Tuesday, October 15, 2024

भजै छी तारिणी सब दिन / मैथिली लोकगीत

भजै छी तारिणी सब दिन कियै छी दृष्टि के झपने

जयन्ति मंगला काली सदा-शिव नाम थीक अपने
शरण एक छि अहिंक अम्बे होयत की आन लग कहने
भजै छी तारिणी सब दिन...

कृपा सं हेरू हे जननी विकल छि पाप के तपने
शरण एक छि अहिंक कियै छी दृष्टि के झपने
भजै छी तारिणी सब दिन कियै छी दृष्टि के झपने

कहब हम जाय ककरा सँ अपन दुख दीनता अपने
कयह जगदीश सब दिन सँ भगत प्रतिपालिका अपने
भजै छी तारिणी सब दिन कियै छी दृष्टि के झपने

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