ओ कोबरा में सूतलि निचित ।
माय तोरा हंटौ बाप तोरा घोपौ
जनु जाह कोसी असनान ।।
काँख लेल धोतिया रानू हाथ लेल लोटवा
चलि भेला कोसी असनान ।।
एक कोस गेला रानू दुई कोस गेला
तीजे कोस कोसी केर धार
एक डूब देलैन रानू दुई डूव देलैन
तीजे डूव धसना खसाय ।।
अस्सी मन कोदरिया कोसी माय
चैरासी मन डाँट ।
जोड़ा एक पाठी कोसी माय
तोहरा चढ़ैबौ हे,
बकसि देहु रानू केर परान ।।
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