विवाह -गीत - सोवत रहीं अटरिया झझक / अवधी
सोवत रहीं अटरिया झझक उठ बैठीं
मईया केकरे दुआरे बाजन बाजे केकर होत है बियाह
मईया जे बेटी बुलावैं गोद बैईठावें
हसि कै बोलैं बेटी तोहरे दुआरियां बाजन बाजे तुहरहि होत है बियाह
नाही सीख्यौ मोरी मईया गुन ग्रस्थापन नाही सीख्यौ राम रसोय
सास ननद मोरा भैया गरियैहैं मोरे बूते सहयू न जाय
सिख लेहू मोरी बेटी गुन ग्रस्थापन सिख लेहू राम रसोय
सास ननद तोहरी भैया गरियहियें ले लिहो अचरा पसार
अन्य अवधी लोकगीत
Comments
Post a Comment