कृष्ण अहाँ बिना लाज बांचत कोना
सभा बिच द्रोपदी करथि रोदना
कृष्ण कनिएक चीर बढ़ाउ अहाँ
दुष्ट कौरव के क्यो नहि देलक मना
पांचो पाँडव सहित चलू वन रहना
कर्म विधान लिखथि विधना
पांचो पाँडव सँ शकुनि केलथि वंचना
अन्य मैथिली लोकगीत
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