Friday, November 1, 2024

अमर कंट निज धाम है / निमाड़ी लोकगीत

 अमर कंट निज धाम है,

    नीत नंहावण करणा


(१) वासेण जाल से हो निसरी,

    आरे माता करण कुवारी

    कल युग म हो देवी आवियां

    कलू कर थारी सेवा...

    अमर कंट...


(२) बड़े बड़े पर्वत फोड़ के,

    आरे धारा बही रे पैयाला

    कईयेक ऋषि मुनी तप करे

    जल भये रे अपारा...

    अमर कंट...


(३) पैली धड़ ॐकार है,

    ऐली धड़ रे मंन्धाता

    कोट तिरत का हो नावणा

    नहावे नर और नारी...

    अमर कंट...


(४) मंन्धाता के घाट पे,

    आरे पैड़ी लगी रे पचास

    आम साम रे वाण्या हाटड़ी

    दूईरा पड़ रे बजार...

    अमर कंट...

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