Saturday, March 10, 2018

Kehna Hi Kya – Bombay

Movie: Bombay
Year: 1995
Director: Mani Ratnam
Music: A.R. Rahman
Lyrics: Mehboob
Singers: K.S. Chitra, A.R. Rahman

Chorus
गुमसुम गुमसुम गुपचुप गुमसुम गुपुचुप
गुमसुम गुमसुम गुपचुप गुमसुम गुपुचुप
हलचल हलचल हो गयी तेरी होंठ है तेरे चुप
हलचल हलचल हो गयी तेरी बैठे हैं गुपचुप
प्यारे प्यारे चेहरे ने पर दे दिया इशारा
देखा तेरी आँखों ने है सपना कोई प्यारा
हमसे गोरी ना तू शर्मा केह्दे हमसे ज़रा
हमसे गोरी ना तू शर्मा केह्दे हमसे ज़रा

Chitra
केहना ही क्या ये नैन एक अनजान से जो मिले
चलने लगे मोहब्बत के जैसे ये सिलसिले
अरमां नए ऐसे दिल में खिले
जिनको कभी मैं ना जानूं
वो हमसे हम उनसे कभी ना मिले
कैसे मिले दिल ना जानूं
अब क्या करें क्या नाम लें
कैसे उन्हें मैं पुकारूँ

केहना ही क्या ये नैन एक अनजान से जो मिले
चलने लगे मोहब्बत के जैसे ये सिलसिले
अरमां नए ऐसे दिल में खिले
जिनको कभी मैं ना जानूं
वो हमसे हम उनसे कभी ना मिले
कैसे मिले दिल ना जानूं
अब क्या करें क्या नाम लें
कैसे उन्हें मैं पुकारूँ

पेहली ही नज़र में कुछ हम कुछ तुम हो जाते हैं यूं गम
नैनों से बरसे रिमझिम रिमझिम हमपे प्यार का सावन
शर्म थोड़ी थोड़ी हमको आये तो नज़रें झुक जाएँ
सितम थोडा थोडा हमपे शोख हवा भी कर जाएँ
ऐसी चले आँचल उठे दिल में एक तूफ़ान उठे
हम तो लुट गए खड़े ही खड़े

केहना ही क्या ये नैन एक अनजान से जो मिले
चलने लगे मोहब्बत के जैसे ये सिलसिले
अरमां नए ऐसे दिल में खिले
जिनको कभी मैं ना जानूं
वो हमसे हम उनसे कभी ना मिले
कैसे मिले दिल ना जानूं
अब क्या करें क्या नाम लें
कैसे उन्हें मैं पुकारूँ

Chorus
गुमसुम गुमसुम गुपचुप गुमसुम गुपुचुप
गुमसुम गुमसुम गुपचुप गुमसुम गुपुचुप
हलचल हलचल हो गयी तेरी होंठ है तेरे चुप
हलचल हलचल हो गयी तेरी बैठे हैं गुपचुप
प्यारे प्यारे चेहरे ने पर दे दिया इशारा
देखा तेरी आँखों ने है सपना कोई प्यारा
हमसे गोरी ना तू शर्मा केह्दे हमसे ज़रा
हमसे गोरी ना तू शर्मा केह्दे हमसे ज़रा

Chitra
इन होंठों ने माँगा सरगम सरगम तू और तेरा ही प्यार है
आज ढूंढें है जिसको हरदम हरदम तू और तेरा ही प्यार है
मेहफिल में भी तनहा है दिल ऐसे दिल ऐसे
तुझको खो ना दे डरता है ये ऐसे ये ऐसे
आज मिली ऐसी ख़ुशी झूम उठी दुनिया ये मेरी
तुमको पाया तो पायी ज़िन्दगी

केहना ही क्या ये नैन एक अनजान से जो मिले
चलने लगे मोहब्बत के जैसे ये सिलसिले
अरमां नए ऐसे दिल में खिले
जिनको कभी मैं ना जानूं
वो हमसे हम उनसे कभी ना मिले
कैसे मिले दिल ना जानूं
अब क्या करें क्या नाम लें
कैसे उन्हें मैं पुकारूँ

केहना ही क्या ये नैन एक अनजान से जो मिले
चलने लगे मोहब्बत के जैसे ये सिलसिले
केहना ही क्या

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