द्वारे से राजा आए, मुस्की छांटत आए / अवधी

 द्वारे से राजा आए, मुस्की छांटत आए, बिरवा कूचत आए हो

रानी अब तोरे दिन नागिचाने, बहिनिया का आनी लावों हो


हमरे अड़ोस हवे, हमरे पड़ोस हवे, बूढी अईया घरही बाटे हो,

राजा तुम दुई भौरा लगायो त वहे हम खाई लेबै, ननदी का काम नहीं हो


हम तो सोचेन राजा हाट गे हैं, हाट से बजार गें हैं हो

राजा गएँ बैरिनिया के देस, त हम्मै बगदाय गए हो


छानी छपरा तूरे डारें, बर्तन भडुआ फोरे डारें,बूढा का ठेर्राय डारे हो

बहिनी आए रही बैरन हमारी, त पर्दा उड़त हवे हो


अंग अंग मोरा बांधो, त गरुए ओढाओ, काने रुइया ठूसी दियो हो,

बहिनी हमरे त आवे जूडी ताप, ननदिया का नाम सुनी हो


अपना त अपना आइहैं, सोलह ठाईं लरिका लैहै,घर बन चुनी लैहैं ,कुआँ पर पंचाईत करिहैं हो

बहिनी यह घर घलिनी ननदिया त हमका उजाड़ी जाई हो...

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