७. ॐ सप्तजिह्वाय नमः ।


८२८. ॐ सप्तैधसे नमः ।


८२९. ॐ सप्तवाहनाय नमः ।


८३०. ॐ अमूर्तये नमः ।


८३१. ॐ अनघाय नमः ।


८३२. ॐ अचिन्त्याय नमः ।


८३३. ॐ भयकृते नमः ।


८३४. ॐ भयनाशनाय नमः ।


८३५. ॐ अणवे नमः ।


८३६. ॐ बृहते नमः ।


८३७. ॐ कृशाय नमः ।


८३८. ॐ स्थूलाय नमः ।


८३९. ॐ गुणभृते नमः ।


८४०. ॐ निर्गुणाय नमः ।


८४१. ॐ महते नमः ।


८४२. ॐ अधृताय नमः ।


८४३. ॐ स्वधृताय नमः ।


८४४. ॐ स्वास्याय नमः ।


८४५. ॐ प्राग्वंशाय नमः ।


८४६. ॐ वंशवर्धनाय नमः ।


८४७. ॐ भारभृते नमः ।


८४८. ॐ कथिताय नमः ।


८४९. ॐ योगिने नमः ।


८५०. ॐ योगीशाय नमः ।


८५१. ॐ सर्वकामदाय नमः ।


८५२. ॐ आश्रमाय नमः ।


८५३. ॐ श्रमणाय नमः ।


८५४. ॐ क्षामाय नमः ।


८५५. ॐ सुपर्णाय नमः ।


८५६. ॐ वायुवाहनाय नमः ।


८५७. ॐ धनुर्धराय नमः ।


८५८. ॐ धनुर्वेदाय नमः ।


८५९. ॐ दण्डाय नमः ।


८६०. ॐ दमयित्रे नमः ।


८६१. ॐ दमाय नमः ।


८६२. ॐ अपराजिताय नमः ।


८६३. ॐ सर्वसहाय नमः ।


८६४. ॐ नियन्त्रे नमः ।


८६५. ॐ अनियमाय नमः ।


८६६. ॐ अयमाय नमः ।


८६७. ॐ सत्त्ववते नमः ।


८६८. ॐ सात्त्विकाय नमः ।


८६९. ॐ सत्याय नमः ।


८७०. ॐ सत्यधर्मपरायणाय नमः ।


८७१. ॐ अभिप्रायाय नमः ।


८७२. ॐ प्रियार्हाय नमः ।


८७३. ॐ अर्हाय नमः ।


८७४. ॐ प्रियकृते नमः ।


८७५. ॐ प्रीतिवर्धनाय नमः ।


८७६. ॐ विहायसगतये नमः ।


८७७. ॐ ज्योतिषे नमः ।


८७८. ॐ सुरुचये नमः ।


८७९. ॐ हुतभुजे नमः ।


८८०. ॐ विभवे नमः ।


८८१. ॐ रवये नमः ।


८८२. ॐ विरोचनाय नमः ।


८८३. ॐ सूर्याय नमः ।


८८४. ॐ सवित्रे नमः ।


८८५. ॐ रविलोचनाय नमः ।


८८६. ॐ अनन्ताय नमः ।


८८७. ॐ हुतभुजे नमः ।


८८८. ॐ भोक्त्रे नमः ।


८८९. ॐ सुखदाय नमः ।


८९०. ॐ नैकजाय नमः ।


८९१. ॐ अग्रजाय नमः ।


८९२. ॐ अनिर्विण्णाय नमः ।


८९३. ॐ सदामर्षिणे नमः ।


८९४. ॐ लोकाधिष्ठानाय नमः ।


८९५. ॐ अद्भुताय नमः ।


८९६. ॐ सनाते नमः ।


८९७. ॐ सनातनतमाय नमः ।


८९८. ॐ कपिलाय नमः ।


८९९. ॐ कपये नमः ।


९००. ॐ अप्ययाय नमः ।


९०१. ॐ स्वस्तिदाय नमः ।


९०२. ॐ स्वस्तिकृते नमः ।


९०३. ॐ स्वस्तये नमः ।


९०४. ॐ स्वस्तिभुजे नमः ।


९०५. ॐ स्वस्तिदक्षिणाय नमः ।


९०६. ॐ अरौद्राय नमः ।


९०७. ॐ कुण्डलिने नमः ।


९०८. ॐ चक्रिणे नमः ।


९०९. ॐ विक्रमिणे नमः ।


९१०. ॐ ऊर्जितशासनाय नमः ।


९११. ॐ शब्दातिगाय नमः ।


९१२. ॐ शब्दसहाय नमः ।


९१३. ॐ शिशिराय नमः ।


९१४. ॐ शर्वरीकराय नमः ।


९१५. ॐ अक्रूराय नमः ।


९१६. ॐ पेशलाय नमः ।


९१७. ॐ दक्षाय नमः ।


९१८. ॐ दक्षिणस्यै नमः ।


९१९. ॐ क्षमिणां वराय नमः ।


९२०. ॐ विद्वत्तमाय नमः ।


९२१. ॐ वीतभयाय नमः ।


९२२. ॐ पुण्यश्रवणकीर्तनाय नमः ।


९२३. ॐ उत्तारणाय नमः ।


९२४. ॐ दुष्कृतिघ्ने नमः ।


९२५. ॐ पुण्याय नमः ।


९२६. ॐ दुःस्वप्ननाशनाय नमः ।


९२७. ॐ वीरघ्ने नमः ।


९२८. ॐ रक्षणाय नमः ।


९२९. ॐ सद्भ्यो नमः ।


९३०. ॐ जीवनाय नमः ।


९३१. ॐ पर्यवस्थिताय नमः ।


९३२. ॐ अनन्तरूपाय नमः ।


९३३. ॐ अनन्तश्रिये नमः ।


९३४. ॐ जितमन्यवे नमः ।


९३५. ॐ भयापहाय नमः ।


९३६. ॐ चतुरस्त्राय नमः ।


९३७. ॐ गभीरात्मने नमः ।


९३८. ॐ विदिशाय नमः ।


९३९. ॐ व्यादिशाय नमः ।


९४०. ॐ दिशाय नमः ।


९४१. ॐ अनादये नमः ।


९४२. ॐ भूर्भुवे नमः ।


९४३. ॐ लक्ष्म्यै नमः ।


९४४. ॐ सुवीराय नमः ।


९४५. ॐ रुचिराङ्गदाय नमः ।


९४६. ॐ जननाय नमः ।


९४७. ॐ जनजन्मादये नमः ।


९४८. ॐ भीमाय नमः ।


९४९. ॐ भीमपराक्रमाय नमः ।


९५०. ॐ आधारनिलयाय नमः ।


९५१. ॐ अधात्रे नमः ।


९५२. ॐ पुष्पहासाय नमः ।


९५३. ॐ प्रजागराय नमः ।


९५४. ॐ ऊर्ध्वगाय नमः ।


९५५. ॐ सत्पथाचाराय नमः ।


९५६. ॐ प्राणदाय नमः ।


९५७. ॐ प्रणवाय नमः ।


९५८. ॐ पणाय नमः ।


९५९. ॐ प्रमाणाय नमः ।


९६०. ॐ प्राणनिलयाय नमः ।


९६१. ॐ प्राणभृते नमः ।


९६२. ॐ प्राणजीवनाय नमः ।


९६३. ॐ तत्त्वाय नमः ।


९६४. ॐ तत्त्वविदे नमः ।


९६५. ॐ एकात्मने नमः ।


९६६. ॐ जन्ममृत्युजरातिगाय नमः ।


९६७. ॐ भूर्भुवःस्वस्तरवे नमः ।


९६८. ॐ ताराय नमः ।


९६९. ॐ सवित्रे नमः ।


९७०. ॐ प्रपितामहाय नमः ।


९७१. ॐ यज्ञाय नमः ।


९७२. ॐ यज्ञपतये नमः ।


९७३. ॐ यज्वने नमः ।


९७४. ॐ यज्ञाङ्गाय नमः ।


९७५. ॐ यज्ञवाहनाय नमः ।


९७६. ॐ यज्ञभृते नमः ।


९७७. ॐ यज्ञकृते नमः ।


९७८. ॐ यज्ञिने नमः ।


९७९. ॐ यज्ञभुजे नमः ।


९८०. ॐ यज्ञसाधनाय नमः ।


९८१. ॐ यज्ञान्तकृते नमः ।


९८२. ॐ यज्ञगुह्याय नमः ।


९८३. ॐ अन्नाय नमः ।


९८४. ॐ अन्नादाय नमः ।


९८५. ॐ आत्मयोनये नमः ।


९८६. ॐ स्वयंजाताय नमः ।


९८७. ॐ वैखानाय नमः ।


९८८. ॐ सामगायनाय नमः ।


९८९. ॐ देवकीनन्दनाय नमः ।


९९०. ॐ स्त्रष्ट्रे नमः ।


९९१. ॐ क्षितीशाय नमः ।


९९२. ॐ पापनाशनाय नमः ।


९९३. ॐ शङ्खभृते नमः ।


९९४. ॐ नन्दकिने नमः ।


९९५. ॐ चक्रिणे नमः ।


९९६. ॐ शार्ङ्गधन्वने नमः ।


९९७. ॐ गदाधराय नमः ।


९९८. ॐ रथाङ्गपाणये नमः ।


९९९. ॐ अक्षोभ्याय नमः ।


१०००. ॐ सर्वप्रहरणायुधाय नमः ।


॥ इति श्रीमहाभारते अनुशासनपर्वणि श्रीविष्णुसहस्त्रनामवलिः सम्पूर्णा ॥


vishnu sahastra namavali

Vishnu Sahastra Namawali
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