श्याम बिनु सून भवन भेल मोर
आब के आओत दौड़ि, ककरा लपकि झपटि लेब कोर
आब के बजाओत मधुर मुरलिया, ककर चूमब दुनू ठोर
आब के खायत घरसँ लूटि रस, दूध-दही-धृत-घोर
आब ककरा हम लाल-लालकऽ बजायब, करबमे ककरा सोर
आब के बूलत सगर वृन्दावन, के कहाओत चितचोर
कहथि कविपति सूनु माता यशोमति, आब सुख होयत तोर
कंस पछाड़ि पलटि घर आओत, श्यामल मुख चन्द्र चकोर
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