राजा दशरथ गृह मुनि एक आयल
माँगय लछुमन-राम
लेहू मुनिजी भूषण आसन आओर गज-रथ-धाम
जौं कदाचित इच्छा होअय लिअ अवधपुर-धाम
नहि हम लेबै भूषण आसन आओर गज-रथ-धाम
दशरथ देहु राम-लछुमन
तारका सन अधम निशिचर के करत बेकाम
मनमे सोच केलनि राजा दशरथ
मुनि छथि अगिन समान
जौं कदाचित श्राप देता
जरि जायत तनु-धेनु-धाम
जाहु रामा, जाहु लछुमन
मुनिजीक करूगऽ काम
ताड़का मारि पलटि घर आयब
पुनि दौड़ब मोर धाम
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