Saturday, March 10, 2018

Main Pal Do Pal – Kabhi Kabhie

Movie: Kabhi Kabhie
Year: 1976
Director: Yash Chopra
Music: Khayyam
Lyrics: Sahir Ludhianvi
Singers: Mukesh

मैं पल दो पल का शायर हूँ
पल दो पल मेरी कहानी है
पल दो पल मेरी हस्ती है
पल दो पल मेरी जवानी है
मैं पल दो पल का शायर हूँ
पल दो पल मेरी कहानी है
पल दो पल मेरी हस्ती है
पल दो पल मेरी जवानी है
मैं पल दो पल का शायर हूँ

मुझसे पहेले कितने शायर आये और आकर चले गए
कुछ आंहें भरकर लौट गए कुछ नगमे गा कर चले गए
वो भी एक पल का किस्सा थे मैं भी एक पल का किस्सा हूँ
कल तुमसे जुदा हो जाऊंगा जो आज तुम्हारा हिस्सा हूँ
मैं पल दो पल का शायर हूँ
पल दो पल मेरी कहानी है
पल दो पल मेरी हस्ती है
पल दो पल मेरी जवानी है
मैं पल दो पल का शायर हूँ

कल और आएंगे नगमों की खिलती कलियाँ चुननेवाले
मुझसे बहेतर कहेनेवाले तुमसे बहेतर सुननेवाले
कल कोई मुझको याद करे क्यूँ कोई मुझको याद करे
मसरूफ ज़माना मेरे लिए क्यूँ वक़्त अपना बर्बाद करे
मैं पल दो पल का शायर हूँ
पल दो पल मेरी कहानी है
पल दो पल मेरी हस्ती है
पल दो पल मेरी जवानी है

मैं पल दो पल का शायर हूँ
पल दो पल मेरी कहानी है
पल दो पल मेरी हस्ती है
पल दो पल मेरी जवानी है
मैं पल दो पल का शायर हूँ
पल दो पल मेरी कहानी है
पल दो पल मेरी हस्ती है
पल दो पल मेरी जवानी है
मैं पल दो पल का शायर हूँ

मुझसे पहेले कितने शायर आये और आकर चले गए
कुछ आंहें भरकर लौट गए कुछ नगमे गा कर चले गए
वो भी एक पल का किस्सा थे मैं भी एक पल का किस्सा हूँ
कल तुमसे जुदा हो जाऊंगा जो आज तुम्हारा हिस्सा हूँ
मैं पल दो पल का शायर हूँ
पल दो पल मेरी कहानी है
पल दो पल मेरी हस्ती है
पल दो पल मेरी जवानी है
मैं पल दो पल का शायर हूँ

कल और आएंगे नगमों की खिलती कलियाँ चुननेवाले
मुझसे बहेतर कहेनेवाले तुमसे बहेतर सुननेवाले
कल कोई मुझको याद करे क्यूँ कोई मुझको याद करे
मसरूफ ज़माना मेरे लिए क्यूँ वक़्त अपना बर्बाद करे
मैं पल दो पल का शायर हूँ
पल दो पल मेरी कहानी है
पल दो पल मेरी हस्ती है
पल दो पल मेरी जवानी है
मैं पल दो पल का शायर हूँ
पल दो पल मेरी कहानी है
पल दो पल मेरी हस्ती है
पल दो पल मेरी जवानी है
मैं पल दो पल का शायर हूँ

No comments:

Post a Comment

Featured post

यूँही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करो Yunhi Be-Sabab Na Fira Karo Koi Bashir Badr Ghazal

यूँही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करो वो ग़ज़ल की सच्ची किताब है उसे चुपके चुपके पढ़ा करो कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक स...