राम लेता बास, ओही वन राम लेता बास / मैथिली लोकगीत
राम लेता बास, ओही वन राम लेता बास
सूखल सर मे कमल फुला गेल
हंस लेल परगास, ओही वन राम लेता बास
कहत प्रभु-प्रभु सुनू चकेबा
कोन तोहर छऽ बास, ओहि वन राम लेता बास
कहत प्रभु-प्रभु सुनू चकेबा
कुटिया हमरो बास, ओहि वन राम लेता बास
वनहि मे रहितहुँ, वने फल खइतहुँ
तोड़ि ओछबितहुँ पात, ओहि वन राम लेता बास
अन्य मैथिली लोकगीत
हम ने जीअब बिनु राम हे जननी, हम ने जीअब बिनु राम / मैथिली लोकगीत
नया शहर कलकत्ता हो राजा, जहाँ बिराजे महाकाली / मैथिली लोकगीत
गे माई हम नहि शिव सँ गौरी बिआहब, मोर गौरी रहती कुमारी / मैथिली लोकगीत
दुर-दुर छीया ए छीया, एहन बौराहा बर संग जयती कोना धीया / मैथिली लोकगीत
ना जायब, ना जायब, ना जायब हे सखि गौरी अंगनमा / मैथिली लोकगीत
Comments
Post a Comment