Saturday, November 2, 2024

सावन / अवधी

 सावन आए ओ री सखी री, मंदिर छावै सब कोय रे

अरे, हमरा मंदिरवा को रे छैहें, हमरे तो हरी परदेस रे


काह चीर मैं कगदा बनावौं, काहेन की मसियाली रे

अरे, कोहिका मैं बनवों अपना कैथवा, चिठिया लिक्खहि समुझाई के


अंचरा चीरी मैं कगदा बनावहु, अंसुअन की मसियाली रे

अरे, लहुरा देवरवा बनवों कैथवा, चिठिया लिखहि समुझाई के


अरे अरे कागा तोहे देबै धागा, सोनवा मेढौबे तोरी चोंच रे

अरे, जाई दिह्यो मोरे पिय का संदेसवा, चिठिया पढयो समुझाई के


नहाइ धोई राजा पुजवा प बैठे, चिठिया गिरी भहराई के

अरे, चिठिया बांचे बाँची सुनावै, पटर पटर चुवै आंस रे


सुन सुन कागा हमरा संदेसवा, रानी का दिह्यो समुझाई के

अरे, बरिया बोलाइ रानी बँगला छ्वावैं, हमरा आवन नहीं होए रे


सावन मा रानी चुनरी रंगैहैं, पहिरहि मन-चित लाइ के

अरे, सब सखियन संग झूलन जैहैं हमरिही सुधि बिसराई के

अन्य अवधी लोकगीत 

No comments:

Post a Comment

Featured post

यूँही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करो Yunhi Be-Sabab Na Fira Karo Koi Bashir Badr Ghazal

यूँही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करो वो ग़ज़ल की सच्ची किताब है उसे चुपके चुपके पढ़ा करो कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक स...