जौं आन हमर स्वामी रहितथि, नहि जानि की कयने रहितथि
हे केहन भरल अहाँ करुणामय, हम कयक बेर अजमौने छी
सिद्धान्त स्नेहलतासँ करू, भवसिन्धु सँ निश्चय कयने रहितहुँ
हे केहन क्षमा सँ भरल छी अहाँ, हम तकर परीक्षा कयने छी
आम फड़ैत कटहर अमृत घट, पान चुबैत गरल
के केहन भरल अहाँ करूणामय, हम कयक बेर अजमौने छी
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