डावां हाथ तेल-फुलेल, जवणा हाथ आरती जी।
धणियेर राजा सोया सुख-सेज, रनुबाई रींझणो जी
डोलतज डोलतऽ आई गई झपकी, हाथ की रींझणो भुई गिर्यो जी।
धणियेर राजा की खुली गई नींद, तड़ातड़ मार्यो ताजणा जी।
रनुबाई खऽ लागी बड़ी रीस, आसन छोड़ी भुई सूता जी।
खुटी मऽ को चीर कोम्हलाय, असा कसा रोष भर्या जी।
बेडुला को नीर झोकळाय, असा कसा रोष भर्या जी।
पालणारो बाळो बिलखाय, असा कसा रोष भर्या जी।
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