सूखल सर मे कमल फुला गेल
हंस लेल परगास, ओही वन राम लेता बास
कहत प्रभु-प्रभु सुनू चकेबा
कोन तोहर छऽ बास, ओहि वन राम लेता बास
कहत प्रभु-प्रभु सुनू चकेबा
कुटिया हमरो बास, ओहि वन राम लेता बास
वनहि मे रहितहुँ, वने फल खइतहुँ
तोड़ि ओछबितहुँ पात, ओहि वन राम लेता बास
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