ससुरे परलोक क चुनरी नैहरवा संसार धूमिल भई / अवधी
ससुरेपरलोक क चुनरी नैहरवा संसार धूमिल भई
राजा जी परमात्मा जैहें पहिचानि ,करब हम कौन बहाना
आवा गवन...
मोरे पिछवारे रंगरेजवा बेटौना गुरु
बीरन लागौ हमार ,करब हम कौन बहाना
आवा गवन...
एक बोर मोरी बोरौ चुनरिया ज्ञान,
भक्ति और कर्म के आलोक से मेरी आत्मा की शुद्धि कर दो
राजा न पावें पहिचानि ,करब हम कौन बहाना
आवा गवन...
संकरी गलिय होई के डोला जो निकरा
छूटा जो आपन देस ,करब हम कौन बहाना
आवा गवन...
आवा गवन नगिच्याय करब अब कौन बहाना
अन्य अवधी लोकगीत
Comments
Post a Comment