सोना के खराम चढ़ि / मैथिली लोकगीत

सोना के खराम चढ़ि, ठाढ़ भेला रामचन्द्र गृह अपना
आहे हुकुम दिऔ माता कैकेयी, जेता वन रहना
किनकर इहो पुरपाटन, किनकर गृह अपना
आहे किनका पड़ल विपतिया, कि जेता वन रहना
दशरथ के इहो पुरपाटन, कैकेयी के गृह अपना
आहे सीता के पड़लनि विपतिया, राम जाइ छथि वन रहना
अयोध्या के राजा बौआ, अहां जाइ छी केना
आहे हमहूँ तऽ जाइ छी वनवास, वन रहना
किनबै मे जादूपति छुरिया, कि हतबैमे प्राण अपना
आहे राम लखन सन पुत्र, कि सेहो जाइ वन रहना
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