Saturday, November 2, 2024

विवाह - गीत - बेरिया की बेरिया मै / अवधी

 बेरिया की बेरिया मै बरिज्यो बाबा जेठ जनि रचिहो बियाह

हठी से घोडा पियासन मरिहै गोरा बदन कुम्हलाय

कहो तो मोरी बेटी छ्त्रू छ्वाओं कहो तो नेतवा ओहार

कहो तो मोरी बेटी सुरजू अलोपों गोरा बदन रहि जाय

काहे को मोरे बाबा छ्त्रू छ्वायो काहे कैं नेतवा ओहार

काहे को मोरे बाबा सुरजू अलोपों गोरा बदन रहि जाय

आजू कै रोजे बाबा तोहरी मडैइया कालही सुघर बार के साथ

काचहि दुधवा पियायो मोरी बेटी दहिया खियायो सढीयार

एकहू गुनहिया न लाइयु मोरी बेटी चल्यु परदेसिया के साथ

काहे कै मोरे बाबा दुधवा पियायो दहिया खियायो सढीयार

जानत रह्यो बेटी पर घर जइहें गोरा बदन रहि जाय

इहै दुधवा बाबा भैया कैं पीऔत्यों जेनि तोहरे दल कै सिंगार

अन्य अवधी लोकगीत 

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